जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष पुलिस अधिकारियों के मेहनताने में वृद्धि

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जम्मू कश्मीर पुलिस
जम्मू कश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारियों के मेहनताने में इजाफा. (फाइल फोटो)

जम्मू कश्मीर पुलिस में काम करने वाले विशेष पुलिस अधिकारियों का मासिक मेहनताना बढ़ा दिया गया है. अब ये मेहनताना 6 से 12 हजार रुपये के बीच मिलेगा. जिन एसपीओ को पांच साल से ज्यादा नहीं हुए उनको 6 हज़ार रुपये, जो 5 साल से ज्यादा अरसे से फ़ोर्स में हैं उनको 9 हज़ार रुपये और जिन्हें काम करते 15 साल से ज़्यादा हो गये हैं उन्हें अब हर महीने 12 हजार रपये मिलेंगे.

भारत सरकार की एक विशेष सुरक्षा योजना के तहत तमाम राज्यों को विशेष पुलिस अधिकारियों के मेहनताने के तौर पर धनराशि दी जाती है. वास्तव में देखा जाये तो ये कई राज्यों में न्यूनतम कुशल मजदूरों के लिए तय मासिक वेतन से भी कम है.

ऐसे हुए आदेश :

जम्मू कश्मीर पुलिस
जम्मू कश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारियों के मेहनताना में वृद्धि का आदेश.

जम्मू कश्मीर के तमाम एसपीओ के मेहनताना राशि में वृद्धि से सम्बन्धित आदेश गृह मंत्रालय के जम्मू कश्मीर मामलों के विभाग की तरफ से 26 सितम्बर 2018 को जारी हुए हैं. मेहनताने की राशि में ये वृद्धि, आदेश जारी होने की तारीख से प्रभावी मानी जाएगी. विभाग की निदेशक श्रीमती सुलेखा की तरफ से जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को, इस आदेश से सम्बन्धित लिखे पत्र में कहा गया है कि 24 सितम्बर को प्राप्त हुए जम्मू कश्मीर के प्रस्ताव पर विचार करते हुए एसपीओ की मेहनताना राशि बढ़ाई जा रही है.

केंद्र सरकार के इस निर्णय पर जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक का कार्यभार देख रहे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दिलबाग सिंह ने सरकार का आभार जाहिर किया है.

कितनों को मिलेगा लाभ :

फिलहाल जम्मू कश्मीर पुलिस में 31 हजार से ज्यादा एसपीओ है. इनमें से 10967 वो हैं जिन्होंने अभी फ़ोर्स में पांच साल पूरे नहीं किये, 10623 ऐसे हैं जिन्हें यहाँ काम करते 10 साल से ज्यादा समय हो गया जबकि 8411 एसपीओ वे हैं जो 15 साल से ज्यादा अरसे से जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए काम कर रहे हैं.

इन हालात में फैसला :

सरकार का ये फैसला हाल ही में जम्मू कश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारियों के अपहरण और उनकी हत्याओं की घटनाओं के बाद आया है. उन घटनाओं और मेहनताने की कम राशि के अलावा आतंकवादी संगठनों से लगातार मिलने वाली धमकियों जैसे हताशापूर्ण हालात के बीच लिए गया ये फैसला थोड़ी बहुत राहत वाला माना जा सकता है.