भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में अपराधियों के हमले में राज्य पुलिस के एक उपाधीक्षक (डीएसपी) देवेन्द्र मिश्रा और थाना प्रभारी समेत आठ पुलिसकर्मी को वीरगति प्राप्त हुई और 7 पुलिसकर्मी घायल हो गये. ये पुलिस टीम कानपुर देहात में विकास दुबे नाम के एक शातिर हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए उसके पैतृक गांव बिकरू गई लेकिन बदमाशों ने जेसीबी लगाकर पुलिस का रास्ता रोका और उनके अपने वाहनों से उतरते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. और हमले के बाद हथियारों समेत मौके से फरार हो गए. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस फोर्स भेजकर आसपास का पूरा इलाका सील कर दिया गया.

बृहस्पतिवार की रात की इस घटना के बाद आज सुबह सुबह आईजी ने पुष्टि की कि जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने दो बदमाशों को मार गिराया जो फरार हुए थे. ये बदमाश पास के ही किसी गाँव में पहुँच गये थे जहां पुलिस ने इनकी घेराबंदी कर ली थी. अपराधियों की घेराबंदी हो गई है. मुठभेड़ जारी है. ये पूरा आपरेशन उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार की देखरेख में जारी है. हाल के वर्षों में देश के किसी राज्य में पुलिस पर हमले की इस तरह की पहली वारदात है. विकास दुबे ने 2003 में थाने में ही दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला को गोलियों से भून डाला था.

शहीद पुलिस अफसर व जवान
1-देवेंद्र कुमार मिश्र,सीओ बिल्हौर
2-महेश यादव,एसओ शिवराजपुर
3-अनूप कुमार,चौकी इंचार्ज मंधना
4-नेबूलाल, सब इंस्पेक्टर शिवराजपुर
5-सुल्तान सिंह कांस्टेबल थाना चौबेपुर
6-राहुल ,कांस्टेबल बिठूर
7-जितेंद्र,कांस्टेबल बिठूर
8-बबलू कांस्टेबल बिठूर
पूरे राज्य की पुलिस को बुरी तरह हिला देने वाली ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना खतरनाक सरगनाओं की धरपकड़ में अपनाये जाने वाले तौर तरीकों और पुलिस के रवैये में बदलाव की ज़रूरत की तरफ भी इशारा करती है. उत्तर प्रदेश ही नहीं ये घटना पूरे भारत की पुलिस के लिए एक बड़ा सबक है. खासतौर से उन पुलिस दलों के लिए जो अपराधियों को पकड़ने के लिए या दबिश के लिए जाते हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी ने पुलिस पर अचानक हुए हमले की दुस्साहसिक घटना की उच्च स्तरीय जांच करके अपराधियों की जल्द ही धरपकड़ करने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता हमले में घायल हुए पुलिस कर्मियों का इलाज कराना है. साथ ही हमलावरों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना और ये पता लगाना भी जांच का अहम हिस्सा होगा कि बदमाशों के पास खतरनाक हथियार कहाँ से आये. विकास दुबे की अगुआई में बदमाशों ने विकास के घर की छत से पूरी तरह जाल बिछाकर पुलिस पर फायरिंग की थी. अपराधी विकास ने अपना घर किले की तरह बना रखा है. उस घर में बिना इजाजत कहीं से कोई घुस नहीं सकता. लेकिन अंदर यानि छत से बाहर सब कुछ देखा जा सकता है.

पुलिस जिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी उस पर तरह तरह के अपराधों के तकरीबन 60 मामले दर्ज हैं. पुलिस के गाँव में छापे से पहले ही बदमाशों को भनक लग गई थी और गाँव के भीतर पहुँचने के एक मात्र रास्ते में तरह तरह की रुकावटें खड़ी करके पुलिस को रोकने की तैयारी की गई थी. पुलिस का अंदाज़ा है कि विकास और उसके साथियों को गाँव के लोगों का संरक्षण प्राप्त था. बसपा के राज में विकास दुबे जिला पंचायत सदस्य रहा. बाद में इसकी पत्नी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई. उसका शुरुआती राजनीतिक दल बसपा बताया जा रहा. उसके हर राजनीतिक दल में संबंध रहे हैं.