देश भर के हजारों थानों में दर्ज लाखों केस से सम्बन्धित सम्पत्तियां पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं क्यूंकि केस के निपटान तक इन्हें सबूत के तौर पर सम्भाल कर रखना पुलिस के लिए कानून के तहत ज़रूरी है और कई मामलों में मजबूरी भी है. छोटे से आकार के मोबाइल फोन से लेकर बड़ी बड़ी मोटर गाड़ियां तक इनमें शामिल हैं. तकरीबन हरेक थाने और पुलिस चौकी के बाहर या आसपास ऐसी गाड़ियों का तो अम्बार लगा रहता है जो पुलिस ने चोरों से बरामद की हों, किसी आपराधिक या विवादित केस में जब्त की गई हों या सड़क दुर्घटना में शामिल रही हों.
ये सामान न सिर्फ खूब जगह घेरता है बल्कि इसकी हिफ़ाज़त भी पुलिस को करनी पड़ती है जो पुलिस के लिए फिजूल का एक और काम बन जाता है. दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में तो ये पुलिस के लिए विकट समस्या पैदा कर देता है जहां जगह बेहद कम होती है या महंगी होती है.

दिल्ली पुलिस ने इस समस्या के निदान के लिये पहल की है. मालखाने में पड़े उन सामान को जल्द से जल्द डिस्पोज़ करके उन्हें उनके असली मालिकों तक पहुँचाया जा रहा है ताकि उनका इस्तेमाल भी हो और जगह खाली होने के साथ साथ उसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी भी कम हो. दक्षिण दिल्ली जिले की पुलिस ने अपने क्षेत्र के थानों में मालखाने में जमा ऐसे सामान की समीक्षा करके पहले उन मामलों का पता लगाया जिन मामलों में लोगों का जमा सामान लौटाया जा सकता हो या जिनको रखना ज़रूरी न हो. ऐसी कुल 435 सम्पत्तियां खोजी गईं और फिर उनके मालिकों से सम्पर्क करके उन्हें ले जाने के लिए सूचित किया गया.
दक्षिण दिल्ली ज़िला पुलिस ने इसके लिए बृहस्पतिवार का दिन मुकरर्र किया. इन सम्पत्तियों के वितरण के लिए जिले के उपायुक्त खुद मौजूद रहे. पुलिस के मुताबिक़ ऐसी 135 सम्पत्तियों को उनके असली मालिकों के सुपुर्द किया गया. अपने आप में इस तरह का ये पहला वितरण कार्यक्रम था जिसे लोगों ने भी सराहा. सुपुर्द किये गये सामान में खासी संख्या में मोबाइल फोन और वाहन थे.