
हिमालय के प्रहरी भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी-ITBP) के जवानों ने जोश और भव्यता के साथ जिस तरह बल की खूबसूरत, जांबाजी और रोमांचकारी कहानियों की कड़ियों को जोड़ते हुए आज अपने 57 वें स्थापना दिवस का जश्न मनाया वो अभूतपूर्व कहा जा सकता है. इस बार की परेड की खास तौर से तारीफ़, मुख्य अतिथि के तौर पर सलामी लेने आये, भारत के केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी की.
राजधानी दिल्ली के पास सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित, आईटीबीपी के स्थापना दिवस कार्यक्रम के अवसर पर केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए बनाये गये अस्पताल के शुरू होने का ज़िक्र करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जवानों और उनके परिवारों के लिए बने इन अस्पतालों को चलाने के लिए डाक्टरों की पर्याप्त संख्या होनी ज़रूरी है. उन्होंने इस बात का भरोसा दिलाया कि डाक्टरों की पर्याप्त संख्या में भर्ती और अस्पताल के बेहतर परिचालन के लिए ज़रुरी साजो सामान जुटाने में नियम कानून आड़े नहीं आने चाहिए. राजनाथ सिंह बोले – अस्पताल सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमों में बदलाव या ढिलाई की जा सकती है.


कुछ खास बातें :
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आईटीबीपी स्थापना दिवस परेड की सलामी लेने के बाद बल के जवानों और उनके परिवार वालों को संबोधित करते हुए जो कुछ खास खास जानकारियाँ दीं, उनमें से कुछ खास हैं : बल में अधिकारियों व जवानों की तरक्की की प्रक्रिया चल रही है. अधिकारियों के कैडर रिव्यू की मंजूरी आखिरी मुकाम पर है. ये सुनिश्चित कर लिया गया है कि किसी भी बल के जवान की शहादत होने पर उसके आश्रितों को एक करोड़ रूपये की धनराशि अवश्य मिले. आईटीबीपी की कई चौकियां पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे स्थानों पर हैं जहां पहुँचने के लिए सड़क तक नहीं है, इनमें ने कई तो 12 से 18 हज़ार फुट की ऊंचाई पर हैं और यहाँ तापमान शून्य से 20 डिग्री तक नीचे चला जाता है. लिहाज़ा ऐसी एयर चौकियों के बेहतर संचालन के लिए आईटीबीपी को 2 हेलीकाप्टर देना मंजूर किया जा चुका है.
डीजी की तारीफ़ :

गृह मंत्री राजनाथ सिंह परेड और कार्यक्रम से इतने खुश दिखाई दिए कि आईटीबीपी के इसी माह रिटायर होने वाले महानिदेशक आईपीएस अधिकारी आरके पचनन्दा की खूब तारीफ़ भी की और कहा, ‘आरके पचनन्दा के बारे में इतना कह सकता हूँ कि ये रिटायर हो सकते हैं लेकिन टायर्ड (Tired) नहीं’.
वो पांच खुशकिस्मत :



इस मौके पर उन पांच जवानों को भी केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मानित किया जो 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग (Hot Spring ) इलाके में चीनी सेना के हमले का शिकार हुई पलटन में थे. इस घटना में 10 जवान शहीद हुए थे और कई घायल हुए थे जिनको चीन की पीपल्स आर्मी ने कैद कर लिया था.
वीरता और सम्मान :
आईटीबीपी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में उन अधिकारियों और जवानों को मेडल भी लगाये गये जिनकी घोषणा स्वतन्त्रता दिवस के पूर्व संध्या पर 14 अगस्त 2018 को की गयी थी. सिपाही ड्राइवर सचिन कुमार को जीवन रक्षक मेडल दिया गया. सचिन ने वीरता का ये कारनामा करते हुए शार्ट सर्किट के कारण स्कूल में लगी आग में फंसे बच्चों को बचाया था. ये घटना तब की है जब वो छुट्टी लेकर अपने गाँव गया हुआ था. अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास में तैनाती के दौरान बेहतरीन तरीके से सुरक्षा के काम को अंजाम देने वाले 22 बटालियन के हवलदार सुजान सिंह को उत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया.
बघीरा और मयूर :


कार्यक्रम में दो खास मेहमान भी थे. पहला तो श्वान दस्ते का (खोजी कुत्ता) बघीरा था जिसे गृहमंत्री ने मेडल दिया. बघीरा नक्सलियों के गढ़ छत्तीसगढ़ में तैनात है और उसने नक्सलियों की बिछाई कई बारूदी सुरंगों का वक्त पर पता लगा कर कितनी ही जानें बचाई हैं. दूसरा मेहमान था घोड़ा मयूर जिसने खेल मुकाबलों में आईटीबीपी को सफलताएं दिलाईं.
करतब :




आईटीबीपी जवानों ने इनफील्ड मोटर साइकिल पर कई तरह के स्टंट किये जो लोगों को बहुत पसंद आये. चंडीगढ़ से आये मोटर मकेनिक दस्ते ने व्हीकल ट्रिक का प्रदर्शन किया. उन्होंने पांच मिनट 12 सेकेण्ड में पुलिस जिप्सी को पूरा खोल के न सिर्फ उसके सारे हिस्से अलग अलग किये बल्कि उन्हें फिर से फिट करके वाहन को स्टार्ट कर उसपे सवार होकर चले भी गए. इसी तरह जवानों ने राइफल मैजिक का भी बेहद खूबसूरत प्रदर्शन किया. बेहद चुस्ती और स्फूर्ति से उन्होंने कई तरह की आकृतियाँ बनाकर लोगों का मन मोह लिया.
भारत की चीन से सटी सीमा की पहरेदारी करने वाले आईटीबीपी की स्थापना 24 अक्टूबर 1962 को हुई थी लेकिन इस बार स्थापना दिवस 25 अक्टूबर को मनाया गया.