सेना में देसी बोफोर्स के नाम से चर्चित स्वदेशी तोप ‘धनुष’ का इंतज़ार ख़त्म हुआ. 155 / 45 कैलिबर की ये तोप धनुष आज भारतीय सेना को मिल गई जो भारतीय सेना की आग्नेय शक्ति को खासतौर से बढ़ायेगी.
धनुष को 80 के दशक में खरीदी गई उसी बोफोर्स तोप की तकनीक पर बनाया गया है जो तोप कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की वजह से आम लोगों के भी जेहन में पहुँच गई थी और भारतीय राजनीति में तूफ़ान लाने के साथ साथ सत्ता परिवर्तन का भी एक कारण बनी.
धनुष का डिजाइन बनाने के साथ साथ इसका विकास भी भारत के आर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड की मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित गन कैरिऐज फैक्टरी में किया गया. यहीं पर इसे सेना में शामिल करने का रस्मी कार्यक्रम भी किया गया. धनुष में वही गन प्रणाली है जैसी स्वीडन में बनी बोफोर्स में है. धनुष प्रणाली को बनाने में सहयोग के तौर पर थल सेना (Indian Army ) की भी खासी सक्रियता रही. फिलहाल सेना के तोपखाने में अभी 6 धनुष तोपें आईं है लेकिन थल सेना ने 110 तोपें खरीदने के लिए ऑर्डर भी दिया है.
लम्बी दूरी तक मार करने वाली भारत में बनी ये पहली तोप है. पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध की दिशा तक मोड़ देने का दम रखने वाली प्रणाली से लैस बोफोर्स तोप ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल संघर्ष में अपने दम ख़म का लोहा मनवा लिया था. धनुष को पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर तैनात किया जाएगा.