महेंद्र फौजी गिरोह से छुड़ाई गई वो नन्हीं किट्टू अब अमेरिका में पीएचडी कर रही है

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अपह्रत किट्टू की आईपीएस अधिकारी बृजलाल (इनसेट में) को लिखी चिट्ठी और उसकी अभी की फोटो.

मैं तीन दिन पहले अपने पुराने कागजात पलट रहा था तो मुझे नन्ही सी बच्ची किट्टू का पत्र मिला, जिससे मेरी पुरानी स्मृतियाँ ताज़ी हो गयीं. मैंने पहले किट्टू की माँ डॉक्टर नीरा सेठ का मेरठ से नम्बर प्राप्त किया और किट्टू द्वारा लिखे गये पत्र को शेयर किया. किट्टू का अमेरिका से फ़ोन 17 मई 20 की शाम को आ गया और अपना फ़ोटो भी भेजा. किट्टू (कत्यानी सेठ) उच्च शिक्षा के बाद अमेरिका से पीएचडी पूरी कर रही है. मैं पूरी घटना शेयर कर रहा हूँ.

1 जुलाई 1991

लगभग चार वर्षीय अबोध किट्टू का मेरठ के डिफ़ेन्स कॉलोनी से फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया था जो शहर से सनसनीखेज़ अपहरण की पहली घटना थी. किट्टू की माता डॉक्टर नीरा और पिता डॉक्टर दीपक सेठ कामयाब चिकित्सक थे. इस घटना से मेरठ में हाहाकर मच गया, मेडिकल कॉलेज सहित सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम विरोध में बंद कर दिए गये. दस लाख रुपये की फिरौती माँगी गयी जो उस समय बहुत बड़ी रक़म थी.

अपह्रत किट्टू की आईपीएस अधिकारी बृजलाल को लिखी चिट्ठी.

2 जुलाई 91

मेरे पुलिस महानिदेशक श्री वी के जैन ने मुझे 2 जुलाई 91 को लखनऊ बुलाया. मैं उस समय वाराणसी में SP EOW CID के पद पर तैनात था, वहाँ मुझे सजा के तौर पर मुलायम सिंह सरकार ने भेजा था और मेरे विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चल रही थी. कारण- मुलायम सिंह जी द्वारा ही मुझे SSP इटावा मुख्यमंत्री होते ही तैनात किया गया था. मैंने शिवपाल सिंह के ख़िलाफ़ 9 अप्रैल 90 को मुकदमा कायम किया था, जो थानाध्यक्ष शाह आलम खान की थाने में पिटाई करके 25 मुलज़िम छुड़ा लेने से सम्बंधित था.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी ने मुझे SSP Meerut तैनात करने का निर्णय लिया है और मुझे तुरंत प्रस्थान करना है क्योंकि डॉक्टर दम्पत्ति की पुत्री के अपहरण से मेरठ में हाहाकर मचा है.

बतौर मेरठ के एसएसपी आईपीएस अधिकारी बृजलाल द्वारा मुक्त कराई गई किट्टू अब ऐसी है.

3 जुलाई 91

मैंने 3 जुलाई 91 को एसएसपी (SSP) का कार्यभार ग्रहण किया और सर्किट हाउस में डाक्टरों का बड़ा डेलिगेशन (Delegation) मुझसे मिला जिसकी अगुवाई मेरठ मेडिकल कॉलेज की प्रिन्सिपल डॉक्टर उषा शर्मा कर रही थीं.

4 जुलाई 91

शाम मुझे एक शुभेक्षु ने जानकारी दी और मैं उनकी कार में अपने पेशकार के साथ चुपके से मवाना मेरठ में तीन बदमाशों के घर देख आया. उसी दिन शाम आठ बजे अपनी टीम को लेकर छापा मारा जहां किट्टू के कपड़े, जूते मिल गये परंतु किट्टू नहीं मिल पायी, बदमाशों ने ठिकाना बदल दिया था. एक बदमाश मिल गया. जिसको लेकर वहीं से मैंने भोर में NOIDA में छापा मारकर दूसरे बदमाश को उठा लिया. उसने तीसरे बदमाश का नाम बताया जिसने किट्टू को बुलन्दशहर के कुख्यात गैंग लीडर महेंद्र फ़ौजी के ठिकाने पर पहुँचा दिया था और फिरौती फ़ौजी माँग रहा था.

मैंने टीम के साथ नोएडा से मेरठ आठ बजे सुबह इस बदमाश को भी उठा लिया जिसने अपनी कार से बच्ची को सयाना बुलन्दशहर में बुगरासी के पास एक गाँव में पहुँचा दिया था. पुलिस लाइन पहुँचकर मैंने गाड़ियों में तेल भरा और बिना नाश्ता किए सीधे बुलन्दशहर के गाँव पहुँचा जहाँ किट्टू के कपड़े मिल गये परंतु उसको एक बदमाश अपने साथ छिपने के लिए गाँव के बाहर ले गया था. मैंने बुगरासी के विडीयो सिनेमा और सयाना तहसील के सिनेमा हाल छान मारे परंतु निराशा हाथ लगी. फोर्स बिना खाये बेहाल थी. मैं खाना-पानी में समय गँवाना नहीं चाहता था. मैं लौटकर फिर गाँव आया और गन्ने के खेतों में घुसकर हवाई फ़ायर किया. तुरंत किट्टू के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ी. बदमाश उसे छोड़कर भाग लिया था.

आईपीएस अधिकारी बृजलाल. (फाइल फोटो)

5 जुलाई 91

मैंने किट्टू को गोद में उठाया और सीधे मेरठ 5 जुलाई 91 को शाम पाँच बजे वापस आकर किट्टू को उसके माता पिता को सौंपा. डॉक्टर नीरा और उनके पति दीपक बेटी को पाकर भाव विभोर हो गये. शहर के डाक्टरों ने मेरा अभिनंदन किया और कहा कि वे मेरे कार्यकाल में किसी पुलिस कर्मी से इलाज का पैसा नहीं लेंगे और उन्होंने मेरे दो वर्ष से अधिक के कार्यकाल में अपना वादा निभाया.

किट्टू आज अमेरिका और बड़ी बहन बिट्टू IIT मुंबई में कार्यरत है. मुझे उनकी माँ ने किट्टू का वह पत्र भी शेयर किया जो किट्टू की तरफ से मुझे लिखा गया था, जिस पर नन्ही किट्टू का फ़ोटो भी लगा है.

दुर्दांत अपराधी जो पुलिस की गोलियों के शिकार बने. (फाइल फोटो)

किट्टू ने मुझसे तुरंत अमेरिका से बात की और अपना फ़ोटो भी शेयर किया. मैंने 4 जुलाई 91 की शाम सात बजे भोजन किया था और 23 घंटे बाद 5 जुलाई 91 को ही ब्रश करके कुछ खाया था. किट्टू बिट्टू मेरी हम उम्र बेटियों संगीता, वंदना और बेटे अपूर्व के साथ काफ़ी हिल-मिल गयी थी. मेरठ में तैनाती के तीसरे दिन यह कामयाबी मिली और मैंने अपना खोया हुआ फार्म वापस पाया, जो जनता दल ( अब समाजवादी) पार्टी की सरकार में प्रताड़ित करके तोड़ने का प्रयास किया गया था.

(इस संस्मरण के लेखक आईपीएस अधिकारी बृजलाल हैं जो उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक के पद पर से सेवानिवृत्त हुए. वह उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं और वर्तमान में बीजेपी से सम्बद्ध भी हैं. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर 18 मई 20 को पोस्ट किये गये इस लेख को उन्होंने रक्षक न्यूज़ के साथ भी साझा किया है)