CRPF ने सीखा : बिना मारपीट और गाली-गलौच के कैसे हो काम

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प्रशिक्षण कार्यशाला
सीआरपीएफ कर्मियों की प्रशिक्षण कार्यशाला

गुरुग्राम के कादरपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) अकादमी में 17 व 18 अगस्त, 2018 को आयोजित “अहिंसक पोलिसिंग, संघर्ष समाधान एवम् संवाद” विषय पर हुई दो दिवसीय कार्यशाला दिलचस्प रही. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की योजना के तहत यह कार्यक्रम गांधी स्मृति ने आयोजित किया.

अकादमी प्राचार्य कमांडेंट अशोक स्वामी, डिप्टी कमांडेंट ठाकुर दिवाकर सिंह के साथ करीब 42 सीआरपीएफ कर्मियों ने प्रशिक्षण कार्यशाला में हिस्सा लिया. सभी ने विषय की सार्थकता को प्रासंगिक बताया. गांधीजी के अहिंसक समाधान मार्ग को अपनाने का हरसंभव प्रयास का वादा भी किया. श्री स्वामी ने तो इस तरह की कार्यशाला को नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाने का विचार व्यक्त किया.

सीआरपीएफ प्रशिक्षण कार्यशाला
सीआरपीएफ कर्मियों की प्रशिक्षण कार्यशाला में अपना अनुभव बताते अफसर और कार्मिक

महानिरीक्षक आरपी सिंह ने प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र वितरण के दौरान कहा कि देश के आंतरिक हिस्सों, अशांत क्षेत्रों में नियुक्ति के वक्त कार्यशाला में बताई गई तकनीकों का पालन करने का प्रयास करें. इस बात का ध्यान रखें कि उपद्रव करने वाले भी देश के नागरिक हैं. महिलाओं और बच्चों का सैनिक कार्रवाई के दौरान सहानुभूतिपूर्वक ध्यान रखें. नियुक्ति क्षेत्र में आसपास के निवासियों से अच्छे संबंध बनाएं, स्वास्थ्य, शिक्षा, सेवा/सहायता आदि कार्यों से उनका दिल जीतें. उन्होंने प्रशिक्षुओं के परिवारीजनों के लिए भी इस तरह के सीमित अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी, जिसका सभी ने स्वागत किया.

कार्यशाला में अहिंसक संघर्ष समाधान के तौर तरीकों, लोगों का विश्वास जीतने के तरीकों, परस्पर प्रेमपूर्ण सम्मानजनक संवाद व व्यवहार के तरीकों पर खुलकर बातें की गई. हिंसक तौर तरीकों को यथासंभव कम करने, केवल प्राणरक्षा व देश रक्षा की कीमत पर सख्ती करने के बहुविध तौर तरीकों पर खुलकर विचार विमर्श हुआ. बहुत सी ऐसी परिस्थितियों का जिक्र आया जहां धोखेबाजी से खतरे की भी बात हुई. उन्हें तत्काल परिस्थितियों का विश्लेषण कर अहिंसक तरीके से निपटने के मार्ग सुझाये गए.

संघर्ष होने की स्थिति उत्पन्न होने से पहले स्थिति पर काबू पाने के तरीके बताए गए. अंत में उनके ही कार्यक्षेत्र से जुड़ी कुछ परिस्थितियां दी गईं जिसके अहिंसक समाधान उन्होंने, दो दिन की कार्यशाला में मिली सीख के अनुसार प्रस्तुत किए.