उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारतीय सेना के मेजर कमल कालिया की अर्धप्रतिमा का आज अनावरण किया गया. मेजर कालिया भारतीय सेना के एक बहादुर और शानदार अधिकारी थे . उन्होंने असम में उल्फा (ulfa) आतंकवाद के दौर में कई ऑपरेशन किए थे और ऐसे ही एक ऑपरेशन के दौरान 1993 में एक हादसे में उनकी जान चली गई थी . मेजर कमल कालिया को शौर्य चक्र ( मरणोपरांत ) से सम्मानित गया था .
लखनऊ की महापौर ( mayor) सुषमा खरकवाल ने आज ( 24 जुलाई 2023) मेजर कालिया की प्रतिमा का अनावरण किया. मेजर कमल कालिया की पत्नी ( वीर नारी ) अर्चना कालिया और परिवार के अन्य सदस्य , सेना के सेवारत और रिटायर्ड अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे. लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड ) सतीश दुआ भी इस अवसर पर उपस्थित थे जोकि कालिया परिवार के रिश्तेदार भी हैं .
उत्तर प्रदेश सरकार ने जनवरी 2023 में, मेजर कमल कालिया ( major kamal kalia ) के बलिदान को श्रद्धांजलि देते हुए लखनऊ के गोमती नगर में ‘विराम खंड भवन क्रॉसिंग’ का नाम बदलकर ‘अमर शहीद मेजर कमल कालिया’ क्रॉसिंग करने का निर्णय लिया था.
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 5 जनवरी 1958 को पैदा हुए मेजर कमल कालिया का परिवार पंजाब के होशियारपुर से ताल्लुक रखता था. हालांकि कमल कालिया और और उनके भाई बहनों की परवरिश चेन्नई में ही हुई. कमल कालिया ने तमिलनाडु में ही सैनिक स्कूल से पढ़ाई की. वह शुरू से ही सेना की सेवा में जाने को आतुर थे. 1979 में इंडियन मिलिटरी एकेडमी ( आईएमए) देहरादून से पास आउट होकर उन्होंने 21 साल की उम्र में भारतीय थल सेना में कमीशन हासिल किया. पहले वह मद्रास रेजीमेंट की 4 मद्रास बटालियन में थे लेकिन बाद में वह 11 मद्रास में चले गए . श्रीलंका में भेजी गई भारतीय शान्ति सेना में भी उन्होंने सेवाएं दी थीं . तब उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम ( लिट्टे – ltte )आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशंस में भी हिस्सा लिया था .
चौदह साल की सेवा के दौरान शानदार सैनिक बने कमला कालिया को 1993 में तरक्की मिली और वह कैप्टन से मेजर बनाए गए . इसके बाद उनकी तैनाती असम में हुई क्योंकि उनकी यूनिट 11 मद्रास वहां तैनात की गई थी. असम में उल्फा आतंकवादियों से निपटने के लिए उनके गढ़ तिनसुखिया और डिब्रूगढ़ में ऑपरेशन राइनो ( ops rhino ) छेड़ा गया था. यह 1992 – 93 की बात थी . मेजर कालिया ने अपनी ज़िम्मेदारी वाले क्षेत्र में शानदार इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाया और एक के बाद एक कई कामयाब ऑपरेशन करते हुए उल्फा आतंकवादियों के खिला कामयाब कार्रवाइयां कीं . उल्फा के बड़े लीडर माने जाने वाले प्रकाश दत्ता को भी उन्होंने ही पकड़ा था .
ऐसा ही एक बड़ा ऑपरेशन करने के लिए मेजर कमल कलिया 9 अप्रैल 1993 को अपने दल बल के साथ जा रहे थे. उनको खुफिया जानकारी मिली थी कि उल्फा का चेयरमेन रंतु निओग एक मारुती कार से मोरान – डिब्रूगढ़ रोड से जाएगा. मेजर कालिया उसी तरफ जा रहे थे जब उनके वाहन को एक यात्री बस ने टक्कर मार दी . इसी हादसे में यह बहादुर अधिकारी मारा गया . मेजर कमल कालिया के साहस भरे काम और उपलब्धियों को देखते हुए सरकार ने उनको शौर्य पदक ( मरणोपरांत ) से सम्मानित किया .