सेनाध्यक्ष जनरल रावत परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन सलारिया के परिवार से मिले

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शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया के भाई सुखदेव सिंह सलारिया, बहन और दामाद से मिले जनरल बिपिन रावत.

भारत के सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन सिंह रावत ने परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया के भाई सुखदेव सिंह सलारिया और परिवार वालों से उनके घर जाकर मुलाक़ात की. शान्ति सेना के हिस्से के तौर पर अफ्रीकी देश कांगो में एक ऑपरेशन के दौरान कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया ने शहादत पाई थी. संयुक्त राष्ट्र के शान्ति सेना के मिशन के दौरान, अदम्य साहस और वीरता के साथ अपने कर्तव्य का पालन करते हुये सर्वोच्च बलिदान करने वाले कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, पहले और एकमात्र भारतीय सैनिक थे जिन्हें विदेश में ऐसे सैन्य ऑपरेशन के लिए परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से नवाज़ा गया. कैप्टन सलारिया राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पास करने वाले पहले छात्र थे और भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करने वाले पहले अधिकारी भी थे.

शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया के भाई सुखदेव सिंह सलारिया से मिले जनरल बिपिन रावत.

जनरल बिपिन रावत के साथ 9 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिग (जीओसी) भी सलारिया परिवार से पंजाब के पठानकोट में मिले. उन्होंने भारतीय सेना की तरफ से इस परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया. असल में ये, अपने नायकों के परिवारों का ख्याल रखने की परम्परा और नीति के साथ उनसे भावनात्मक रूप से लगाव का द्योतक है. इसी के तहत जनरल रावत और सैन्य अधिकारियों ने कैप्टन सलारिया के भाई सुखदेव सिंह सलारिया के अलावा उनकी बहन, भतीजे और दामाद से मुलाक़ात की. भारतीय सेना इस वर्ष को पूर्व सैनिकों के आश्रितों के वर्ष (Year of The Next of Kin) के तौर पर भी मना रही है. इसके तहत अधिकारी सैनिकों के परिवारों को मिलते और उनकी मदद करते हैं.

कौन थे कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया :

कैप्टन सलारिया के पिता मुंशीराम भी फौजी थे. वे ब्रिटिश इन्डियन आर्मी की हडसन हॉर्स की डोगरा स्क्वाड्रन में थे. सैनिक पिता की सुनाई सेना की कहानियों-किस्सों से प्रेरित होकर गुरबचन सिंह सलारिया ने भी सेना का हिस्सा बनकर उसकी सेवा करने का मन बनाया था. 29 नवम्बर 1935 में पंजाब के शंकरगढ़ (वर्तमान में पाकिस्तान का क्षेत्र) के पास जन्वाल गाँव में पैदा हुए गुरबचन सिंह पांच भाई बहनों में बड़े थे.

परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया.

बंटवारे के बाद सलारिया परिवार भारत के हिस्से वाले पंजाब के गुरदासपुर आ बसा था. गाँव के स्कूल में पढ़ने के बाद उनका 1946 में दाखिला किंग जॉर्ज रॉयल मिलिटरी कॉलेज,बेंगलोर (अब राष्ट्रीय मिलिटरी स्कूल) में कराया गया लेकिन अगस्त 1947 में उन्हें किंग जॉर्ज रॉयल मिलिटरी कॉलेज, जलंधर भेज दिया गया. वहां से पास होते ही उन्हें नेशनल डिफेन्स एकेडमी (एनडीए) के संयुक्त सेवा विंग में भर्ती होने का मौका मिला.

1956 में एनडीए से स्नातक होने के बाद उन्होंने 1957 में आईएमए से शिक्षा पूरी की. शुरू में उन्हें 3 गोरखा राइफल्स की दूसरी बटालियन में कमीशन दिया गया लेकिन 1960 में 1 गोरखा की तीसरी बटालियन में ट्रांसफर किया गया.

अव्वल थे और नंबर -1 ही बने जान देने के बाद भी कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया