कश्मीर में इस नन्हीं जान को बचाने के लिए देवदूत बनी सीआरपीएफ हेल्पलाइन

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सीआरपीएफ की वजह से इस बच्चे को नई जिंदगी मिली.

श्रीनगर के दिहाड़ी मज़दूर 30 साल के ताहिर अहमद डार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा जब अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि उसके पाँच दिन के बेटे की हालत ठीक नहीं हैं और उसे पैदायशी दिल का रोग है. ताहिर और 27 वर्षीय हुमैरा का बेटा उनकी पहली सन्तान थी. उनके पाँव के नीचे से ज़मीन खिसक गई जब डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को बचाने के लिए उसे दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाना होगा. असल में बच्चे के दिल का तुरंत ऑपरेशन किये जाने की ज़रुरत थी.

इकलौती सन्तान की इस हालत के साथ साथ ताहिर की बेबसी और चिंता को और बढ़ा दिया कोविड संकट के कारण लॉक डाउन के बीच श्रीनगर को हॉटस्पॉट घोषित किये जाने से. इससे भी बडी फ़िक्र थी इलाज के खर्च के लिए रकम का इंतजाम. ताहिर ने इस बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी जिसे उसके ऐसे दोस्त ने पढ़ा जो दवाओं का कारोबार करता था. ताहिर के दोस्त ने इस बारे में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ -CRPF) की हेल्पलाइन ‘मददगार’ (Madadgaar) पर फोन कॉल किया जिसे आसिफ़ उल रहमान नाम के एक सिपाही ने सुना और मंगलवार को सिपाही की मदद से बच्चे को शेर ए कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (SKIMS) में पहुँचाया गया. वहां आपातकालीन स्थिति में बच्चे को बचाने के लिए इलाज किया गया.

ताहिर अहमद डार और उनका बेटा.

ताहिर का कहना है कि उसे पहले डॉक्टरों ने बताया था कि बच्चे के इलाज पर पांच लाख रुपये तक खर्च आ सकता है. ताहिर के पास तो पैसा था ही नहीं. उसने बताया कि उसके दोस्त के सम्पर्क करने पर सीआरपीएफ के कुछ लोग आये जिन्होंने उसे कुछ पैसा दिया ताकि इलाज शुरू हो सके. नवजात की इस बीमारी का पता तब चला जब वो माँ का दूध भी नहीं पी पा रहा था. ताहिर का कहना है कि बच्चा पैदा होने के बाद से ही अस्पताल में है लेकिन अब डॉक्टरों ने बताया है कि वो वेंटिलेटर पर है लेकिन ठीक हो रहा है.

सीआरपीएफ की ‘मददगार’ ने भी बच्चे की फोटो ट्वीट करते इस सूचना को साझा किया है. इसमें कहा गया है सीआरपीएफ ने बच्चे की सर्जरी कराने में परिवार की सहायता की है और बच्चे की हालत अब स्थिर है. इस नवजात को Cyanotic Congenital Heart Defect था और शेर ए कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस में इसकी आपात Atrial Septostomy की गई है.

सिपाही आसिफ़ उल रहमान ने कहा कि बच्चे को जल्दी से जल्दी इलाज की ज़रुरत थी. लॉक डाउन के हालात के बीच बताया कि बच्चे को दिल्ली में सुरक्षित तरीके से एम्स पहुंचाने के लिए वाहन का बन्दोबस्त करने जैसी दिक्कतें थीं. ऐसे में सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्टरों से बात की. डॉक्टरों ने तुरंत बच्चे का इलाज शुरू कर दिया. सीआरपीएफ ने 30 हज़ार रूपये अस्पताल और दवाओं के खर्च के लिए दिए. सिपाही रहमान का कहना था, ‘ हमें ख़ुशी है कि बच्चा अब बेहतर है’.