उफनती ब्रह्मपुत्र में डूबती मां और आंटी को निकाला 11 साल के कमल किशोर दास ने

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कमल किशोर दास
11 साल के कमल किशोर दास ने अपना जीवन दांव पर लगाकर ब्रम्हपुत्र नदी में तीन बार छलांग लगाई अपनी मां और आंटी को बचा लिया. फोटो साभार : संजीव चौधुरी

सिर्फ 11 साल के बालक कमल किशोर दास ने जो कारनामा किया, वो कभी कभी बड़े बड़े महारथियों के बस का भी नहीं होता. क्योंकि उसने जिस तरह उफनती ब्रह्मपुत्र नदी का सीना चीरकर, डूबती हुई अपनी माँ, एक रिश्तेदार और एक और महिला को बचाया उसके लिए जितनी ताकत चाहिए उससे कई गुना ज्यादा तो साहस चाहिए. तेज प्रवाह वाली ब्रह्मपुत्र में इन एक एक करके महिलाओं को पानी से बाहर निकालने के लिए उसने तीन बार अपनी जान की बाज़ी लगाई. लेकिन उसे अफ़सोस है कि तीसरी बार में वो जिस महिला को बचाने में कामयाब हो गया था वो जिन्दा न रह सकी और अपने बच्चे को बचाने की कोशिश में खुद भी नदी के बहाव में बह गई.

बिना वर्दी वाले इस असली रक्षक कमल की इस बहादुरी भरी खबर को केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट किया है.

भारत के पूर्वोतर राज्य असम की इस वीरता भरी असली गाथा का हीरो है उत्तरी असम के सेंट एंथनी स्कूल की छठी क्लास का छात्र कमल किशोर दास. तैराकी के कौशल, ताकत, प्यार और इंसानियत के जज्बे के साथ हौसले की की ये घटना बुधवार यानि 5 सितम्बर 2018 की है.

कमल किशोर दास
11 साल के कमल किशोर दास ने अपना जीवन दांव पर लगाकर 20 मिनट के अंदर ब्रम्हपुत्र नदी में तीन बार छलांग लगाई अपनी मां और आंटी को बचा लिया. हालांकि कमल को अफसोस है कि वह एक अन्य महिला और उनके बच्चे को नहीं बचा पाया. फोटो साभार : संजीव चौधुरी

उस दिन किशोर अपनी नानी को ब्रह्मपुत्र नदी के उस पार उसके घर छोड़कर माँ जितोमोनी दास के साथ नाव में लौट रहा था. यहाँ के लोगों के लिए नाव से आना जाना एक रोजमर्रा का काम है और नदी का प्रवाह उनके इस रूटीन में बहुत कम मौके पर ही बाधा बनता है. लेकिन बुधवार को ये नाव किनारे पर पहुंचने से पहले ही वहां गडे एक खम्बे से टकरा कर पलट गई. जितोमोनी दास ने अपने बेटे को कहा की वो अपने जूते उतार दे और तैरकर उस पार चला जाये. इस नदी में अक्सर तैरने वाले कमल ने वैसा ही किया लेकिन जब वो किनारे पहुंचा तो उसे अहसास हुआ कि माँ तो उसके पीछे पीछे आ ही नहीं पाई और ख्याल आया कि उसकी माँ को तैरना आता भी नहीं. लिहाज़ा कमल माँ को खोजने के लिए उसी तेज जलप्रवाह में कूद गया.

कमल किशोर दास
यह 11 साल का वही कमल किशोर दास है जिसने अपना जीवन दांव पर लगाकर ब्रम्हपुत्र नदी में तीन बार छलांग लगाई अपनी मां और आंटी (दोनों फोटो में हैं) को बचा लिया. फोटो साभार : संजीव चौधुरी

कमल किशोर दास को तब माँ तो दिखाई दी लेकिन वो लगभग डूब गई थी. किसी तरह उसने माँ को बालों से पकड़कर ऊपर खींच लिया. तभी उसकी नज़र अपनी रिश्तेदार पर पड़ी जिन्हें वो आंटी कहता है. उसने दूसरी कोशिश में आंटी को भी बचा लिया. यकायक उसे ये भी ध्यान आया कि उस नाव में छोटे से बच्चे के साथ एक बुर्कानशीं महिला भी थी. नदी में नजर दौड़ाकर वो फिर से पानी में उतरकर दुर्घटना वाली जगह पर पहुँच गया जिसमें उसको तकरीबन 20 मिनट फिर लगे. उस महिला को भी उसने पानी से खींच लिया और पास के जलाशय के स्लैब तक पहुंचा दिया. महिला को सुरक्षित जगह का सहारा मिल गया लेकिन उसका बच्चा फिसल गया. तेज़ बहाव से बच्चे को निकालने महिला भी नदी में कूदी लेकिन न बच्चे को बचा सकी और न ही खुद को. कमल को इस बात का बेहद अफ़सोस है कि वो महिला और उसका बच्चे को न बचा सका.

आसपास के इलाके ही नहीं, सोशल मीडिया के जरिए तो कमल की बहादुरी का किस्सा दूर दराज़ तक पहुँच रहा है. इस लेख के लिखने में भी फेसबुक से संजीव चौधुरी का कंटेंट और फोटोग्राफ (साभार) लिए जा रहे हैं. इसमें टाइम्स आफ इण्डिया से भी घटना से जुड़ी जानकारियाँ ली गयी हैं.