उत्तराखंड में विश्व पर्यावरण दिवस का उत्सव : पौधे लगाए , ईको ब्रिक्स बनाई , सफाई अभियान शुरू

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विश्व पर्यावरण दिवस पर नैनीताल ज़िले के टाना गांव के प्राइमरी स्कूल व आंगनवाडी केंद्र के प्रांगण में पौधारोपण
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर  बुधवार (  5 जून 2024 ) को  रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन की तरफ से उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल  में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. पौधारोपण , प्लस्टिक की बोतलों से ‘ईको ब्रिक्स’  बनाना और क्षेत्र में सफाई अभियान की शुरुआत इसमें ख़ास रहे. कार्यक्रम का आयोजन नैनीताल ज़िले के टाना गांव के प्राइमरी स्कूल व आंगनवाडी केंद्र के प्रांगण में हुआ लेकिन इसमें टाना निवासियों  के अलावा आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों ने भी हिस्सा लिया. यूं तो  करीब करीब सभी वर्ग और उम्र के लोग,  पर्यावरण की रक्षा को समर्पित , इस आयोजन में शामिल हुए लेकिन बच्चों का उत्साह देखने लायक था .

कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और पौधों की पूजा से हुई जिसके तुरंत बाद स्कूल परिसर में पौधारोपण किया गया . प्रकृति संरक्षण का संदेश देते  गीतों  और लोक संगीत का आनंद भी लोगों ने लिया . स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.  पर्यावरण को लेकर पेश आ रही नई  पुरानी चुनौतियों और उनसे निपटने के उपायों पर चर्चा हुई.

कार्यशाला में ‘ ईको ब्रिक्स ‘ बनाने की प्रक्रिया समझाई गई ( फोटो : माया लोधियाल )

पर्यावरण संरक्षण के तहत प्लास्टिक व अन्य प्रकार के ‘ नॉन बायोडिग्रेडेबल ‘ ( non biodegradable) और घरेलू कचरे के सुरक्षित निस्तारण जैसे विषय पर  एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें ‘ईको ब्रिक्स ‘  ( eco bricks) की अहमियत और इन्हें बनाने व इस्तेमाल करने के तरीके बताए गए. पानी , कोल्ड ड्रिंक्स और तेल आदि की खाली,  बेकार या फेंकी गई बोतलों में  पोलीथिन, चिप्स बिस्किट्स जैसे स्नैक्स के खाली पैकेट , टॉफी चॉकलेट के खाली रैपर आदि वह ‘नॉन बायोडिग्रेडेबल ‘ कचरा भरा जाता है जो बरसों बरस गलता नहीं है. ऐसा कचरा फैलने से गंदगी तो दिखाई देती ही है, यह पृथ्वी को ज़हरीला भी करता है और ज़मीन की पानी सोखने की क्षमता भी कम करता है. अक्सर आवारा पशु भी इनको गलती से खा लेते है जो उनकी बीमारी व मृत्यु का कारण भी बनता है .

इसी के साथ क्षेत्र के मुख्य मार्ग नथुवाखान – गढ़गांव रोड और उसके आसपास के रास्तों पर फैले नॉन बायो डिग्रेडेबल कचरे को समेटने और  हटाने के लिए अभियान की शुरुआत की गई. सड़क किनारे का यह ज्यादातर वह कचरा है जो यहां से वाहनों में गुजरते या राहगीर फेंकते हैं. इनमें पानी , कोल्ड ड्रिंक्स और शराब की खाली बोतलें , तम्बाकू – पान मसाला आदि के खाली पाउच व स्नैक्स के खाली पैकेट्स थे. यहां से हटाए गए कचरे का काफी हिस्सा ईको ब्रिक्स बनाने में इस्तेमाल किया गया.

कार्यक्रम के आयोजन में स्कूल की प्रधानाचार्या रेजिना रिखे  और आंगनवाड़ी केंद्र प्रभारी अंकिता आर्य का सहयोग रहा जबकि स्थानीय निवासी दीपा लोधियाल  ने संयोजन में भूमिका निभाई. इंडिया एजुकेशन कलेक्टिव के प्रतिनिधि रामगढ़ ब्लॉक प्रभारी श्री नवीन ने भी पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला में विशेष दिलचस्पी दिखाई. सफाई अभियान स्थानीय निवासी मधु गौतम की पहल पर शुरू किया गया जो स्थानीय बच्चों को निशुल्क पढ़ाती हैं और उन्हें फिटनेस के प्रति जागरूक भी करती हैं . कुछ – कुछ समय के अंतराल पर इस अभियान को श्रमदान के ज़रिये नियमित रूप से चलाए जाने का निर्णय भी लिया गया. दौड़ एवम फिटनेस को लेकर बच्चों व युवाओं को प्रोत्साहित करने वाले एनजीओ ‘भागता भारत ‘ के वॉलंटियर भी इस कार्यक्रम  में शामिल हुए.

विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल में सफाई अभियान ( फोटो : माया लोधियाल )

दिलचस्प है कि कार्यक्रम में शामिल हुए ज़्यादातर लोग थीम के मुताबिक़ प्रकृति से जुड़े  हरे रंग  के परिधान पहने हुए थे. कुमांऊ क्षेत्र में  इस तरह के सामुदायिक आयोजनों में लोकप्रिय परम्परागत खाना ‘ आलू का गुटका व सूजी का हलवा ‘ बेडू के पत्तों पर परोसा गया जिसे लोगों ने काफी सराहा. रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन ( rakshak world foundation) के अध्यक्ष संजय वोहरा ने कार्यशाला में  ‘ ईको ब्रिक्स ‘ बनाने की प्रक्रिया समझाई और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. कुल मिलाकर विश्व पर्यावरण दिवस 2024 ( world environment day 2024) का यह यह आयोजन एक उत्सव में तब्दील हुआ .