
रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ इस पाठ्यक्रम के दौरान 26 मित्र देशों के 38 अधिकारियों सहित 480 छात्र अधिकारी 45 हफ्ते से ज्यादा की अवधि के दौरान प्रत्येक सेवा के कामकाज के साथ-साथ सामरिक और परिचालन स्तर पर युद्ध दर्शन की गहरी समझ भी हासिल करेंगे.
डीएसएससी के कमान्डेंट लेफ्टिनेंट जनरल वीरेन्द्र वत्स ने छात्र अधिकारियों को संबोधित करते हुए युद्ध की गतिशील प्रकृति और चरित्र, वीयूसीए विश्व की विशेषताओं के साथ-साथ इस बारे में भी प्रकाश डाला है कि डीएसएससी द्वारा छात्र अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे सशक्त बनाया जाएगा. उन्होंने थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्वय और एकीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए आधुनिक युद्ध में सहज सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सेवा की विशिष्ट क्षमताओं को समझने की अहमियत पर जोर दिया.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल वत्स ने छात्र अधिकारियों के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और भारत के सैन्य और सुरक्षा परिदृश्य पर प्रभाव डालने वाले भू-राजनीतिक मुद्दों की मजबूत समझ विकसित करने की जरूरत पर भी प्रकाश डाला. यह जागरूकता अधिकारियों को उचित निर्णय लेने और सैन्य रणनीतियों में प्रभावी रूप से योगदान देने में सक्षम बनाएगी.
अपनी तरह की इस प्रथम पहल में 80वें स्टाफ कोर्स ने भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और मित्र देशों के चुनिंदा छात्र अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया कोर्स भी शुरू किया है. यह कोर्स युद्ध में संयुक्तता और एकीकरण के लिए एक सहयोगी और अंतर-सेवा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके करियर के शुरुआती चरण में अंतर-सेवा समझ और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा. इस तरह यह कोर्स इन अधिकारियों को थिएटर कमांड के आगामी युग में नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएगा.