पुलिस सुधार कार्यक्रम लागू न करने की राज्य सरकारों की नीयत पर उठे सवाल

167
भारत में पुलिस
भूषण लाल वोहरा की लिखी ऑटोबायोग्राफी ' द अनलाइकली पुलिस चीफ' (the unlikely police chief ) के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहे एन एन वोहरा.

भारत में पुलिस की सेना से भी बड़ी चुनौतियों हैं लेकिन अफ़सोस ये है कि राज्य सरकारें पुलिस को लेकर उतनी संवेदनशील और संजीदा नहीं हैं जितनी उनको होना चाहिए. पुलिस को यहां एक तरह के राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. बरसों तक ऐसे फैसले नहीं लिए जाते जो पुलिस के कामकाज को बेहतर कर सकते हों. यहां तक कि पुलिस सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के 26 साल पुराने निर्देशों का भी अभी तक पूरी तरह पालन नहीं किया गया.

ऐसी तमाम बातें शुक्रवार को भारत की अफसरशाही में लोकप्रिय रहे अधिकारियों ने, नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में त्रिपुरा के पूर्व पुलिस महानिदेशक भूषण लाल वोहरा की लिखी ऑटोबायोग्राफी ‘ द अनलाइकली पुलिस चीफ’ (the unlikely police chief ) के विमोचन कार्यक्रम के अवसर पर कही. जम्मू कश्मीर में 10 साल तक राज्यपाल रहे एन एन वोहरा यहां मुख्य अतिथि थे. उत्तर प्रदेश पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक रहे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह और भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे सिद्धार्थ लूथरा भी इस कार्यक्रम के मंच पर मौजूद थे. दर्शकों में दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जे डी कपूर के अलावा बड़ी तादाद में, रिटायर्ड पुलिस व सेना के अधिकारी भी थे.

भारत में पुलिस
त्रिपुरा के पूर्व पुलिस महानिदेशक भूषण लाल वोहरा की लिखी ऑटोबायोग्राफी ‘ द अनलाइकली पुलिस चीफ’ (the unlikely police chief ) का विमोचन कार्यक्रम

भारत नगर का बेटा भूषण :

रिटायर्ड आईपीएस बीएल वोहरा की ‘ द अनलाइकली पुलिस चीफ ‘ ( the unlikely police chief ) 14 वीं किताब है. इसका प्रकाशन कोणार्क पब्लिशर्स ने किया है. इस प्रकाशन गृह की तरफ से श्री वोहरा की तीन किताबें पहले भी छापी जा चुकी हैं. कोणार्क पब्लिशर्स के स्वामी केपीआर नायर ने लेखक श्री वोहरा से अपने बरसों पुराने सम्बन्धों का ज़िक्र करते हुए ऐसे कई किस्से दिलचस्प किस्से बताए जिससे पता चलता है कि बीएल वोहरा एक शानदार पुलिस अधिकारी के साथ साथ बेहतरीन इंसान है जो किसी की भी मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है. कार्यक्रम का संचालन कर रहे पत्रकार विजय क्रान्ति ने भी श्री वोहरा के मिलनसार और मददगार स्वभाव की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे दिल्ली के भरत नगर वालों के लिए श्री वोहरा एक बेटे की तरह हैं. वरिष्ठ ओहदों पर रहते हुए भी वहां के बाशिंदों की छोटी मोटी ज़रूरतों को भी पूरा करने में वे हिचकिचाते नहीं थे.

पुलिस सुधार कार्यक्रम पर बेरुखी :

भारत में पुलिस व्यवस्था के प्रति सरकारों के गैर संजीदा (non serious) रहने की बात जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एन एन वोहरा (former governor of jammu and kashmir) ने जब कही तो पास मंच पर बैठे रिटायर्ड आईपीएस प्रकाश सिंह के संघर्ष का भी ज़िक्र किया जो भारतीय पुलिस व्यवस्था में सुधारों के लिए लगातार जूझ रहे हैं. वे पुलिस सुधारों के लिए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) तक का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं. यही नहीं उनकी तरफ से दायर याचिका पर भारत की सर्वोच्च अदालत ने सरकारों को पुलिस व्यवस्था में सुधार कार्यक्रम (police reforms in india) लागू करने के लिए कहा भी. इसके तहत दिए गए 7 निर्देश बेहद अहम भी हैं. हैरानी की बात है कि आज उस बात को 26 साल हो चले हैं लेकिन राज्य सरकारों ने पुलिस सुधार कार्यक्रम को पूरी तरह से लागू नहीं किया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तैनाती, तबादले और उनके काम में राजनीतिक दखलंदाज़ी खत्म करना इन सुधारों में शामिल किया गया था. प्रकाश सिंह के केस में सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देश जहां कहीं सरकार अमल में लाई भी तो उनको अनमने ढंग से अपनाया गया. वर्तमान में भी अक्सर ये देखने में आता है कि पुलिस महानिदेशक या पुलिस में ऐसे बड़े पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद हो जाता है. कई बार हुआ है जब नियुक्ति या ट्रांसफर के मामले में खुद को पीड़ित समझने वाले अधिकारी ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. ऐसे मामले में अदालत में ‘प्रकाश सिंह बनाम सरकार’ केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला भी दिया जाता है.

पुलिस के कंधे पर सेना से बड़ी ज़िम्मेदारी :

भारत के प्रधानमन्त्री के प्रमुख सचिव से लेकर केन्द्रीय गृह सचिव और रक्षा सचिव तक के अहम ओहदे पर रहे एनएन वोहरा जब कहते हैं कि सरकारें पुलिस के प्रति संवेदनशील नहीं हैं तो सच में इस बेहद अफसोसनाक पहलू पर यकीन तो करना ही पड़ेगा. वे कहते हैं कि पुलिस को सेना से भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हमारे यहां आबादी के हिसाब से पुलिसकर्मियों की संख्या तक सही अनुपात में नहीं है. उन्होंने 1947 से लेकर अब तक आबादी में हुए इजाफे और तब से अब तक पुलिस कर्मियों की संख्या में हुई बढ़ौतरी में असंतुलन का हवाला दिया. एनएन वोहरा का मानना है कि देश की सुरक्षा के लिए पुलिस की भूमिका कहीं ज्यादा है क्योंकि आन्तरिक सुरक्षा उसकी ज़िम्मेदारी है और भीतर के हालात सही नहीं हों तो इसका भारत विरोधी ताकतें फायदा उठाती है. उनका कहना है कि पुलिस व्यवस्था को अधिक ज्यादा गंभीरता से लिए जाने और पुलिस की मदद करने की ज़रूरत है.

भ्रष्ट जजों की भी लिस्ट बनाई :

पूर्व आईपीएस प्रकाश सिंह (prakash singh) ने भी इस कार्यक्रम में कुछ चौंकाने वाली बातें कहीं. लोग तब हैरान हुए जब उन्होंने उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट बनाकर मुख्यमंत्री को भेजने की बात बताई जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. यही नहीं इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के भ्रष्ट आचरण वाले जजों की फेहरिस्त भी उनके कारनामों के साथ चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को भेजी थी. प्रकाश सिंह ने बताया कि ऐसा करने के परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की दोस्ताना सलाह भी उनको मिली थी लेकिन तब तक लिस्ट जा चुकी थी. प्रकाश सिंह का कहना है कि उन सूचीबद्ध भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई. जैसा कि चिंता थी कि कहीं उनके खिलाफ ही अदालत की अवमानना जैसी कार्यवाही न हो जाए, वो भी नहीं हुआ. प्रकाश सिंह कहते है कि शायद उन लोगों को ये भी डर था कि मैं उनकी और पोल पट्टी न खोल दूं.

भारत में पुलिस
विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित लोग

पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मातहत पुलिसकर्मियों के साथ बॉन्डिंग की कमी को भी एक भीतरी समस्या बताया. उन्होंने कहा कि अक्सर अधिकारी निचले स्तर पर पुलिसकर्मियों में निष्ठा की कमी की बात करते हैं लेकिन मुझे लगता है कि इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों का व्यवहार काफी हद तक दोषी है. वे कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की एक ऐसी घटना का ज़िक्र कर रहे थे जब हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए फ़ोर्स के साथ गए एसपी स्तर के अधिकारी मुसीबत में फंस गए. हालात बिगड़ने पर मातहत कर्मी उनको भीड़ में घिरा छोड़कर वापस भाग गए. प्रकाश सिंह का कहना है कि मातहत पुलिसकर्मियों में वरिष्ठ अधिकारी के प्रति निष्ठा की ये कमी इसलिए है क्योंकि अधिकारी अपने नीचे काम करने वालों के कल्याण के बारे में नहीं सोचते. ऐसे में लगाव नहीं पैदा होता.

पुलिस के कामकाज को बेहतर करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का एक उदाहरण उन्होंने और दिया. प्रकाश सिंह ने कहा कि यूपी में 40 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उस अधिकारी के नाम तक का ऐलान तक कर दिया था जिसे कानपुर का पुलिस कमिश्नर बनाया जाना था लेकिन बावजूद इसके वहां कमिश्नर व्यवस्था लागू नहीं की गई. यूपी में पुलिस आयुक्त प्रणाली अब योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद लागू हुई है.

सबको मौका देता है भारत :

कार्यक्रम में सेना, सुरक्षा और राजनयिक विषयों पर लिखने वाले पत्रकार प्रवीन स्वामी भी मौजूद थे. बीएल वोहरा के परिवार के सदस्यों ने विशेष अतिथियों का मंच पर स्वागत किया. कार्यक्रम के आखिरी दौर में लेखक बीएल वोहरा ने बताया कि 1947 में देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार उस हिस्से को छोड़कर आया था जो अब पाकिस्तान में है. अन्य लाखों शरणार्थी परिवारों की तरह के उनके परिवार ने भी संघर्ष किया. उन्होंने कहा कि इस देश की खास बात ये है कि यहां हर किसी को मौका ज़रूर मिलता है लेकिन इसके लिए लगातार कोशिश करने की आवश्यकता है.