डी डे मशाल : 99 वर्षीय पूर्व सैनिक के हाथों नई पीढ़ी के सैनिक को यूं सौंपी गई विरासत

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नॉर्मंडी लैंडिंग की 80वीं वर्षगांठ की याद में मशाल रिले के दौरान पूर्व नौसैनिक पीटर केंट से बात करते ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सूनक

द्वितीय विश्व युद्ध के ऑपरेशन नेपच्यून की याद को तरोताज़ा करती और उसमें शामिल हुए सैनिकों के जज़्बे को सलाम करती ‘ मशाल  रिले ‘ (torch relay ) की शुरुआत लंडन में रॉयल नेवी के पूर्व सैनिक पीटर केंट के हाथों हुई. डी – डे ( D Day ) का अनुभव रखने वाले  99 वर्षीय केंट को प्रधानमन्त्री ऋषि सूनक ने  नॉर्मंडी लैंडिंग की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम की मशाल मध्य लंदन में हॉर्स गार्ड्स परेड में सौंपी . द्वितीय विश्व युद्ध में उस दिन ने मित्र राष्ट्रों के पक्ष में हालात  बदल डाले थे .

समारोह में ब्रिटिश सैनिक, घरेलू डिवीजन के घोड़े, कैडेट और सीडब्ल्यूजीसी वॉलंटियर्स  के साथ-साथ पूर्व सैनिकों के  मामलों के मंत्री जॉनी मर्सर भी शामिल हुए.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “हॉर्सगार्ड्स पर एक नम  लेकिन विशेष सुबह, जब हमने डी-डे के अनुभवी पीटर केंट और प्रधान मंत्री के साथ सीडब्ल्यूजीसी मशाल रिले की शुरुआत की, जो इस साल उस सर्वोच्च प्रयास की 80 वीं वर्षगांठ के स्मरणोत्सव की शुरुआत है.”

पूर्व नौसैनिक पीटर केंट( veteran peter kent) ने मशाल  एक सेवारत सैनिक को सौंपी और फिर यह मशाल  एक आर्मी कैडेट को दी गई. यह रस्म  डी-डे की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रतीक है.

कॉमनवेल्थ वार ग्रेव कमीशन ( commonwealth war graves commission – सीडब्ल्यूजीसी) की तरफ से आयोजित मशाल अब जून में आधिकारिक स्मरणोत्सव के लिए पूर्व सैनिकों के साथ चैनल पार करने से पहले ब्रिटेन के विभिन्न  राजधानी शहरों, प्रमुख कब्रिस्तानों और स्मारक स्थलों की यात्रा करेगी.

श्री सुनक ने कहा, “जून 1944 में नॉर्मंडी के समुद्र तटों पर उतरने वाले सैनिक अंधेरे में डूबे महाद्वीप के लिए आशा की किरण थे.”

नॉर्मंडी लैंडिंग की 80वीं वर्षगांठ की याद में लंडन में कार्यक्रम

इतिहास :
6 जून 1944 को, मित्र सेनाओं के 156,000 से अधिक मित्र फौजी  नाजी-कब्जे वाले फ्रांस में नॉर्मंडी के तट पर उतरे थे. यह घटना इतिहास में डी-डे के रूप में दर्ज हुई और इसने ऑपरेशन नेपच्यून की शुरुआत को चिह्नित किया – जो इतिहास का सबसे बड़ा उभयचर आक्रमण था.

19 अगस्त 1944 को मित्र देशों की सेना का ऑपरेशन नेपच्यून  ( operation neptune ) सीन नदी पार करने तक जारी रहा यह जर्मन-कब्जे वाले यूरोप को मुक्त कराने के लिए चलाए गए व्यापक ऑपरेशन का हिस्सा था.

इसे डी-डे क्यों कहा गया ?
आम धारणा के उलट नॉर्मंडी में ऑपरेशन  के लिए ‘डी-डे’ ( d day ) कोई अनोखा नाम नहीं है.

असल   में यह संयुक्त राज्य अमेरिका (usa) की तरफ से  किए जाने वाले किसी भी सैन्य अभियान की आरंभ तिथि के लिए एक सामान्य शब्द है – ‘डी’ का अर्थ ‘दिन’ है.

इसके अलावा क्योंकि ऑपरेशन ओवरलॉर्ड अमेरिकी जनरल ड्वाइट डी आइजनहावर ( general dwight d eisenhower)  की कमान के अधीन था, शायद इसलिए  अमेरिकी नामकरण परंपरा इस्तेमाल की गई.

‘डी-डे’ और ‘एच-आवर’  ( h hour )  शब्द का उपयोग उस दिन और घंटे के लिए किया जाता है, विशेष रूप से जब दिन और घंटा अभी तक निर्धारित नहीं किया गया हो, या जहां गोपनीयता रखना ज़रूरी  हो.

किसी भी ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाली यूनिटों के लिए ऑपरेशन में केवल एक डी-डे और एक एच-आवर होता है. जब आंकड़ों और प्लस या माइनस चिह्नों के साथ जोड़कर कर इसे इस्तेमाल किया जाता है , तो ये शब्द नियोजित कार्रवाई से पहले या बाद की समय अवधि को बताते हैं.
इस तरह , 6 जून 1944 से पहले का दिन डी-1 के नाम से जाना जाता था और उसके बाद के दिन डी+1, डी+2 आदि थे.