नक्सलियों के कब्ज़े से सीआरपीएफ कमांडो राकेश्वर की सुरक्षित रिहाई

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कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
नक्सलियों की जन अदालत में कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास

केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. इस रिहाई को करवाने में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय पत्रकारों की भूमिका अहम बताई जा रही है. सिपाही राकेश्वर सिंह की रिहाई में मददगार बने लोगों के प्रति सीआरपीएफ ने आभार प्रकट किया है. राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ में अपने गढ़ वाले राज्य छत्तीसगढ़ में सुकमा – बीजापुर बॉर्डर पर जंगल में मुठभेड़ के दौरा अगवा कर लिया था. इस घमासान में 22 सुरक्षा कर्मी शहीद हुए थे और 9 नक्सली भी मारे गये थे.

कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
रिहाई के बाद मध्यस्थों के साथ कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास

सीआरपीएफ 210 कोबरा बटालियन में सामान्य ड्यूटी सिपाही के तौर पर तैनात राकेश्वर सिंह की रिहाई पर आज शाम बयान जारी करते हुए सीआरपीएफ के छत्तीसगढ़ सेक्टर के प्रभारी महानिरीक्षक (आईजी) की तरफ से कहा गया है कि , “सीआरपीएफ की तरफ से उन सभी व्यक्तियों का सहृदय धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने कोबरा जवान को नक्सलियों की गिरफ्त से रिहा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है”. बयान में कहा गया है कि सिपाही राकेश्वर सिंह मिन्हास पूरी तरह से स्वस्थ हैं और नियमानुसार उनका चिकित्सा परीक्षण कराया जा रहा है.

सीआरपीएफ की तरफ से राकेश्वर सिंह की रिहाई की खबर जम्मू में उनके परिवार को मिलने के बाद ख़ुशी का माहौल था. सीआरपीएफ ने राकेश्वर के लौथी परिवार से उनकी बात भी कराई.

कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास रिहाई के बाद सीआरपीएफ कैंप में.

राकेश्वर सिंह की पत्नी मीनू चिब ने बताया कि इससे पहले शनिवार 3 अप्रैल को अंतिम बार पति से बात हुई थी. राकेश्वर ने उनसे कहा था कि वह एक ऑपरेशन पर जा रहे हैं. अपने साथ खाना पैक कर लिया है और लौट कर फोन करेंगे. इसके बाद तीन दिन तक उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया. फोन मिलाते थे और फोन की घंटी भी बजती थी लेकिन कोई कॉल रिसीव नहीं कर रहा था. लेकिन इसके बाद उनके अगवा किये जाने की सूचना मिली. परिवार ने जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील भी की थी कि राकेश्वर को किसी भी कीमत पर जिंदा वापस लाया जाए. राकेश्वर सिंह अपने पिता जगतार सिंह के नक़्शे कदम पर चलते हुए 10 साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. हालांकि उनके पिता का निधन हो चुका है. परिवार में राकेश्वर की पत्नी और पांच साल की बेटी के अलावा माँ और भाई बहन भी हैं.

कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई पर उनके घर पर खुशी का माहौल

राकेश्वर सिंह की छत्तीसगढ़ में तीन महीने पहले ही पोस्टिंग हुई थी. उस दिन मुठभेड़ के बाद जब राकेश्वर के बंधक बनाये जाने की सूचना मिली तो छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार ने राकेश्वर की मुक्ति कराने के लिए कुछ प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत करने के लिए नामित किया था. इस नामित दल में एक सदस्य जनजातीय समुदाय से थे.

कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की पत्नी.

राकेश्वर सिंह के रिहाई के समय की कुछ अप्रमाणित तस्वीरें भी जारी हुई है. इनमें से एक में राकेश्वर मन्हास जंगल में युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में हैं और चार मध्यस्थों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. जंगल की पृष्ठभूमि में बडी संख्या में स्थानीय लोग भी बैठे दिखाई दे रहे हैं. एक अन्य तस्वीर में कमांडो राकेश्वर एक स्थानीय पत्रकार के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे दिख रहे हैं जबकि एक अन्य तस्वीर में एक पत्रकार कमांडो के साथ सेल्फी खींचता दिख रहा है.

कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास
कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास

राकेश्वर सिंह को बीजापुर के बसागुड़ा शिविर में सीआरपीएफ के उप-महानिरीक्षक (बीजापुर) कोमल सिंह के सुपुर्द किया गया. इसके बाद राकेश्वर मन्हास की चिकित्सा जांच की गई. मिली जानकारी के मुताबिक़ राकेश्वर सिंह को सीआरपीएफ शिविर में रखा जाएगा और जल्द ही डी-ब्रीफिंग के दौर से गुजारा जाएगा. पूछताछ में उनसे यह समझने का प्रयास होगा कि किन हालात में वे नक्सलियों के हाथ चढ़े और अपहरण के बाद कब्जे में रहने के दौरान उनके साथ क्या हुआ?