Duty Unto Death यानि ‘जीवन पर्यन्त कर्तव्य’ के ध्येय वाक्य के साथ वर्दी धारण करने वाले भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के तमाम जवान और अफसर शायद कमांडेंट दविंदर सिंह को कभी भुला न पायेंगे क्यूंकि हर तरह के मुश्किल हालात से मुकाबला करता रहा ये जांबाज़ जीते जी ही नहीं, जीवन के उपरान्त भी कर्तव्य निभा रहा है. कमांडेंट दविंदर सिंह की इच्छा के मुताबिक़ परिवार ने उनके नेत्र दान किये. इसके बाद आज पूरे पुलिस सम्मान के साथ कमांडेंट दविंदर सिंह को अंतिम विदाई दी गई .
![BSF Commandant Davinder Singh](https://www.rakshaknews.in/wp-content/uploads/2018/08/davinder-singh-bsf-2.jpg)
दिल्ली के जनकपुरी में रहने वाले 49 वर्षीय दविंदर सिंह मणिपुर, राजस्थान समेत कई दुरूह सीमा क्षेत्रों और अग्रिम मोर्चों में तैनात रहे. सूचना तकनीक और सीमा प्रबन्धन में विशेषज्ञ दविंदर सिंह 1993 में बीएसएफ में बतौर सहायक कमांडेंट भर्ती हुए थे और जुलाई 2011 से मौजूदा पद पर थे. ह्रदयरोग के बावजूद उन्होंने अपने काम से समझौता नहीं किया बावजूद इसके कि उन्हें पेसमेकर भी लगा हुआ था.
![BSF Commandant Davinder Singh](https://www.rakshaknews.in/wp-content/uploads/2018/08/davinder-singh-bsf-6.jpg)
कल रात हार्ट अटैक होने पर उन्हें पास के ही माता चनन देवी अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक उनके प्राण निकल चुके थे. गुरूवार को दिल्ली में अंतिम संस्कार से पूर्व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डाक्टरों ने नेत्र निकाल कर इस सीमा प्रहरी की इच्छा पूरी की. कमांडेंट दविंदर सिंह ने नेत्रदान की शपथ ली थी जिसे उनके परिजनों ने निभाया, जो कइयों के लिए प्रेरणा है.
‘एक नेकदिल और जिंदादिल मित्र खोया’
पढ़ाई लिखाई और अनुसन्धान के शौक़ीन कमांडेंट दविंदर सिंह की तैनाती आजकल दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय फैकल्टी आफ़ स्टडीज़ के तौर थी. उनकी गाइडेंस में बीएसएफ के कई अधिकारियों ने रिसर्च किया और कई कर रहे थे. एक लोकप्रिय अधिकारी के तौर पर अपनी पहचान बना चुके कमांडेंट दविंदर सिंह के बैचमेट वाईएस राठौर बताते हैं, ‘हमारे 1993 के बैच के कुल 70 अधिकारी हैं और उनमें दविंदर सिंह सबसे होनहार थे’. अधिकारी मानते हैं कि कमांडेंट दविंदर सिंह के असामयिक निधन से बीएसएफ ने जहाँ एक प्रतिभा खो दी वहीँ साथियों ने एक नेकदिल और जिंदादिल मित्र भी खोया.
साल भर पहले दविंदर सिंह की छोटी बहन की भी असामयिक मृत्यु हुई थी
दुखद इत्तेफ़ाक ये भी है कि ठीक साल भर पहले यानि अगस्त 2017 में कमांडेंट दविंदर सिंह की छोटी बहन की भी असामयिक मृत्यु हुई थी जो उनके लिए बड़ा सदमा भी था. कमांडेंट दविंदर सिंह के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. एक बेटा कालेज में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है और छोटा बेटा 10 वीं कक्षा का छात्र है. उनके ससुर डीएस अहलूवालिया भी सीमा सुरक्षा बल में थे. वह बीएसएफ से बतौर डीआईजी सेवानिवृत्त हुए थे.
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