बीएसएफ के एएसआई और उसकी पत्नी को विदेशी घोषित कर डाला

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बीएसएफ एएसआई मुज़ीब उर रहमान.

भारत के पंजाब प्रांत में तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक सहायक सब इन्स्पेक्टर को अपने गाँव पहुँचने पर पता चला कि उसे और उसकी पत्नी को विदेशी घोषित कर दिया गया है. भारत में ही पैदा हुए इस एएसआई मुज़ीब उर रहमान को अब अपने भारतीय होने की सच्चाई साबित करने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ रहा है. मुजीब उर रहमान का परिवार असम के जोरहाट जिले का रहने वाला है.

जोरहाट के मेरापानी इलाके के उदैपुर मिकिरपट्टी गाँव में रहने वाले बीएसएफ के एएसआई मुजीब उर रहमान और उनकी पत्नी को जोरहाट की विदेशी पंचाट (फोरेन ट्रिब्यूनल) ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए जुलाई में विदेशी घोषित कर दिया था. उस वक्त मुजीब की तैनाती पंजाब में थी. उनका कहना है, ” न तो मैं पाकिस्तानी हूँ और न ही बंगलादेशी, हम असम में पैदा हुए भारतीय हैं. हमारे पास 1923 तक पुराने ज़मीन के कागज़ात हैं लेकिन एक शराबी के बयान के आधार पर सीमाई पुलिस (बॉर्डर पुलिस) ने हमें दी वोटर (संदिग्ध वोटर) घोषित कर दिया.” हालांकि मुजीब उर रहमान के माता पिता और भाई बहनों की नागरिकता को लेकर किसी तरह का शक शुबहा नहीं है.

एएसआई मुजीब उर रहमान ने विदेशी पंचाट (फोरेन ट्रिब्यूनल) के फैसले को रद्द करने के लिए गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. असम में तकरीबन 100 ऐसी ट्रिब्यूनल हैं जो वोटर लिस्ट में, सीमाई पुलिस द्वारा संदिग्ध वोटर घोषित किये गये लोगों की नागरिकता पर फैसला लेती हैं.

मुजीब उर रहमान का कहना है कि विदेशी पंचाट (फोरेन ट्रिब्यूनल) की तरफ से जारी किया गया कोई नोटिस उनको नहीं मिला क्योंकि तब वो पंजाब में तैनात थे. उनके नाम पर जारी नोटिस किसी और के घर पहुँचते रहे जिसका उन्हें पता ही नहीं चला और न ही गाँव के प्रधान ने उनको इस बाबत जानकारी दी.

उनके वकील सुदीप्त नयन का कहना है ट्रिब्यूनल ने फोरेनर एक्ट 1946 के अनुच्छेद 9 के तहत पिछले साल 21 दिसंबर को आदेश पारित किया था जिसके मुताबिक़ अपनी नागरिकता साबित करने (विदेशी न होना) की ज़िम्मेदारी उस व्यक्ति की होती है. क्यूंकि मुजीब उर रहमान सबूत लेकर अदालत (पंचाट) के सामने पेश नहीं हुए लिहाज़ा पंचाट ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए उन्हें विदेशी घोषित कर दिया. वैसे अभी उन्हें फैसले की कॉपी नहीं मिली है और जो अगले सप्ताह तक मिलने की सम्भावना है.

वर्तमान में, असम में रह रहे भारतीयों और गैरकानूनी तरीके से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन-एनआरसी) अपडेट किया जा रहा है ताकि अवैध रूप से रहे लोगों (विदेशियों) को निकाला जा सके. फोरेन ट्रिब्यूनल की तरफ से विदेशी घोषित या डी वोटर (संदिग्ध मतदाता) घोषित लोगों को एनआरसी में दर्ज नहीं किया जाता. पिछले साल जुलाई में जारी किये गये एनआरसी के प्रारूप में बड़ी तादाद में लाखों लोगों के नाम छूट गये थे लिहाज़ा बड़ी तादाद में लोगों ने नाम शामिल करने के लिए आवेदन किया था. इसके बाद इस साल जून में नया ब्यौरा भी आया लेकिन इसमें भी काफी तादाद में नाम रह गये थे.

(हिन्दुस्तान टाइम्स से साभार)