समुद्र में फंसे भारतीय नौसेना के कमांडर अभिलाष टामी को फ्रांसीसी पोत ने बचा लिया

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अभिलाष टामी
...अंतत: अभिलाष टामी को बचा लिया गया. फोटो : भारतीय नौसेना

आखिर फ्रांसीसी पोत ओसिरिस ने भारतीय नौसेना के कीर्ति चक्र विजेता पायलट कमांडर अभिलाष टामी को, समय रहते, सबसे खतरनाक हालात से बाहर निकाल ही लिया. ग्लोब गोल्डन रेस (GGR 2018) में हिस्सा ले रहे एथलीट जुलाई से समुन्द्र में थे कि शुक्रवार को उन्हें अचानक जीवन को चुनौती देने वाले हालात ने आ घेरा. दक्षिण भारतीय सागर में तब हवाएं 130 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थीं और ज्वार की ऊंचाई 10 मीटर तक थी. ऐसे नाव ‘थूरिया’ का मस्तूल टूट गया और इस दुर्घटना में उनकी पीठ में इतनी खतरनाक चोट लगी कि उनका हिलना डुलना भी बंद हो गया. मदद के लिए उनका पहला आपात संदेश यही था कि मुझे यहाँ से निकलने के लिए स्ट्रेचर की ज़रूरत होगी.

अभिलाष टामी
अभिलाष टामी को बचाने के लिये तकनीक और विदेशी मदद (फ्रेंच शिप ओसिरिस) से इस तरह बचाया गया.

संदेश की गम्भीरता को समझते हुए इस जांबाज़ कीर्ति चक्र विजेता को बचाने के लिए चारों तरह से मदद की पहल शुरू हो गई. भारतीय नौसेना के जहाज़ P 18 ने उनकी लोकेशन के आधार पर नाव को रविवार को खोज निकाला. इसी के साथ आस्ट्रेलिया ने कमांडर अभिलाष टामी के बचाव आपरेशन के लिए जहाज़ रवाना किया और उधर फ्रांस ने अपना पोत ओरिसिस (Orisis) रवाना कर दिया जो आज अभिलाष टामी तक पहुंच भी गया.

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने नौसेना प्रमुख सुनील लानबा की तरफ से ट्वीट संदेश में, बचाव कार्य में शामिल सभी एजेंसियों का और खासतौर से आस्ट्रेलियाई नौसेना और फ्रांसीसी पोत ओरिसिस का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतीय नौसेना उनकी सही मायने में ऋणी रहेगी.

वहीं भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अभिलाष टामी के सन्दर्भ में ट्वीट करके कहा कि ये बड़ी राहत वाली खबर है. वह होश में हैं और ठीक हैं. जल्द ही उन्हें पास के द्वीप (Amsterdam) ले जाया जायेगा और फिर INS सतपुड़ा उन्हें इलाज के लिए मारीशस ले जायेगा.

बता दें कि गोल्डन ग्लोब समुद्री मार्ग से पूरी दुनिया का चक्कर काटने वाली रेस है, जिसमें प्रतिभागी अपने नाव पर अकेले होते हैं. इस रेस में 30 हजार मील की दूरी एक ऐसी नौका में अकेले पूरी करनी होती है, जिन नौकाओं का इस्तेमाल 50 साल पहले इसकी पहली रेस में किया गया था. रेस में इस्तेमाल होने वाली नौकाओं में संचार उपकरणों को छोड़कर किसी भी तरह की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाती है. यह रेस एक जुलाई से शुरू हुई थी और 84 दिनों में कमांडर 10,500 समुद्री मील की यात्रा करके तीसरे स्थान पर बने हुए थे.

अभिलाष टामी
ये INS Satpura है. इसी से अभिलाष टामी को इलाज के लिये मारीशस ले जाया जायेगा.

समुद्र की विश्व दौड़ में उतरे भारतीय नौसैनिक कमांडर अभिलाष टामी जबरदस्त मुसीबत में