बॉर्डर पर नहीं गायब हुआ कोई भारतीय सैनिक, चीन के मुद्दे पर आज अहम बैठक

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भारत-चीन सीमा पर लदाख की गलवान घाटी

भारतीय सेना ने भारत-चीन सीमा पर लदाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के दौरान किसी भी भारतीय सैनिक के लापता होने की खबर को सरासर गलत बताया है. सेना की तरफ से इस बारे में, अमेरिकी अखबार में ‘सैनिकों के लापता’ होने की खबर का हवाला देते हुए बयान जारी किया गया है.

भारतीय थल सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनन्द ने अमेरिका से छपने वाले अंग्रेजी अखबार ‘न्यू यॉर्क टाइम्स ‘ (New York Times ) के 17 जून के अंक में “इन चाइना – इंडिया क्लैश , टू नेशनलिस्ट लीडर्स विद लिटल रूम टू गिव” (In China – India Clash, Two Nationalist Leaders with Little Room to Give) शीर्षक से प्रकाशित आलेख का हवाला देते हुए एक वाक्य का स्पष्टीकरण जारी किया है,” ये स्पष्ट किया जाता है कि कार्रवाई के दौरान कोई भारतीय सैनिक लापता नहीं है”.

भारत-चीन सीमा पर लदाख की गलवान घाटी

ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ संघर्ष वाले क्षेत्र से दोनों देशों के सैनिक हट गये हैं. आज शाम 5 बजे भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भारत-चीन सीमा के हालात और इस मुद्दे से जुड़े अन्य पहलुओं को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ वीडियो बैठक करेंगे. इसमें रक्षा, गृह और विदेश मंत्रियों के साथ साथ सेना व सुरक्षा से ताल्लुक रखने वाले चुनिन्दा अधिकारियों के भी मौजूद रहने की सम्भावना है. ये बैठक घटना के चार दिन बीतने के बाद हो रही है.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच इस खूनी संघर्ष के बारे में पहले पहल एक कर्नल समेत तीन सैनिकों के प्राण जाने की खबर आई थी. इसके अगले दिन 17 और सैनिकों की शहादत का समाचार मिलने के बाद भारत में अलग अलग तरीके से लोगों ने रोष व्यक्त करना शुरू किया और छिटपुट स्तर पर चीन के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन आदि भी शुरू कर दिये. सेना ने इतना ज़रूर स्पष्ट किया कि संघर्ष में किसी तरह की गोलीबारी नहीं हुई लिहाज़ा पूरे घटनाक्रम को लेकर संशय पैदा होने लगा. ऐसे में कयासबाजी के बीच राजनीतिक स्तर पर मनगढ़ंत बयानबाज़ी भी शुरू हो गई. विदेश मंत्री एस जयशंकर को बयान जारी करके के ये भी स्पष्टीकरण देना पड़ा कि भारतीय सैनिक तब भी हथियारों से लैस थे. भारत और चीन के बीच बेशक 1962 में युद्ध हुआ और उसके बाद भी सैनिकों के हताहत होने की घटनाएँ हुईं लेकिन बीते 45 साल में दोनों देशों के सैनिकों में ऐसा खूनी संघर्ष पहली बार हुआ है और वो भी तब जबकि 9 दिन पहले ही उस क्षेत्र की सीमा के दोनों देशों के प्रभारी अधिकारियों के बीच बैठक हुई हो.

भारत-चीन सीमा पर लदाख की गलवान घाटी में वीरगति को प्राप्त हुए जांबाज.

वैश्विक महामारी कोविड 19 संक्रमण की चुनौती से पहले से ही जूझ रहे भारत के इस तरह के अंदरूनी हालात और दबाव के साथ साथ चीन के साथ इसके व्यापारिक व राजनयिक रिश्तों के मद्देनजर भारत के नेतृत्व को अब इस मसले पर समग्र तौर पर सोच बनाना ज़रूरी महसूस हो रहा है. इस मसले पर पूरे देश को साथ लेकर चलने और नीति निर्धारण के साथ साथ इस घटना के सन्दर्भ में चीन के प्रति अपनाये जाने वाले रवैये पर भी फैसला लेने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने को ज़रूरी समझा गया है जोकि लोकतान्त्रिक परम्पराओं के हिसाब से भी अहम माना जाता है.

उल्लेखनीय है कि सोमवार यानि 15 जून 2020 की रात को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमने सामने की लड़ाई में भारत के 20 सैनिकों की जान गई थी. इस खूनी संघर्ष में चीनी सैनिक भी मारे गये और ज़ख्मी हुए लेकिन चीन ने अभी तक खुलकर इस बारे में उनकी हालत या संख्या के बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन भारत की न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि सीमा पर हुई इस झड़प में चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं जिन्हें उस क्षेत्र से चीनी सेना के हेलिकॉप्टरों में ले जाया गया. चीन की तरफ से इस संख्या का खंडन भी नहीं किया गया है.