दिनकर गुप्ता पंजाब के DGP बने रहेंगे, हाई कोर्ट ने CAT का आदेश खारिज किया

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दिनकर गुप्ता
एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता

पंजाब पुलिस के महानिदेशक दिनकर गुप्ता के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से राहत वाली खबर है. दिनकर गुप्ता पंजाब पुलिस के प्रमुख के ओहदे पर बने रहेंगे. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करके उन्हें पंजाब पुलिस का चीफ बनाया गया था. इसके खिलाफ कुछ आईपीएस अधिकारियों ने अदालत और फिर केन्द्रीय प्रशासनिक पंचाट (CAT – कैट) का दरवाज़ा खटखटाया था. कैट ने दिनकर गुप्ता की नियुक्ति के तरीके को गलत ठहराया था लेकिन अब पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने कैट के उस फैसले को चुनौती देने वाली, सरकार की तरफ से दायर, याचिका स्वीकार कर ली है.

पंजाब के महाधिवक्ता अतुल नन्दा ने कहा कि हाई कोर्ट ने हमारी याचिका स्वीकृत की है लेकिन अभी इस बारे में विस्तृत आदेश आना बाकी है.

भारतीय पुलिस सेवा के 1987 बैच (पंजाब कैडर) के अधिकारी दिनकर गुप्ता को पांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नज़रन्दाज़ करके पिछले साल फरवरी में पंजाब का डीजीपी बनाया गया था. उनकी इस नियुक्ति को दो आईपीएस अधिकारियों मोहम्मद मुस्तफ़ा और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने ये कहते हुए चुनौती दी थी कि बेहतरीन सेवा रिकॉर्ड और वरिष्ठता होते हुए उन्हें इस ओहदे पर तैनाती के लिए नज़रन्दाज़ किया गया. उनके अलावा तब दिनकर गुप्ता से वरिष्ठ तीन और आईपीएस अधिकारी हरदीप ढिल्लों, जसमिंदर सिंह और सामंत गोयल भी थे.

मोहम्मद मुस्तफा
आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा

इसी साल जनवरी में केन्द्रीय प्रशासनिक पंचाट ने दिनकर गुप्ता की पुलिस प्रमुख के तौर पर नियुक्ति को, ये मानते हुए हुए ख़ारिज कर दिया था कि पुलिस प्रमुख के पद के प्रस्तावित अधिकारियों के नाम का पैनल तय करने के लिए एम्पनेलमेंट कमेटी (empanelment committee) और संघ लोक सेवा आयोग (union public service commission-UPSC – यूपीएससी) का अपनाया गया तरीका सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है जो पूर्व आईपीएस प्रकाश सिंह की याचिका पर दिया गया था.

पंजाब सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में दलील देते हुए कहा गया कि इस नियुक्ति के पीछे किसी तरह की बदनीयत नहीं थी. इस मामले में राज्य और यूपीएससी की तरफ से अपनाये गए तरीके को सही बताया गया. वहीं यूपीएससी की तरफ से कहा गया कि सभी योग्य अधिकारियों पर विचार किया जाता है और राज्य सरकार को उन अधिकारियों के अनुभव, सर्विस रेकॉर्ड, उनके बचे हुए कार्यकाल की जानकारी और उनके दस्तावेज़ भेजने की अनिवार्यता होती है.

मोहम्मद मुस्तफा और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का कहना था कि पंजाब की तरफ से भेजे गये पैनल के आकलन के लिए अनुभव सम्बन्धित विस्तृत जानकारी मुहैया नहीं कराई गई थी और पद के लिए योग्य/पात्र अधिकारियों की दी गई संख्या भी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की गाइडलाइंस का उल्लंघन है. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने तो यूपीएससी की तरफ से, उन अधिकारियों की बनाई जाने वाली असेसमेंट शीट (assesment sheet) पर भी सवाल खड़े किये जिन अधिकारियों के नाम की सिफारिश राज्य को की जाती है.

सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस संत प्रकाश ने 9 सितम्बर को फैसला सुरक्षित कर लिया था.