लेफ्टिनेंट जनरल औजला चिनार कोर के कमांडर और डीपी पांडे वार कॉलेज के कमांडेंट बने

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लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला
लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र प्रताप पांडे ने लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला को चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) की कमान सौंपी.

भारतीय सेना की श्रीनगर मुख्यालय स्थित चिनार कोर (chinar corps) को लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला के रूप में नया कमांडर मिला है. सैन्य परम्परा और भावुक पलों के बीच यहां से विदाई से पहले लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र प्रताप पांडे ने उनको जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) की कमान सौंपी. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को साल भर पहले ही चिनार कोर की ज़िम्मेदारी दी गई थी. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को मध्य प्रदेश के मऊ स्थित आर्मी वार कॉलेज का कमांडेंट बनाया गया है. असल में सेना की 15 कोर को ही चिनार कोर कहा जाता है जिस पर कश्मीर घाटी की निगहबानी की ज़िम्मेदारी है.

आतंकवाद निरोधक कार्रवाइयों का खासा अनुभव रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला ने दिसंबर 1987 में भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स में कमीशन हासिल किया था. कश्मीर घाटी में उनके तीन ऑपरेशनल कार्यकाल रहे जिनमें से एक तो बतौर कंपनी कमांडर भी रहा. लेफ्टिनेंट जनरल औजला उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर, प्रतिष्ठित 268 इन्फेंट्री ब्रिगेड और 28 इन्फेंट्री डिवीज़न में तैनाती के वक्त रहे. उन्होंने चिनार कोर में स्टाफ कार्यकाल भी किये और सेना की ऊधमपुर स्थित उत्तरी कमांड में मेजर जनरल के तौर पर आतंकवाद निरोधक ऑपरेशन की निगरानी भी की. लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला बेलगाम स्थित इन्फेंट्री स्कूल के कमांडो विंग के इंस्ट्रक्टर भी रहे जहां का कमांडो कोर्स भारतीय सेना के सबसे मुश्किल प्रशिक्षण कोर्स में से एक मना जाना है. वे 2005 राजपूताना राइफल्स की 15 वीं बटालियन को भी कमांड कर चुके हैं. बीते तीन साल में सेना की इस यूनिट से चिनार कोर कमांड करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला दूसरे अधिकारी हैं. उनसे पहले राजपूताना राइफल्स से लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस सिंह चिनार कोर के कमांडर रहे हैं जो अब सेना से रिटायर हो चुके हैं. अगस्त 2019 में जब जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाकर इसका विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करके केंद्र शासित क्षेत्र बनाया गया था, तब केजेएस सिंह ही चिनार कोर को कमांड कर रहे थे.

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के चिनार कोर के जीओसी के तौर पर कार्यकाल को अपेक्षाकृत बेहतर सुरक्षित माहौल के तौर पर देखा जाता है. एलओसी पर शानदार तैनाती और तकनीकी खुफियागिरी के साथ घुसपैठ निरोधक तंत्र के कारण इस दौरान घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई. उनके कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ सीज़ फायर का फायदा उठाते हुए सेना ने एलओसी पर बसी स्थानीय निवासियों की आबादी की बेहतरी के लिए भी काम करके एक भरोसा कायम रखने का भी अच्छा प्रयास किया. इस दौरान हिंसा में भी कमी होने का दावा किया गया है. ये बहुत नाज़ुक दौर भी था क्योंकि इस वक्त में विश्व भर में फैली महामारी कोविड 19 का प्रकोप यहां भी देखा जा रहा था. लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र पांडे के कार्यकाल के दौरान कश्मीर घाटी में सेना और नागरिक प्रशासन के साथ भी तालमेल ठीक ठाक महसूस किया गया जिसके कुछ बेहतर परिणाम भी देखने को मिले.

श्रीनगर के बादामी बाग़ छावनी स्थित चिनार कोर मुख्यालय से लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को सैन्य रस्मों रिवाज़ के साथ खुली जीप में विदाई दी गई. सेना के वाहन को रस्से से खींचने में तमाम रैंक शामिल थे. उनमें से कुछ के लिए ये भावुक पल रहे. इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला को जीओसी की कुर्सी सौंपी और कमान थमायी.