गुजरात में तैनात रहे भारतीय पुलिस सेवा के बर्खास्त अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पुलिस हिरासत में एक शख्स की मौत के केस में उम्र कैद की सज़ा सुनाई है. उनके साथ साथ सिपाही प्रवीन सिंह जाला को भी 28 साल पुराने इस केस में उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई है जबकि दो सब इंस्पेक्टरों और तीन सिपाहियों को दो-दो साल की कैद की सजा दी गई है.
संजीव भट्ट वही अधिकारी हैं जो गोधरा ट्रेन अग्निकांड के सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गये अपने उस हलफनामे की वजह से सुर्ख़ियों में आये थे जिसमें कहा गया था कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक में कहा था कि ट्रेन अग्निकांड के प्रति अपना गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय को छूट दें. संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने 2012 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ अहमदाबाद की मणिनगर विधान सभा सीट से चुनाव भी लड़ा था. संजीव भट्ट एक अन्य केस में नौ महीने से जेल में बंद हैं.
जाम नगर के सत्र न्यायाधीश डी एन व्यास ने उपरोक्त पुलिसकर्मियों को प्रभुदास वैशनानी की मौत के लिए ज़िम्मेदार माना है. उस वक्त संजीव भट्ट जाम नगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडिशनल एसपी) के पद पर तैनात थे. 30 अक्टूबर 1990 को जाम नगर के जमजोधपुर इलाके में साम्प्रदायिक दंगे से सम्बन्धित केस में 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिनमें प्रभुदास वैशनानी नाम का शख्स भी था. इलज़ाम है कि पुलिस ने उसे हिरासत में टॉर्चर किया हालांकि उसकी मौत पुलिस हिरासत से रिहाई के बाद अस्पताल में हुई थी. ये दंगे तब हुए थे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई भारतीय जनता पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोकने के विरोध में बंद का आयोजन किया गया था. ये केस 30 अक्टूबर 1990 का है.
प्रभुदास वैशनानी के भाई अमृत भाई ने आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और अन्य पुलिसकर्मियों पर पुलिस हिरासत के दौरान प्रभुदास को प्रताड़ना देने का इलज़ाम लगाया था. सरकार की तरफ से अभियोग चलाने की इजाज़त ना मिलने की वजह से लम्बे अरसे तक ये केस आगे नहीं बढ़ पाया था. इजाज़त बाद में दी गई. मुक़दमे के दौरान अभियोजन पक्ष के वकील तुषार गोकानी ने, टॉर्चर करने में संजीव भट्ट की भूमिका पर ज़िरह की थी.
गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को नौकरी से अनाधिकृत तरीके से नौकरी से गायब रहने के इलज़ाम में 2011 में पहले निलम्बित और फिर 2015 में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बर्खास्त किया था. भट्ट फिलहाल एक व्यक्ति से नशीले पदार्थों की बरामदगी का झूठा केस बनाये जाने के केस में अक्टूबर 2018 से जेल में बंद हैं. ये 1996 का पालनपुर का केस है जिसमें संजीव भट्ट को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था.
संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने अदालत के फैसले को अन्याय बताया है लेकिन कहा है कि वकीलों से बात करने के बाद ही वो इस पर टिप्पणी करेंगी. आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज इस केस में जिन और पुलिस कर्मियों को दो दो साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई है, उनमें सब इन्पेक्टर दीपक शाह, सैलेश पंडया और सिपाही प्रवीन सिंह जडेजा, अनूप सिंह जेठवा और केशुभा जडेजा हैं.