…और इस तरह हेड कांस्टेबल राम भजन कुमार ने आसमान में सुराख कर डाला

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दिल्ली पुलिस के साइबर सेल में तैनात  हवलदार राम भजन कुमार की कामयाबी देख कर , क्रांतिकारी कवि और  व्यवस्थाओं को चुनौती देने वाले रचनाकार कवि दुष्यंत कुमार शेर   ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’ बरबस ही याद आ जाता है. हो सकता है  ये शेर के राम भजन जैसे संकल्पशील और मेहनती लोगों की कहानी से मिली प्रेरणा से कहा गया हो या फिर हताश हुए लोगों के उत्साहवर्धन के लिए लिखा गया हो. राम भजन ने शेर के एक एक अलफ़ाज़ को अपनी लगन के बूते पर साबित किया है .

राम भजन  कुमार का नाम  संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी upsc )  की मंगलवार को जारी हुए  परीक्षा परिणाम के सफल अभ्यर्थियों की सूची में है .  दिल्ली पुलिस के 34 वर्षीय हेड कांस्टेबल राम भजन कुमार का नाम इस परीक्षा को पास करने वाले 933 लोगों में है . सिविल सर्विसेज़ अफसर बनने के लिए इस परीक्षा को पास करने ये उनका  आठवां  प्रयास  था . इसमें उन्होंने में 667वीं रैंक हासिल की है . यही नहीं इस रैंक को भी बेहतर करने की वे कोशिश करने का ऐलान कर चुके हैं .

दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल राम भजन कुमार का कहना है  कि मेरे लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है. यह मेरी आठवीं कोशिश थी . आठवां प्रयास था. वैसे ओबीसी श्रेणी से होने के कारण वे  नौ प्रयासों के लिए योग्य हूं. राम भजन कहते हैं कि मेरे पास एक आखिरी मौका बचा था. इस बार भी अगर सफल नहीं हुआ होता तो मैं अगले प्रयास की तैयारी में जुट जाता.

मूलतः राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले  राम भजन 2009 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे. उनका कहना है कि मेरे पास खोने के लिए तो कुछ नहीं था. उन्होंने बताया कि अपनी रैंक में सुधार करने के लिए 28 मई को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में फिर से शामिल हो रहा हूं. राम भजन एक बेहद मामूली परिवार से थे. उनके पिता गांव में मजदूरी करते थे. शुरूआती जीवन तमाम संघर्षों और अभावों में ज़रूर बीता लेकिन हमेशा कुछ  बड़ा करने के सपने   और सकरात्मक सोच ने उनको ताकत दी.

उन्होंने आगे कहा कि दरअसल, मैं अपनी रैंक में सुधार करने के लिए 28 मई को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा upsc exam में फिर से शामिल हो रहा हूं. राम भ्ज्ञजन कुमार ने अपने पिछले प्रयास के बाद फिर से परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मैं सकारात्मक सोच के साथ परीक्षा की तैयारी कर रहा था कि मैं और बेहतर कर सकूं. उन्होंने आगे कहा कि  मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था. मैं, राजस्थान के एक गांव से आता हूं. मेरे पिता एक मजदूर थे. मैंने देखा है कि मेरे परिवार ने हमें शिक्षित करने और हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कितना संघर्ष किया है. हमने तब भी उम्मीद नहीं खोई थी. जब मुझे मौका मिला, तो मैंने सोचा कि मैं इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा.

पुलिस की नौकरी के साथ साथ राम भजन कुमार यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी भी लगातार करते थे. रोज़ाना 6 घंटे की पढ़ाई किया करते हैं. परीक्षा से पहले एक महीने की छुट्टी लेकर रोज़ाना 16 घंटे तैयारी पर लगाते थे .  दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती होने के बाद 2019 में यूपीएससी परीक्षा पास करके सहायक पुलिस आयुक्त acp बने फ़िरोज़ आलम की कहानी राम भजन कुमार के लिए प्रेरणा  है . राम भजन कहते हैं कि बार बार नाकामी के बावजूद  इस सफर में उनकी पत्नी ने उनका बहुत हौंसला बढ़ाया और एक मज़बूत स्तम्भ की तरह उनके साथ खड़ी रहीं. दरअसल राम भजन लिखित परीक्षा पास कर लेते थे लेकिन इंटरव्यू में नंबर कम आने पर रैंक से पिछड़ जाते थे.

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा-2022 में कुल 933 उम्मीदवार कामयाब  हुए जिनमें 613 पुरुष और 320 महिला उम्मीदवार शामिल हैं. राम भजन कुमार ने कहा कि परीक्षा के परिणाम घोषित होने के फ़ौरन बाद उन्हें परिवार के सदस्यों, सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के शुभकामना संदेश मिलने लगे. मैं, बहुत खुश हूं और जो चाहता था वो मुझे मिल गया.

भारत में यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस , आईपीएस , आईएफएस , आईआरएस  अधिकारी की तरह विभिन्न विभागों में अधिकारी बना जाता है .