सलाम जज्बे को : ये भी कोई कम बहादुरी का काम नहीं है

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सिपाही थान सिंह
लाल किले के पीछे स्लम बस्ती के मन्दिर में यूँ चलता है सिपाही थान सिंह का स्कूल

जज्बा अगर हो तो अपने अपने स्तर पर हर कोई औरों के लिए कल्याण और प्रेरणा का कारण बन सकता है. ये एक बार और साबित होता है दिल्ली पुलिस के इस सिपाही थान सिंह से मिलने और उनके उस काम को जानने के बाद जो रोजाना शाम को ड्यूटी से लौटने के बाद वो करते हैं. ये काम है लाल किले के पीछे स्लम बस्ती के गरीब बच्चों को पढ़ाना. चार साल पहले चार बच्चों के साथ शुरू किया गया काम ऐसा रंग लाया कि अब उन्होंने पास के ही मन्दिर में अस्थाई और काम चलाऊ स्कूल ही बना लिया है जिसमें अब 5 से 15 साल तक के तकरीबन 50 बच्चे पढ़ने आते हैं.

सिपाही थान सिंह
लाल किले के पीछे स्लम बस्ती के मन्दिर में यूँ चलता है सिपाही थान सिंह का स्कूल

मक़सद क्या है :

गरीब और अनपढ़ माता पिता के ये ज़्यादातर बच्चे वो हैं जो या तो स्कूल गये ही नहीं या छूट गया. इनके मां बाप छोटी मोटी मजदूरी के भरोसे परिवार का पेट पालते हैं. उनमें जागरूकता, पैसा और समय की कमी जैसे हालात के कारण बच्चों का पढ़ पाना हो ही नही पता. सिपाही थान सिंह को इन हालात की न सिर्फ बखूबी समझ है बल्कि वैसा ही तजुर्बा भी है क्यूंकि वो खुद ऐसी ही बस्ती में पले बढ़े हैं. वो कहते हैं, ‘ में पढ़ाई की अहमियत जानता हूँ “. सिपाही थान सिंह का मकसद है ऐसे बच्चों को इतना ज्ञान दे देना या समझ पैदा कर देना है जिससे ये अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर सकें. दुकानों और बाकी जगह पर लगे साइन बोर्ड पढ़ सकें, बस का रूट और नम्बर पढ़ सकें, अपना नाम लिख सकें और दस्तखत कर सकें. थान सिंह कहते हैं कि में बस ये कोशिश कर रहा हूँ कि ये बच्चे सही और गलत का फर्क जान सकें और अपने माँ बाप की मदद करने लायक हो जाएँ.

सिपाही थान सिंह
सिपाही थान सिंह को पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव से शाबाशी और सम्मान मिला

यूँ की शुरुआत :

11 साल से दिल्ली पुलिस में सेवा कर रहे थान सिंह ने गरीब बच्चों को ज्ञान देने की शुरुआत 2 016 में की थी. धीरे धीरे ये तादाद बढ़ती गई. कोतवाली थाने के तहत लाल किला पुलिस चौकी में तैनात सिपाही थान सिंह रोजाना शाम को पांच बजे ड्यूटी के बाद यहाँ बच्चों को पढ़ाने पहुँच जाते हैं और जब किसी वजह से वो नहीं पहुँच पाते तो बच्चों को पढ़ाने का उनका काम अंकित शर्मा करता है जो खुद 12वीं क्लास का छात्र है.

कोविड 19 का असर :

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड 19) का असर इस छोटे से स्कूल के कामकाज पर भी पढ़ा है. लॉक डाउन की वजह से नियमित स्कूल बंद होने के कारण भी कुछ बच्चे यहाँ आने लगे क्यूंकि उनके पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा या इंटरनेट /मोबाइल फोन आदि का बन्दोबस्त नहीं है. यहाँ अब सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने के साथ साथ सेनिटाइजिंग वगैरह का भी ख्याल रखना होता है. बच्चे फेस मास्क लगाकर आते हैं. थान सिंह को उनके कुछ वरिष्ठ साथियों या अधिकारियों ने भी इस काम के लिए आर्थिक मदद की है.