बलात्कार के मामले में अब आसाराम को राजस्थान में जोधपुर की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. उसके लिए एक ऐसे आईपीएस अधिकारी की भूमिका भी अहम है जो पांच साल पहले दिल्ली पुलिस में ज्वाइंट कमिश्नर थे और वर्तमान में चंडीगढ़ में पुलिस महानिदेशक हैं. एजीएमयूटी काडर के ये अधिकारी हैं तेजिन्दर सिंह लूथरा जिनके साफ़ साफ़ निर्देश के बाद इस मामले की एफआईआर उस दौर में दर्ज की गई थी जब संत के तौर पर आसाराम की लोकप्रियता चरम पर थी. लोगों में यह आसाराम बापू के नाम से जाना जाता था लेकिन हमने यहाँ इसके नाम के आगे से बापू मिटा दिया है क्योंकि वह इस पवित्र सम्बोधन का पात्र नहीं रहा.
देश विदेश में लोकप्रिय और लाखों शिष्यों वाली किसी शख्सियत के खिलाफ, किसी साधारण से परिवार की बच्ची के बयान पर बलात्कार जैसे संगीन अपराध की धाराओं के तहत FIR दर्ज करने की हिम्मत तक करना आसान नहीं है और वो भी भारत जैसे देश में, जहां लोग धार्मिक गतिविधियों को लेकर सबसे ज्यादा आस्थावान व संवेदनशील होते हैं. आज रक्षक न्यूज से बातचीत के दौरान श्री लूथरा ने कहा कि हमने पूरे प्रोफेशनल तरीके से अपनी ज़िम्मेदारी निभाई थी. बलात्कार की वारदात राजस्थान में आसाराम के आश्रम में हुई थी लेकिन FIR दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज कराई गई.
It takes just one officer to make the difference.
It was the IPS officer Tejinder Luthra, then Jt Commisioner Delhi Police currently DGP Chandigarh Police who took this initiative. We thank him. 🙏 pic.twitter.com/GIGqf6DoaG— Kiran Bedi (@thekiranbedi) April 26, 2018
श्री लूथरा बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर की ये पीड़िता तब नाबालिग थी और जब इसने अपने परिवार को आपबीती सुनाई तो उसके पिता उसे साथ लेकर दिल्ली आये. वो उसे यहाँ रामलीला मैदान ले गये जहां तब आसाराम के प्रवचनों का कार्यक्रम था. लेकिन आसाराम के समर्थकों ने उन्हें आसाराम के पास पहुँचने ही नहीं दिया और जिद करने पर मारपीट करके वहाँ से भगा डाला.
रामलीला ग्राउंड मध्य जिले के कमला मार्केट थाना क्षेत्र में है जो सेंट्रल रेंज में है और उस वक्त रेंज के प्रभारी व ज्वाइंट कमिश्नर लूथरा ही थे. 16 वर्षीय पीड़िता का परिवार तब उनसे पुलिस मुख्यालय में मिला था. श्री लूथरा बताते हैं, “हमने तुरंत केस की FIR दर्ज करते ही धारा 164 के तहत पीड़िता के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवा दिए. ये वही बयान ने जो पीड़िता ने FIR कराते वक्त दिए थे.”
क्यूंकि अपराध दूसरे राज्य में हुआ था इसलिए पुलिस ने ज़ीरो नम्बर की FIR दर्ज करके इसे राजस्थान ट्रांसफर कर दिया. तेजिन्दर लूथरा बताते हैं, “मामले की गम्भीरता को देखते हुए हमने केस के दस्तावेज़ एक अधिकारी के हाथ सीधे जोधपुर के पुलिस अधीक्षक के पास भिजवाये थे.”
उस वक्त दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने ये मुस्तैदी न दिखाई होती तो शायद पीड़िता को इन्साफ और आसाराम को सजा मिलना इतना आसान न होता. इस केस को अलग अलग राज्यों की पुलिस के संयुक्त प्रयासों की सफलता के तौर पर भी देखा जाना चाहिए – ऐसा मानना है भारत की पहली महिला IPS अधिकारी किरण बेदी का जो अभी पुडुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं. श्रीमती बेदी ने इसके लिए श्री लूथरा को धन्यवाद कहा है. उन्होंने कहा कि ये पूरा केस तमाम सरकारी अधिकारियों के लिए एक सबक है. वो कहती हैं ,”एक अफसर भी बदलाव ला सकता है.”