जम्मू कश्मीर में पहलगाम में सैलानियों की हत्याओं का बदला लेने और पाकिस्तान में चल रही भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए मई में छेड़े गए ‘ ऑपरेशन सिंदूर ‘ ( operation sindoor ) की ब्रीफिंग दो महिला फौजी अफसरों, कर्नल सोफिया कुरैशी व विंग कमांडर व्योमिका सिंह , से कराने के पीछे भी कुछ ऐसे ही हालात मालूम होते दिखाई पड़ते हैं. क्योंकि न तो इन दो अफसरों का मीडिया ब्रीफिंग से पहले कुछ लेना देना रहा और न ही उनकी ऐसी कोई पृष्ठभूमि है. ऐसा भी नहीं कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिन्दूर ‘ में किसी डायरेक्ट एक्शन में हिस्सा लिया हो. मगर टीवी व अन्य प्रचार – संचार माध्यमों पर उन महिला अधिकारियों की मौजूदगी से भारत के भीतर और बाहर दोनों ही मोर्चों पर हुक्मरान यह सन्देश देने में कुछ हद तक कामयाब हुए कि हमारे समाज में महिलाओं की बराबरी का महत्व है तथा इसको लेकर सोच बदलना ज़रूरी है.
कौन है यशस्वी सोलंकी :
यशस्वी की यह नियुक्ति एक देश की सैन्य प्रगति में भी उपलब्धि का प्रतीक है. साथ रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति की भी मिसाल बन गई है. हरियाणा की रहने वाली यशस्वी सोलंकी 2012 में शॉर्ट सर्विस में कमीशन मिलने के बाद भारतीय नौसेना में शामिल हुईं और उन्होंने लॉजिस्टिक्स ब्रांच में काम किया. उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और नेतृत्व ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. अपने पेशेवर करियर में, उन्होंने अपने कर्तव्यों के प्रति उत्कृष्ट नेतृत्व और समर्पण का परिचय दिया है. एडीसी के रूप में चुने गए लोगों के पास कम से कम पांच से सात साल की असाधारण सेवा होती है. ऐसे में उनका नया पदनाम उच्च कमान संभालने में उनके असाधारण कौशल को प्रमाणित करता है.
एडीसी का रोल :
भारत के राष्ट्रपति सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भी हैं. राष्ट्रपति के एड-डी-कैंप (aide de camp) की भूमिका बेहद अहम है क्योंकि इस पद पर नियुक्त व्यक्ति को राष्ट्रपति और प्रतिष्ठान के कई अंगों के बीच समन्वय और संचार की सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता होती है जो आधिकारिक औपचारिकताओं, बैठकों, कार्यों और प्रोटोकॉल को सुचारू बनाता है. एडीसी की ड्यूटी में औपचारिक कार्यों में राष्ट्रपति की सहायता करना और उच्च-स्तरीय शख्सियतों से समन्वय करना भी शामिल है. इस तरह यशस्वी सोलंकी की यह नियुक्ति देश की सैन्य प्रगति में एक बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है और रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति का एक प्रमुख उदाहरण बन गई है।
भारत में राष्ट्रपति के पास आधिकारिक तौर पर पाँच एडीसी होते हैं, जिन्हें तीनों सशस्त्र बलों से चुना जाता है. इनमें से तीन थल सेना से, एक नौसेना और एक वायु सेना से चुना जाता है . वैसे सेनाओं के सुप्रीम कमांडर के नाते , राष्ट्रपति को अपनी इच्छानुसार इन सशस्त्र बलों में से अधिकारियों को चुनने का अधिकार है.
सेना में महिलाएं :
ऐसा नहीं है कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की नियुक्ति पहले नहीं थी . यह सीमित क्षेत्रों में थी . अब उन क्षेत्रों को बढ़ाया जा रहा है . शुरू शुरू में इस पर सेना के नेतृत्व और वर्तमान सत्तारूढ़ दलों की चुनी हुई सरकार ने महिलाओं के लिए सेना में नए रास्ते खोलने में हिचकिचाहट ज़रूर दिखाई थी लेकिन अब वे इसका लाभ लेने में भी पीछे नहीं हट रहे. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( national defence academy ) में दाखिले के जरिए महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देना हो या शॉर्ट सर्विस कमीशन से सेना में आई महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देना , ऐसे ही मुद्दे है .
वैसे इतिहास में झांका जाए तो कुछ महिलाएं भारतीय सशस्त्र बलों में अग्रणी रही हैं . वे ऊंचे ओहदे पर तैनात रही हैं. जैसे कि पुनीता अरोड़ा, जो पहली भारतीय महिला लेफ्टिनेंट जनरल और भारतीय नौसेना में वाइस एडमिरल भी हैं. इसी तरह पद्मावती बंदोपाध्याय एयर मार्शल और विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ बनने वाली पहली महिला अधिकारी थीं.