वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने मामला रक्षा मंत्रालय में पहुंचाया

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वाइस एडमिरल बिमल वर्मा
वाइस एडमिरल बिमल वर्मा और उनकी वकील बेटी रिआ वर्मा (फाइल फोटो).

अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने भारत के नौसेना प्रमुख के तौर पर वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर अपने नाम पर विचार न किये जाने की औपचारिक शिकायत पर अब रक्षा मंत्रालय में दी है. उनकी तरफ से सशस्त्र बल पंचाट (आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल-AFT) से अर्जी वापस लेने के बाद ये कदम उठाया गया है.

उनकी तरफ से पहले ये मामला उनकी वकील बेटी रिआ वर्मा (Rhea Verma) ने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में पहुँचाया था लेकिन ट्रिब्यूनल ने उनसे कहा था कि वाइस एडमिरल बिमल वर्मा को ट्रिब्यूनल का दरवाज़ा खटखटाने से पहले उन्हें अंदरूनी उपाय अपनाना चाहिए. रिआ वर्मा ने बताया कि उन्होंने बृहस्पतिवर को रक्षा मंत्रालय में उसी मांग के साथ याचिका दी है जो ट्रिब्यूनल को दी गई थी. ये याचिका भारतीय नेवी एक्ट (भारतीय नौसेना अधिनियम) की धारा 23 के तहत शिकायत निवारण के लिए दी गई है जिसमें अनुरोध किया गया है कि दस दिन के भीतर जवाब दिया जाये. रिया वर्मा ने www.rakshaknews.in को बताया कि दस दिन के बाद संतोषजनक जवाब न मिलने पर, उनके पास अदालत जाने का रास्ता खुला होगा.

भारत सरकार ने पिछले महीने ही वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को भारतीय नौसेना का अगला प्रमुख नियुक्त किया था. जो 30 मई को सेवानिवृत्त हो रहे एडमिरल सुनील लान्बा की जगह लेंगे. सरकार ने करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख बनाने का फैसला मेरिट के आधार पर लिया था न कि उस परम्परा के मुताबिक जिसमें सबसे वरिष्ठ और योग्य अधिकारी को प्रमुख बनाया जाता है. वाइस एडमिरल बिमल वर्मा वाइस एडमिरल करमबीर सिंह से सीनियर हैं.

बिमल वर्मा के अलावा वाइस एडमिरल जी. अशोक कुमार, वाइस एडमिरल अजीत कुमार और वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला भी उस सूची में हैं जिनके नाम को नजरंदाज किया गया. वैसे 2016 में भारतीय सेना प्रमुख के ओहदे पर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति के दौरान भी वरिष्ठता वाली परम्परा नहीं अपनाई गई थी.

वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने ट्रिब्यूनल में लगाई अपनी याचिका वापस ली