आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह के पक्ष में पंजाब सरकार का चुनाव आयोग से टकराव

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कुंवर विजय प्रताप सिंह
पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक कुंवर विजय प्रताप सिंह

भारतीय पुलिस सेवा (IPS ) के वरिष्ठ अधिकारी और पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक (IG) कुंवर विजय प्रताप सिंह को विशेष जांच दल (SIT) से हटाने को लेकर चुनाव आयोग के दिये आदेश पर, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अब चुनाव आयोग से भिड़ गई है. चुनाव आयोग ने पंजाब की विपक्षी पार्टी उस शिरोमणि अकाली दल की शिकायत पर एसआईटी से आईजी कुंवर प्रताप सिंह को हटाने के आदेश दिए थे जो अकाली दल वर्तमान में बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की केन्द्र सरकार का अहम हिस्सा है.

ये एसआईटी उस गोलीकांड की जांच कर रही है जो तत्कालीन अकाली सरकार के शासन काल में हुआ था और इसकी जांच की आंच की चपेट में अकाली सरकार और उसके नेता भी आ रहे थे. इस तरह का इशारा आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह ने सवाल जवाब के दौरान, मीडिया को दिए इंटरव्यू में, किया था. इसी को मुद्दा बनाकर अकाली दल ने हाल ही में चुनाव आयोग से शिकायत की थी. लिहाज़ा आयोग ने कुंवर प्रताप सिंह को एसआईटी से अलग करने का आदेश दिया था.

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने विभिन्न कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक आपत्तियों का ज़िक्र करते हुए चुनाव आयोग को, आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को इस सिलसिले में पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि एसआईटी दंड विधान प्रक्रिया (CrPC ) के दायरे में निष्पक्षता से जांच कर रही है जो चुनाव की आदर्श आचार संहिता का किसी तरह से उल्लंघन नहीं है.

पत्र में ये भी कहा गया है कि कुंवर विजय प्रताप चुनाव आयोग को हटाने का, चुनाव आयोग का 5 अप्रैल का आदेश न सिर्फ जांच में दखल है बल्कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 23 जनवरी को दिए फैसले के उस निष्कर्ष से भी टकराता है जिसने एसआईटी के गठन पर और जांच के तरीके पर ऐतराज़ को ख़ारिज कर दिया था. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह का पक्ष लेते हुए इतना तक लिखा है कि आईजी के दिए साक्षात्कार को सही नजरिये से देखा जाना चाहिए क्यूंकि उन्होंने सवालों के जवाब दिए थे और तमाम राजनीतिक सवालों के जवाब खुद ही देने से साफ़ साफ़ मना कर दिया था.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पत्र में चुनाव आयोग के आदेश का पंजाब सरकार की तरफ से पूरे न्यायसंगत तरीके से पालन करने का ब्योरा भी दिया है. पत्र में ये भी कहा गया है कि जिस शिकायत के आधार पर चुनाव आयोग ने कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाने के आदेश दिए हैं वह हाई कोर्ट में दायर की गई उस याचिका जैसी ही है जिसमें ये केस केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI ) को सौंपे जाने की मांग की गई थी लेकिन हाई कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया था.

आईजी राजनीति का मोहरा :

दूसरी तरफ शिकायतकर्ता शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले पर कहा है कि उनका मकसद जांच को प्रभावित करना नहीं है और न ही वह एसआईटी के किसी और सदस्य के खिलाफ हैं. उन्होंने किसी और के नहीं सिर्फ आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाने की की मांग की थी, अकाली नेता का इलज़ाम है कि आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह कांग्रेस की राजनीति का मोहरा बने हुए हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह के दाहिने हाथ हैं.