जम्मू कश्मीर के पूंछ ज़िले में भारतीय सेना की कृष्णा घाटी ब्रिगेड (krishna ghati brigade ) के तहत बारहसिंघा बटालियन की एक चौकी का नाम बदल कर आकाश पोस्ट रखा गया है. ऐसा भारतीय सेना के उस बहादुर अधिकारी मेजर आकाश सिंह के सम्मान में और उनकी याद हमेशा ताज़ा रखने के लिए किया गया है जिन्होंने एलओसी पर आतंकवादियों से आमने सामने की लड़ाई में मुकाबला करते हुए अव्वल दर्जे की शूरवीरता का परिचय दिया था. चौकी का नाम बदलने के लिए सैन्य परम्परा और रीति रिवाज़ से जब कार्यक्रम चल रहा था तब वहां मौजूद सब लोगों के दिलों दिमाग में बस मेजर आकाश का नाम गूँज रहा था.

वो 9 सितंबर 2009 की बात है. मेजर आकाश सिंह (major akash singh ) की यूनिट भारत – पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा वाले इलाके की निगहबानी कर रही थी. मेजर आकाश अपनी टुकड़ी के साथ गश्त पर थे जब उनकी नजर उस पार से आ रहे घुसपैठियों की गतिविधियों पर पड़ी. हालात को तुरंत भापते हुए उन्होंने टुकड़ी को फायर दागने का आदेश दिया. भारतीय सेना की गोलीबारी का तगड़ा जवाब घुसपैठियों ने दिया क्योंकि वो आटोमेटिक हथियारों से लैस थे. दोनों तरफ से काफी घमासान हुआ. इसी दौरान गोलियों की एक बौछार उस तरफ भी आई जहां मेजर आकाश थे. इसी हमले में मेजर आकाश घायल हो गये लेकिन उन्होंने इस हालत में भी अपने साथी को बचाते हुए आतंवादियों को अपने हथियार से मुंहतोड़ जवाब दिया. अपने प्राण त्यागने से पहले दो आतंकवादी घुसपैठियों का वो काम तमाम कर चुके थे. इस बहादुरी के साथ अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले मेजर आकाश शौर्य चक्र (shaurya chakra) से सम्मानित किया गया था.

पति के नाम को समर्पित सैनिक चौकी पर मेजर आकाश की पत्नी दीप्ति समब्याल (deepti sambyal ) और उनके दोनों बच्चे बेटी ख़ुशी और बेटा तेजस भी उपस्थित थे. उनके सिर से पिता का साया तो बहुत छोटी उम्र में उठ गया था. मेजर आकाश की उम्र तब 34 साल थी. उस दिन से दस साल पहले ही चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ota ) से पास होने के बाद भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फेंट्री (MLI ) की 5 वीं बटालियन में अधिकारी के तौर पर कमीशन हासिल किया था. वो तारीख थी 4 सितंबर 1999 . जम्मू के रहने वाले आकाश सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1975 को हुआ था. जब वो खुद बच्चे थे तभी से उनके मन में सेना में जाने का सपना पल रहा था और ज्यों ज्यों बड़े होते गए त्यों त्यों उनकी ये ललक भी बढ़ती रही.
आकाश पोस्ट के नामकरण के वक्त वीर नारी दीप्ति समब्याल और उनके परिवार ने मिम्बर गली स्थित पीर बाबा की मज़ार पर चादर चढ़ाई. यहां सबने मेजर आकाश की आत्मा की शांति के लिए दुआ की. सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे. इसके बाद वहां स्थित शहीद स्तम्भ पर सबने पुष्पांजलि अर्पित की.