भारत के पहले ब्लेड रनर और सेना के हीरो मेजर डीपी सिंह ने भी किया सैल्यूट – मैं भी हरजीत सिंह

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मेजर डीपी सिंह
भारतीय थल सेना के सेवानिवृत्त मेजर डीपी सिंह विशेष मेहमान होंगे

भारत के पहले ब्लेड रनर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके भारतीय सेना के रिटायर मेजर डीपी सिंह, पंजाब पुलिस के ‘मैं भी हरजीत सिंह’ अभियान का ख़ास अंदाज़ में हिस्सा बने. करगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में पाकिस्तान की सीमा पर धमाके में टांग गंवाने वाले मेजर डीपी सिंह ने साल भर बाद अपनी फौजी वर्दी पहनकर पंजाब पुलिस के सब इंस्पेक्टर हरजीत सिंह को सैल्यूट किया. पंजाब के पटियाला में कर्फ्यू और लॉक डाउन का पालन कराने की ड्यूटी के दौरान, निहंग के तलवार से किये गए हमले में हाथ गंवाने वाले हरजीत सिंह के जल्द सेहतमंद होने की कामना करते मेजर डीपी सिंह के वीडियो को बेहद पसंद किया जा रहा है. मेजर डीपी सिंह ने इस वीडियो को ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि जल्द ही हरजीत सिंह और वे अपने दोनों हाथों से मूछों पर ताव देंगे.

पंजाब पुलिस के हरजीत सिंह के जज्बे को मेजर डीपी सिंह का सैल्यूट.

मेजर डीपी सिंह के इस हौसले पर लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने ट्विटर पर कहा, “मेजर डीपी-जीवंत उदाहरण. मुश्किलें हैं तो हौसले हैं. हौसले हैं तो उम्मीदें हैं. उम्मीदें हैं तो राहें हैं. राहें हैं तो मंजिलें हैं.”

पंजाब पुलिस ने वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस से अग्रिम मोर्चे पर जंग लड़ पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों की एकजुटता को समर्पित अभियान को ‘मैं भी हरजीत सिंह’ नाम दिया है और अपने तरह की इस मुहिम से हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों की पुलिस भी शामिल हुई है. पटियाला में हमले में एएसआई हरजीत सिंह के कलाई से कटकर अलग हो जमीन पर गिरे हाथ को चंडीगढ़ में पीजीआई अस्पताल के डॉक्टरों ने उसी दिन आपरेशन करके सफलतापूर्वक जोड़ दिया था. इस घटना में साहस, बहादुरी और सूझबूझ का परिचय देने पर एएसआई हरजीत सिंह सरकारी स्तर पर शाबाशी के साथ साथ अगले रैंक की तरक्की भी मिली. उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और बाजू से फिर से लगाया गया उनका हाथ धीरे धीरे काम भी कर रहा है हालांकि इस पर पट्टी अभी बंधी हुई है.

‘मैं भी हरजीत सिंह’ अभियान के वीडियो को शेयर करते हुए मेजर डीपी सिंह ने कहा है कि उन्होंने अपनी फौजी वर्दी पिछले साल तब ख़ुशी में पहनी थी जब उन्होंने स्काई डाइविंग में कीर्तिमान स्थापित किया था. मेजर डीपी सिंह एशिया के ऐसे पहले दिव्यांगजन है जिसने अकेले 9000 फुट की ऊंचाई से आसमान से कामयाब छलांग लगाई.

पंजाब पुलिस के ‘मैं भी हरजीत सिंह’ अभियान में शामिल हुए मेजर डीपी सिंह.

मेजर डीपी सिंह:

करगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय के तहत मेजर डीपी सिंह भारत पाकिस्तान नियंत्रण सीमा (एलओसी) पर अखनूर सेक्टर में तैनात थे. ये 15 जुलाई 1999 की घटना है. मोर्टार का गोला उनके बेहद करीब आकर गिरा और फटा. उसके स्पलिंटर्स मेजर डीपी सिंह की दाहिनी टांग में लगे. ज़ख्म गहरे थे और उन्हें गैंगरीन हो गया था लिहाज़ा जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उनकी एक टांग के घुटने के नीचे से पूरे अंग को काटकर अलग करना पड़ा. 6 दिसम्बर 1997 को उन्होंने डोगरा रेजिमेंट की 7 वीं बटालियन में कमीशन हासिल किया था. घायल होने के बाद 2002 में आर्मी ऑर्डनेन्स कोर में तैनात कर दिया गया. सेना की दस साल की सेवा के बाद मेजर डीपी सिंह यहीं से रिटायर हुए.

मेजर डीपी सिंह
ब्लेड रनर डीपी सिंह : फाइल फोटो

गज़ब की शख्सियत :

बेहद जिंदादिल इंसान, हरियाणा के जगाधरी से ताल्लुक रखने वाले 46 वर्षीय डीपी सिंह अब गुड़गांव में रहते हैं. फिटनेस उनका जुनून है जिसके आगे उनकी टांग का आधा गायब हुआ हिस्सा किसी तरह की बाधा नहीं है. ब्लेड के आकार की नकली टांग के बूते वो दौड़ते हैं और खूब दौड़ते हैं. अब तक दो दर्जन से ज्यादा हाफ मैराथन दौड़ चुके डीपी सिंह तीन मैराथन तो अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्र में लगा चुके हैं और इसमें से एक तो 11700 फुट की ऊंचाई पर थी. गिनीज़ बुक आफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने ‘2016 की पीपल ऑफ़ द ईयर’ फेहरिस्त में उनका नाम दर्ज किया था. दिव्यान्गजनों को समर्पित साल 2018 में भारतीय थल सेना ने डीपी सिंह को अपना अम्बेसडर बनाया था.

मेजर डीपी सिंह
मेजर सिंह मैराथन धावक भी शानदार हैं. फाइल फोटो