सेना और आईटीबीपी जवानों ने उत्तराखंड में हिस्खलन में फंसे 50 मजदूरों को बचा लिया

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भारतीय सेना की मध्य कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ( जीओसी ) लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा माना में हिमस्खलन स्थल पर पहुंचे .
भारत के सीमान्त क्षेत्रों में  सड़क निर्माण कार्य करने वाले सीमा  सडक संगठन ( border road organisation ) के चार मजदूर उत्तराखंड  में हुए हिमस्खलन में जान गंवा बैठे जबकि कुछ अभी भी लापता बताए जाते हैं . लेकिन  भारतीय सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस ( indo tibbet border police ) के जवानों ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर 50 मजदूरों को निकाला लिया .

यह आपदा उत्तराखंड के चमोली जिले के ऊंचाई वाले गांव माना में शुक्रवार सुबह ( 28 फरवरी ) आई जहां बीआरओ ( bro ) के काम के लिए यह मजदूर , ट्रेक्टर व अन्य उपकरणों के साथ , कंटेनर में थे.

भारतीय सेना की मध्य कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और उत्तर भारत कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ( जीओसी ) लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा ने माना में  चल रहे खोज और बचाव कार्यों की देखरेख, समीक्षा और समन्वय के लिए  हिमस्खलन स्थल का दौरा किया.

सोशल मीडिया एक्स (x) पर सेना के आधिकारिक हैंडल पर दी गई जानकारी के मुताबिक़ जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए  विशेष रेको रडार, यूएवी, क्वाडकॉप्टर, हिमस्खलन बचाव कुत्ते आदि को सेवा में लगाया गया है. आवश्यक उपकरण, संसाधन और घायलों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर भी लगातार काम कर रहे हैं.

आर्मी कमांडर  लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने आश्वासन दिया कि विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से भारतीय सेना तेजी से बचाव प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संसाधनों से पूरी तरह सुसज्जित है. उन्होंने बताया कि गढ़वाल स्काउट्स की कम्पनी और असम  रेजीमेंट की 7 वीं बटालियन के जवान बचाव कार्य में लगे हैं . उनके  साथ आईटीबीपी की एक प्लाटून भी बचाव और राहत के काम में लगाया गया है .

चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने कहा, “शिविर में भारी हिमस्खलन हुआ, जिससे 55 कर्मचारी फंस गए. बर्फबारी और ठंड के मौसम के बीच वहां तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और भारतीय सेना के जवानों ने बचाव अभियान शुरू कर दिया.”

सेना के अनुसार, शुक्रवार को सुबह 5:30 से 6 बजे के बीच बीआरओ शिविर में हिमस्खलन हुआ, जिससे आठ कंटेनर और एक शेड के अंदर काम करने वाले लोग दब गए. तब से, बचाव दल फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए समय के खिलाफ़ दौड़ में खतरनाक इलाकों, अंधाधुंध बर्फबारी और ठंड के तापमान से जूझ रहे हैं.