नई दिल्ली. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) न सिर्फ भारत-नेपाल बार्डर की चौकसी में मुस्तैद है बल्कि आंतरिक मसलों में भी वह अहम रोल निभाने में पीछे नहीं है. एसएसबी जवानों ने उस समय बड़ी सफलता हासिल की जब एक साल पहले नक्सलियों द्वारा अगवा किशोर को सुरक्षित मुक्त करा लिया.
नक्सलवाद से निपटने के लिए सशस्त्र सीमा बल की 35वीं बटालियन झारखण्ड के दुमका जिले में तैनात है. बीती 20 मई को एसएसबी की इस बटालियन ने 15 साल के राजेंद्र देहरी को नक्सलियों के चंगुल से बचाया. उसे नक्सलियों द्वारा अपने समूह में शामिल करने के लिए वर्ष 2017 में अगवा कर लिया गया था. दिनांक 20.05.2018 को राजेन्द्र देहरी के पिता श्री सोनू देहरी, गांव: जोराम, जिला- दुमका (झारखंड) ने सूचित किया कि उनका पुत्र राजेंद्र देहरी परिवार जनों से मिलने के लिए घर आया है और जल्द ही नक्सली राजेंद्र को वापस ले जायेंगे.
सूचना के आधार पर, एसएसबी ने विशेष सशस्त्र दस्ते के साथ उसी समय गांव जोराम को घेर लिया तथा अगले दिन सुबह सर्च ऑपरेशन को अंजाम देते हुए राजेंद्र देहरी को अपनी सुरक्षा में ले लिया. राजेंद्र देहरी के पास से नक्सली परिधान और नक्सली विचारधारा से सम्बन्धित साहित्य भी बरामद किया. प्रारंभिक पूछताछ के दौरान राजेंद्र देहरी ने बताया कि उसे नक्सलियों द्वारा वन क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया और अपहरण के बाद से ही नक्सलियों की गिरफ्त में था.
एसएसबी द्वारा राजेंद्र देहरी का नक्सलियों की गिरफ्त से मुक्त करवाना नक्सलवाद के लिए दोहरा झटका है, क्योंकि नक्सलियों द्वारा इस युवक को भ्रमित कर अपने गलत इरादों को अंजाम देने में नाकामी हाथ लगी. साथ ही महत्वपूर्ण जानकारियों के आधार पर नक्सलियों को सहायता प्रदान करने वाले सहभागियों की निशानदेही और नक्सलवाद के खिलाफ अभियानो में सुरक्षा बलों के लिए मददगार साबित होगी. एसएसबी ने राजेंद्र देहरी को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया है.













