पढ़ें, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की चिट्ठी जो उड़ीसा पुलिस का कबूतर कटक ले गया

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प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की हस्तलिखित चिट्ठी की फोटो कॉपी दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) की गैलरी की दीवार पर लगी है.

ये बात तब की है जब भारत को ब्रिटिश हुकूमत से मिली आज़ादी के अभी आठ महीने भी नहीं हुए थे और महात्मा गांधी की हत्या के घाव ताज़ा ताज़ा ही थे. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को ओड़िशा (तब उड़ीसा) के सम्भलपुर से सूबे की राजधानी कटक (भुवनेश्वर से पहले की राजधानी) जाना था. वहीं पर उन्हें एक जनसभा को भी सम्बोधित करना था. दिन था वैशाखी का यानि 13 अप्रैल 1948.

प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
चिट्ठी के साथ लगी तस्वीर और ये घटना बताती है कि 70 साल पहले तक भी भारत में बाकायदा कबूतर डाक व्यवस्था पुलिस के लिए संदेश भेजने का विश्वसनीय और गतिमान तरीका था.

स्वाभाविक है कि देश के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व की हत्या के बाद पुलिस के लिए विभिन्न राजनीतिक विचारधारा वाले नेताओं और ऊँचे ओहदों वालों की सुरक्षा व्यवस्था तब अचानक सामने आई नई चुनौती जैसी थी. और क्यूंकि पंडित जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस के नेता होने के साथ साथ प्रधानमंत्री भी थे लिहाज़ा ज़बरदस्त सिक्युरिटी थ्रेट के दायरे में थे. ऐसे में उनकी सार्वजनिक जगहों पर आवाजाही और अनजान लोगों से मुलाक़ात वगैरह के वक्त हर पहलू पर सुरक्षा के इंतजाम सबसे भरी पड़ते थे. लेकिन पंडित नेहरू का स्वभाव बिलकुल उलट था. भीड़ के बीच घुस जाना और लोगों से करीब से मिलना उनकी आदत में शुमार था.

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दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) की गैलरी की दीवार पर लगी हस्तलिखित चिट्ठी की फोटो कॉपी

उनके उस ओड़िशा (उड़ीसा) दौरे के वक्त भी कमोबेश वही परिस्थितिजन्य चुनौती पुलिस और उनकी सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों के सामने थी. प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कटक की जनसभा में अपने लिए किये गये हिफाजती बन्दोबस्त में कुछ बदलाव चाहते थे. सो, उन्होंने एक चिठ्ठी लिखकर कुछ निर्देश पुलिस को दिए. ये चिट्ठी सम्बलपुर से कटक में पुलिस अधिकारियों को पहुंचाई जानी थी. तब इन दो जगहों के बीच सड़क का रास्ता लगभग 300 किलोमीटर का था.

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दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) की गैलरी की दीवार पर लगी हस्तलिखित चिट्ठी की फोटो कॉपी

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने हाथ से अंग्रेज़ी में लिखी ये चिट्ठी 13 अप्रैल 1948 की सुबह जब लिखी तो अपने दस्तखत के नीचे समय भी लिखा 5 बजकर 45 मिनट. उसी दिन दोपहर में सभा थी यानि चिट्ठी पहुँचाने के लिए वक्त बहुत कम था. तब ये चिट्ठी लेकर उड़ीसा पुलिस का एक कबूतर उड़ान पर निकला जो 11.30 बजे अपनी मंजिल पर पहुँच भी गया. यानि कबूतर ने सम्भलपुर से कटक का फ़ासला पौने छह घंटे में तय किया.

प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) की गैलरी की दीवार पर लगी हस्तलिखित चिट्ठी की फोटो कॉपी और उसके नीचे लिखा ब्योरा.

उड़ीसा (ओडिशा) पुलिस के कबूतर के ज़रिये सम्भलपुर से कटक ले जाई गई, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की हस्तलिखित इस चिट्ठी की फोटो कॉपी, रविवार (21अक्तूबर 2018) को दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) की गैलरी की दीवार पर लगी है. चिट्ठी के साथ लगी तस्वीर और ये घटना बताती है कि 70 साल पहले तक भी भारत में बाकायदा कबूतर डाक व्यवस्था पुलिस के लिए संदेश भेजने का विश्वसनीय और गतिमान तरीका था.

प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोला गया राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम).

भारत की खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने भारत के इस राष्ट्रीय पुलिस म्यूज़ियम की संकल्पना की है और फिलहाल वही इसकी देखभाल करने वाली एजेंसी भी है. भारत के कोने कोने की पुलिस से लाये गये सामान, दस्तावेजों के संकलन के अलावा यहाँ पुलिस और पुलिस व्यवस्था, उसकी कार्यप्रणाली से जुड़ी जानकारी आगंतुकों तक पहुँचाने के लिए आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है.

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दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) में प्रदर्शित अस्त्र शस्त्र.
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दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) में प्रदर्शित अस्त्र शस्त्र.
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दिल्ली के चाणक्यपुरी में खोले गये राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) में प्रदर्शित अस्त्र शस्त्र.

बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए यहाँ काफी कुछ दिलचस्पी वाला है और इसमें एंट्री फ्री है. पुलिस की कहानियों और पुलिस नायकों को केंद्र में रखकर बनाई गई फ़िल्में दिखाने के लिए यहाँ छोटा सा एक थियेटर भी है.

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राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय (नेशनल पुलिस म्यूज़ियम) में प्रदर्शित अस्त्र शस्त्र व अन्य चीजों को देखने के लिये मौजूद लोग.

चाणक्यपुरी के उत्तर पूर्वी छोर पर कोटिल्य मार्ग के एक गोलचक्कर के पास बने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के बेसमेंट बनाया गया राष्ट्रीय पुलिस म्यूजियम A से लेकर E तक पांच दीर्घाओं में बंटा हुआ है. यहाँ आधुनिक काल की भारतीय पुलिस ही नहीं, पुरातन और मध्यकालीन, मुग़लकालीन पुलिस व्यवस्थाओं और पुलिस के तौर तरीकों की मजेदार जानकारियाँ मिलती हैं. भारतीय पुलिस के इतिहास से जुड़े कई किस्सों – कहानियों, घटनाओं – दुर्घटनाओं के गवाह दस्तावेज़, कृतियाँ, अस्त्र शस्त्र और सामान इसी तरह की जानकारियों के साथ इस म्यूज़ियम में प्रदर्शित किये गये हैं. तस्वीरों के साथ इनके बारे में लेख rakshaknews.in आप तक समय-समय पर पहुंचाता रहेगा.

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