चेतन चीता ने फिर दी मौत को मात , इस बार कोरोना वायरस को हराया

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केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF सीआरपीएफ) का सूरमा और कीर्ति चक्र से सम्मानित चेतन चीता एक बार फिर विजेता बनकर लौटा है. चार साल पहले गोलियों से छलनी शरीर के साथ भी आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के साथ जिस जांबाज़ ने मौत को भी चकमा दिया था वो आज, दुनिया को तबाह कर डालने पर उतारू, खतरनाक कोरोना वायरस से भी मुकाबला करके घर आ गया है.

चेतन चीतास्वस्थ होने के बाद चेतन चीता को ऐसे विदा किया गया अस्पताल से.

कोरोना वायरस के संक्रमण से लगातार तकरीबन डेढ़ महीने तक जंग लड़ने के बाद जब हरियाणा के झज्जर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से रवाना हुआ तो वहां के डॉक्टरों, नर्सों और स्टाफ के चेहरे ऐसे ख़ुशी से खिले हुए थे मानो उनकी मन की मुराद पूरी हो गई हो.

चेतन चीता
चेतन चीता अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर जाते हुए.

देश की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार सर पर कफन बाँध जो गोलियों की बोछारों के बीच डटा रहा हो भला उसके जीवन की रक्षा में लेशमात्र भी योगदान देने वाले को गर्व तो होगा ही. अस्पताल से चेतन चीता को छुट्टी मिलने के बाद उन्हें विदा करते वक्त ऐसे ही भाव उन सबके चेहरे पर दिखाई दे रहे थे जिनका चेतन चीता के इलाज से कैसा भी वास्ता रहा हो. चेतन के ठीक हो जाने में उन्हें अपनी निजी कामयाबी सी महसूस हो रही थी. ये सब उन्हें अस्पताल के बाहर कार तक छोड़ने आये थे.

चेतन चीता
चेतन चीता अपनी पत्नी के साथ. यह तस्वीर तब की है जब चेतन आतंकवादियों के हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बाद स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे.

चेतन चीता को 9 मई को उस वक्त झज्जर के एम्स में लाया गया था जब कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उनका ऑक्सीजन स्तर बेहद कम हो गया था और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. उन्हें यहाँ आईसीयू में ऑक्सीजन की सपोर्ट पर रखा गया था. डॉक्टरों का कहना है कि चेतन चीता को एंटी वायरल थेरेपी दी जा रही थी जिससे संक्रमण कम हो रहा था लेकिन इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई जिसकी वजह से चेतन चीता को वेंटिलेटर पर रखना पडा. उन्हें बहुत ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन देनी पड़ रही थी.

चेतन चीता
चेतन चीता अपनी पत्नी के साथ. यह तस्वीर तब की है जब चेतन आतंकवादियों के हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बाद स्वस्थ होकर घर लौटे थे.

डॉक्टरों का कहना है कि जिस हालत पर चेतन चीता पहुँच गये थे वहां से सकुशल लौट पाना कोविड 19 के बेहद कम मामलों में देखा गया है. लेकिन चेतन चीता का जीवट और उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ का समर्पण शायद इतना ज़बरदस्त था कि कोरोना वायरस को भी उसके आगे घुटने टेकने पड़ गए.

चेतन चीता
चेतन चीता की यह फोटो तब की है जब आतंकवादियों के हमले में बुरी तरह जख्मी होने के बाद स्वस्थ होकर पुन: ड्यूटी ज्वाइन की थी.

उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी 1917 को कश्मीर घाटी के बांदीपोरा में चेतन चीता और उनके साथियों की आतंकवादियों से भीषण मुठभेड़ हुई थी. चेतन उस वक्त सीआरपीएफ की 45 वीं बटालियन के कमान अधिकारी थे. उस मुठभेड़ में उन्हें सिर, पेट, आँख, बाजुओं, हाथों और कुल्हे तक पर गोलियां लगी थीं, बड़ी मुश्किल से एम्स में इलाज करके डॉक्टर उनको बचा पाए थे हालांकि उनकी एक आँख नहीं बच सकी थी. अप्रैल 2017 में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी और 2018 में वो ड्यूटी पर भी आ गये थे.

चेतन चीता
चेतन चीता.

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