सीमान्त राज्यों में बीएसएफ का इलाका बढ़ा, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इसे गलत कदम कहा

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बीएसएफ
बार्डर पर तैनात बीएसएफ.

पाकिस्तान से सटे भारत के बॉर्डर वाले इलाकों की हिफाज़त के लिए तैनात की गई सीमा सुरक्षा बल (border security force – BSF – बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया गया है. इसे लेकर भारत के पश्चिम बंगाल और पंजाब राज्यों ने विरोध किया है. बीएसएफ की ज्यादातर तैनाती इन दो बड़े राज्यों के अलावा राजस्थान व गुजरात से सटी विदेशी सीमा पर भी है. इनमें से पश्चिम बंगाल से बंगलादेश का बॉर्डर जुड़ा है तो पंजाब, गुजरात और राजस्थान से पाकिस्तान की सीमा सटी है.

पंजाब और पश्चिम बंगाल के राज्यों की सरकार बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने का विरोध कर रही हैं. सीआरपीएफ और आईटीबीपी जैसे कुछ अन्य सशस्त्र पुलिस संगठनों की तरह ही बीएसएफ भी ऐसा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है जो केंद्र सरकार के अधीन काम करता है. सीमाई इलाके की सुरक्षा के मद्देनज़र इन बलों के पास बॉर्डर से कुछ किलोमीटर देश के भीतर तक तलाशी और धरपकड़ करने जैसी वो तमाम शक्तियां होती हैं जो स्थानीय पुलिस को दी जाती हैं और पुलिस राज्य सरकार के अधीन है. क्योंकि राज्यों में कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी वहां की पुलिस व्यवस्था की है तो ऐसे में राज्यों को लगता है कि बीएसएफ का दायरा बढ़ने से स्थानीय व्यवस्था में इस बल के जरिये केंद्र सरकार का दखल बढ़ जायेगा. इसलिए राजनीतिक क्षेत्रों में इसे संघीय ढांचे को नुकसान पहुँचाने वाला कदम बताया जा रहा है.

पंजाब को ऐतराज़ क्यों :

पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने को लेकर ज्यादा विवाद हो रहा है इसकी दो प्रमुख वजह हैं. एक- पंजाब के 23 में से 6 ज़िले ऐसे हैं जिनकी सीमा पाकिस्तान से सटी है और यहां बीएसएफ तैनात है. इन इलाकों में अवैध घुसपैठ, हथियारों और ड्रग्स की तस्करी जैसे अपराध हमेशा सिरदर्द बने रहते हैं. पहले इन अपराधों में लिप्त गिरोह सीमा पार करने या सामान पहुँचाने के लिए पशुओं का सहारा लेना, सुरंग या बाड़ पार करने जैसी गतिविधियां करते थे लेकिन कुछ साल से वो इन अपराधों को अंजाम देने के लिए ड्रोन का भी दुरूपयोग करने लगे हैं. क्योंकि सुरक्षा से जुड़े होने के कारण सीमा इन तमाम गतिविधियों को रोकने की ज़िम्मेदारी बीएसएफ की है इसलिए ऐसे मामलों की रोकथाम और जांच करने के लिए किसी से पूछताछ करने, उसको गिरफ्तार करने, तलाशी लेने के अलावा केस की जांच करने जैसे अधिकार भी उसके पास है. लेकिन अभी बीएसएफ अपनी इन शक्तियों का इस्तेमाल सीमा से लेकर देश के भीतर 15 किलोमीटर के दायरे तक ही कर सकती थी लेकिन केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नई अधिसूचना में बीएसएफ के इस दायरे को बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया गया है.

ऐसे समझें विवाद :

नये हालात को समझने के लिए क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय अटारी -वाघा बॉर्डर की मिसाल ली जा सकती. अभी तक यहां से 15 किलोमीटर की दूरी तक बीएसएफ के जवान किसी को रोककर पूछताछ कर सकते थे, उसकी या उसके परिसर की तलाशी ले सकते थे. इस दायरे में ज़्यादातर सीमाई ग्रामीण क्षेत्र आता था जिसमें काफी मात्रा में खेतिहर भूमि या वीरानी रहती है. लेकिन अब क्यूंकि दायरा 35 किलोमीटर और बढ़ गया है तो इसमें अमृतसर शहर का भी हिस्सा आ जाएगा. यानि उन रिहायशी बस्तियों में भी बीएसएफ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके ऑपरेशन कर सकेगी. अब क्योंकि वहां पंजाब पुलिस पहले से ही है तो दलील दी जा रही है कि इससे पुलिस व बीएसएफ के बीच टकराव बढ़ेगा. साथ ही ये भी शक ज़ाहिर किया जा रहा है कि केंद्र सरकार यहां बीएसएफ के जरिये मनमानी कर सकेगी. लिहाज़ा ये स्थानीय सरकार को मिली क़ानून व्यवस्था सम्भालने की ज़िम्मेदारी व इसके लिए उसे भारत के संविधान में दी गई शक्तियों का हनन है. यही स्थिति अन्य पांच ज़िलों में भी रहेगी. सो, इसे भारत के संघीय ढांचे के लिए खतरनाक बताया जा रहा है.

ये है अधिसूचना :

अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर केन्द्रीय पुलिस बलों के काम करने के क्षेत्र का दायरा और शक्तियां बढ़ाने से संबंधित साल 3 जुलाई 2014 की अधिसूचना में मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय राज्यों का तो पूरा इलाका इस दायरे में था. वहीँ गुजरात में पाकिस्तानी सीमा से राज्य के भीतर 80 किलोमीटर तक का इलाका, राजस्थान में 50 किलोमीटर तक और पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में 15 किलोमीटर राज्य के भीतर तक का इलाका इस दायरे में लाया गया था.

दिलचस्प है कि उस अधिसूचना में किये गये ताज़ा बदलाव के तहत गुजरात अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ का दायरा 30 किलोमीटर कम करके 80 से घटाकर 50 किलोमीटर किया गया है. पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में ये अधिकार क्षेत्र बढ़ाकर 50 किलोमीटर किया गया है.

पंजाब में विवाद :

क्योंकि पंजाब में विधान सभा के चुनाव भी होने वाले हैं और वहां अभी विपक्षी दल की सरकार है तो इसलिए भी ये मुद्दा गरमाता जा रहा है. पंजाब के वर्तमान मुख्मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और राज्य में सक्रिय अलग अलग राजनीतिक दल बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं. वहीं हाल ही में हटे मुख्यमंत्री और पूर्व सैनिक कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे हैं. सत्तामुक्त होने के बाद वो हाल ही में दिल्ली आकर भारत के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले भी थे जिसे लेकर अटकलें लगाई जा रहीं थी कि अमरिंदर सिंह केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में जा सकते हैं.

किसने क्या कहा :

पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने इस कदम को वापस लेने की मांग की है. पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने इसे देश के संघीय ढांचे के तहत मिले राज्य सरकार के अधिकारों का हनन बताया है. पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसे ‘अंदरूनी इमरजेंसी’ करार दिया है. श्री रंधावा पंजाब के उप मुख्यमंत्री भी हैं. उनका कहना है कि उन्होंने इस बारे में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने वाले फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. वहीं पंजाब में विपक्षी दल यानि शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इसके पीछे केंद्र और पंजाब सरकार की मिलीभगत बताई है.

दूसरी तरह केन्द्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि नई अधिसूचना सीमाई इलाके में बीएसएफ के काम को सशक्त करने के नजरिये से लागू की गई है. इसका मकसद तस्करों और ऐसे तत्वों के खिलाफ असरदार कार्रवाई को अंजाम देना है. गुजरात में दायरा 80 से घटाकर 50 किलोमीटर करने के बारे में मंत्रालय की दलील है कि ये एक समान करने के लिए किया गया है.