अग्निपथ योजना में बदलाव के संकेत : अग्निवीर का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 7 साल तथा कुछ अन्य लाभ

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भारतीय सेना में अग्निवीरों का प्रशिक्षण

भारतीय सेना  ( indian army ) ने अग्निपथ योजना की समीक्षा की है और इसमें सुधार के लिए कई सिफारिशें की हैं.  इनमें 4 साल पूरे करने के बाद नियमित सेवा में शामिल होने वाले अग्निवीरों का  मौजूदा  प्रतिशत 25 से बढ़ाकर 60-70  करना शामिल है.

बदलाव की सिफारिशों संबंधी इस फैसले को योजना की आलोचना और बदले राजनीतिक माहौल के नतीजे के तौर पर देखा जा रहा है .  2024 के लोकसभा चुनाव ( loksabha election) के नतीजे आने के बाद नई सरकार को समर्थन देने से पहले ही  एनडीए के सहयोगी दल , नितीश कुमार के नेतृत्व वाले  जनता दल यूनाइटेड ( जेडीयू)  अग्निपथ योजना ख़त्म करने की शर्त रखी थी .  अपना ऐसा ही रुख , नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनने वाली नई  सरकार के गठन से पहले , चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ( एलजेपी -रामविलास) ने भी ज़ाहिर किया था . अग्निपथ योजना पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने सरकार से इसकी समीक्षा करने को कहा था .

अग्निपथ योजना  ( agnipath scheme ) में बदलाव की सिफारिशों संबंधी समाचार फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने प्रकाशित किया है जिसमें  रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के हवाले से  बताया गया है  कि अग्निपथ योजना की उपयोगिता का मूल्यांकन सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है.  समाचार के मुताबिक़ भारतीय सेना ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती अग्निवीरों की सेवा अवधि को 4 साल से बढ़ाकर 7 से 8 साल करने का सुझाव दिया.  इसके अलावा  उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में अग्निवीरों के लिए प्रवेश आयु को बढ़ाकर 23 वर्ष करने की सिफारिश की. साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रशिक्षण के दौरान विकलांगता के लिए अनुग्रह राशि प्रदान की जानी चाहिए और निकास प्रबंधन को एक पेशेवर एजेंसी द्वारा संभाला जाना चाहिए. इसके अलावा, अगर कोई अग्निवीर युद्ध में जान गंवाता  जाता है, तो उसके परिवार को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए.

भारत सरकार ने अग्निपथ योजना शुरू में पेंशन बिल को कम करने और सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की थी . सरकार ने जून 2022 में अग्निपथ योजना का ऐलान किया था जिसके तहत भर्ती किये गये सैनिकों को अग्निवीर कहा जाता है . हालांकि इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती सितंबर 2022 में शुरू की गई. इसे लेकर देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए थे और विपक्षी दलों ने भी योजना की आलोचना की थी. बीते लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन के मुख्य दल कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने तो जगह जगह यही एला किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो अग्निपथ योजना खत्म कर दी जाएगी.

अग्निपथ  योजना  ( agnipath yojana) की शुरुआत से पहले, सैनिकों को आजीवन पेंशन के साथ 15+ साल के कार्यकाल पर सशस्त्र बलों में भर्ती किया जाता था.  2019 से, तीन साल तक सशस्त्र बलों में कोई भर्ती नहीं की गई.  भारत सरकार ने इसके लिए भारत में कोविड-19 महामारी से पैदा हुए हालात का हवाला दिया.  इस बीच हर साल  50,000 से 60,000 सैनिक  सेवानिवृत्त होते रहे, जिससे सैनिकों  की कमी हो गई. इस कारण  सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता  प्रभावित होने लगी.

सरकार ने अग्निपथ योजना शुरू में पेंशन बिल को कम करने और सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की थी.   फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक़ , नए भर्ती किए गए सैनिकों के बीच प्रशिक्षण और विशेषज्ञता की कमी के बारे में चिंताएँ जताई गई हैं.  अखबार ने लिखा है कि अगर अग्निपथ योजना से भर्ती बंद कर दी जाती है, तो भारतीय सेना को अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा. इस कमी को पूरा करने में एक दशक से ज्यादा का वक्त लग सकता है. इसलिए, सैनिकों की तेजी से भर्ती करने और व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अग्निपथ योजना में सुधार करना ज़रूरी बताया गया है.  नै सिफारिशों के हवाले से बताया गया है कि  इस तरीके से  पेंशन बिल को कम करते हुए परिचालन क्षमताओं से समझौता किए बिना एक युवा बल प्रोफ़ाइल बनाने में मदद मिलेगी.