मिल्खा सिंह का जाना पाकिस्तानी फौजी व धावक के परिवार को भी बड़ी पीड़ा दे गया

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मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह और अब्दुल खालिक़ (फाइल)

दो फौजी प्रतिद्वंद्वियों के बीच इतनी समानताएं होना बड़ा अजीब इत्तेफ़ाक है. दोनों पंजाबी मूल के लेकिन मजहब अलग अलग. दोनों ने जीवन के शुरूआती दिनों में ही संघर्ष किया. दोनों सेना में भर्ती हुये लेकिन अलग अलग देशों में. दोनों ही सेना में जाने के बाद एथलीट बने. दोनों लोकप्रिय हुये और वो भी एक दूसरे की वजह से. दोनों को ही एक दूसरे के देश शीर्ष व्यक्तियों से प्रसिद्धि देने वाले नाम मिले. यहाँ बात हो रही है भारतीय धावक मिल्खा सिंह और पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक की.

मिल्खा सिंह
यह तस्वीर 1958 की है. जब मिल्खा सिंह ने टोक्यो एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में पाकिस्तान के अब्दुल खालिक़ को परास्त किया था.

ये तो सब लोग जानते हैं कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख (उड़न सिख) का नाम दिया था जब लाहौर की 1960 की प्रसिद्ध एथलेटिक मीट के दौरान 200 मीटर की दौड़ में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक को हराया था लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि उस समय तक एशिया के सबसे तेज़ धावक रहे अब्दुल खालिक को फ्लाइंग बर्ड ऑफ़ एशिया (एशिया की उड़न चिड़िया) का नाम भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था. ये बात 1954 के मनीला में हुए एशियाई खेलों की है जहां पंडित नेहरू मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे.

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मिल्खा सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ (फाइल)

मिल्खा सिंह के निधन के बाद, लाहौर में अब्दुल खालिक के बेटे से बातचीत के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मोहम्मद एजाज़ ने इस घटना की पुष्टि की है. मिल्खा सिंह के निधन पर बेहद अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए मोहम्मद एजाज़ ने अपने पिता अब्दुल खालिक और मिल्खा सिंह से सम्बन्धित कुछ और दिलचस्प बातें साझा. मोहम्मद एजाज़ कहते हैं कि मुझे मेरे पिता और उनके स्पोर्ट्स के दिनों के बारे में काफी बातें उनके टीम के साथी करामत हुसैन और अंकल ओलंपियन अब्दुल मलिक ने बताई क्यूंकि 200 मीटर वाली उस दौड़ को हारने के बाद पिताजी ने बात करना बंद कर दिया था. तब से अब्दुल खालिक के करियर का ग्राफ़ गिरना शुरू हो गया था.

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मोहम्मद एजाज़

पाकिस्तानी फ़ौजी के तौर पर अब्दुल खालिक ने भारत के खिलाफ 1965 के अलावा 1971 वाली वो जंग भी लड़ी जब पाकिस्तान के दो हिस्से हुए और बांग्लादेश गठन हुआ. उस समय पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया था और इनमें से बड़ी संख्या में युद्धबंदी मेरठ जेल में रखे गए थे. मोहम्मद एजाज़ का कहना है कि उनके पिता अब्दुल खालिक भी उन्हीं युद्धबंदियों में से एक थे. इस बात का पता जब मिल्खा सिंह को चला तो वह अब्दुल खालिक से मिलने जेल में आये और इतना ही नहीं जेल के प्रभारी अधिकारी से अनुरोध किया कि अब्दुल खालिक का विशेष ख्याल रखा जाये. भावुक एजाज़ कहते हैं कि इसके लिए हमारा परिवार हमेशा के लिए एहसानमंद रहेगा.

मिल्खा सिंह
जब मिल्खा सिंह ने अब्दुल खालिक़ को हराकर स्पर्धा जीती थी.

मोहम्मद एजाज़ के मुताबिक़ ‘भाग मिल्खा भाग’ फिल्म के बनने से पहले उनके पास मिल्खा सिंह के सेक्रेटरी का फोन आया था जो उनके फिल्म में उनके पिता की भूमिका निभाये जाने के अधिकार लेने से सम्बन्धित था. मोहम्मद एजाज़ बताते हैं कि फिर मिल्खा सिंह ने अपने सेक्रेटरी से फोन ले लिया और मुझसे बात की. मैने जब कहा कि वह बहुत महान एथलीट थे तो मिल्खा सिंह बोले, ‘ पुत्त, तेरा बापू बहोत वड्डा एथलीट था. मैं उसको हारने के बाद ही फ्लाइंग सिख बना हूँ. मेरी शोहरत उसी की वजह से है.’ सच में ऐसी बात कोई बड़े दिल वाला ही कह सकता है.

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अब्दुल खालिक़ (फाइल)

एजाज़ बताते हैं कि भाग मिल्खा भाग फिल्म रिलीज़ होने के बाद लोगों ने उनको पिता अब्दुल खालिक की भूमिका और उनकी उपलब्धियों के बारे बात करनी शुरू की वरना लोग तो उन्हें भुला ही चुके थे.

मोहम्मद एजाज़ याद करते हैं कि मिल्खा सिंह ने उनसे मां का ख्याल रखने की ताकीद करते हुए कहा था, ‘ माँ भगवान् का रूप होती हैं, हमें उनकी ज्यादा से ज्यादा देखभाल करनी चाहिए.’ इसके साथ ही मिल्खा सिंह उनकी माँ वलायत बेगम से बात करना भी नहीं भूले. मोहम्मद एजाज़ कहते हैं कि मिल्खा सिंह का जाना उनके लिए भी निजी क्षति है. उनका कहना है कि मिल्खा सिंह ने उन्हें भारत आने का न्यौता भी दिया था लेकिन अफ़सोस कि उनसे मिलने की इच्छा अधूरी ही रह गई. मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी निर्मल कौर के निधन पर बेगम वलायत ने गहरा अफ़सोस ज़ाहिर किया है. कहा कि दुःख की इस घड़ी में उनका परिवार साथ है.

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मिल्खा सिंह का परिवार (फाइल)

एजाज़ कहते हैं कि इसी महीने के शुरू में पाकिस्तान ने 1960 के ओलम्पियन और उन्होंने अपने अंकल अब्दुल मलिक को खोया था और अब मिल्खा जी का जाना ऐसा लगता है जैसे उनके परिवार और देश के एक और क्षति हुई हो.

पत्नी के जाते ही हमेशा के लिए उड़ गया फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह