आजकल भारत में एक कैम्पेन चल रहा है #metoo. बाहर से कहीं से आया है. इसमें वे महिलाएं अपनी व्यथा जनता के सामने रखती हैं जिनका शारीरिक/यौन या मानसिक शोषण किया गया हो. चूंकि इसमें अब तक ऐसी लोग ही शामिल हुईं जो बड़ी हैसियत रखती हैं और इसने दुनिया भर में तहलका मचाने के बाद अब भारत का रुख किया है. सो, अब भारत में खलबली मची है. बालीवुड और राजनीति इसकी चपेट में आ चुके हैं. लेकिन यह शोषण सिर्फ शारीरिक हो यह जरूरी नहीं…शोषण कई टाइप का हो सकता है. ऐसा ही एक टाइप सामने आया जब एक जांबाज फौजी अफसर शौर्य चक्र विजेता मेजर (रिटायर्ड) राकेश शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा… #metoo/मैं भी. यह टाइप ऐसा है जो साधारण नहीं बल्कि अकल्पनीय है. आप जानकर चकित रह जाएंगे कि क्या ऐसा भी #metoo हो सकता है. यह सच है उतना ही बड़ा जितना कि हमारी जिंदगी.
#metoo के बहाने ही सही पर इस सच को भारतवासियों के सामने लाए सरहद के रखवाले रहे मेजर (रिटायर्ड) राकेश शर्मा. उन्होंने एक पीड़ा, एक ऐसा सच सामने रखा है जो हर फौजी या हर देशभक्त या हर संवेदनशील व्यक्ति को भीतर तक झकझोर देगा. पढिये मेजर साहब की कलम से…
My Version – METOO/ मैं भी
दिन रात दुश्मन की गोलियां और वार सहता हूँ
हर सांस के लिये जद्दोजहद करता हूँ- Me Too
मेरा मरना आम सी बात है, किसके पास मेरे लिये जज्बात है
आपकी खुशियों के बीच मरा हुआ ताबूत में लौट आता हूँ- Me Too
साल में एक या दो बार अपनों से मिल पाता हूँ
कोई गुजर जाए तो दूर से ही रो लेता हूँ- Me Too
सबको दूर से हरा दिखता हूँ
पास आते ही बोझ बन जाता हूँ- Me Too
सपने और इरादे हजारो लिये घर छुट्टी आता हूँ
दफ्तरों और दर दर की ठोकरे खाकर टूटा लौट जाता हूँ- Me Too
बना soldier था पर कभी मैं Police हूँ कभी Rescuer तो कभी Engineer
मैं हर काम किये जाने के बाद कुछ नहीं कहलाता हूँ- Me Too
दुश्मनों का दम तोड़ता हूँ
पर अपनों से खंजर खाता हूँ- Me Too
हक मेरा कोई नहीं क्यूंकि मैं कोई Vote Bank नहीं
अपने आखिरी पलों में lathicharge किया जाता हूँ- Me Too