आकाश प्राइम मिसाइल का सटीक निशाना, आसमान में ‘दुश्मन’ तबाह किया

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Akash Prime Missile Test
आकाश मिसाइल के नये संस्करण आकाश प्राइम का सफलतापूर्ण परीक्षण किया गया.

भारत ने मध्यम दूरी तक मार करने वाली आकाश मिसाइल के नये संस्करण आकाश प्राइम का सफलतापूर्ण परीक्षण किया है. ओडिशा स्थित चांदीपुर एकीकृत रेंज में सोमवार को किये गये इस मिसाइल टेस्ट के दौरान नई आकाश ने जमीन से हमला करके आसमान में उड़ रहे दुश्मन के मानवरहित विमान को तबाह कर दिया. तीस साल से ज्यादा पुरानी आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली भारतीय सेना के रक्षा बेड़े में पहले से ही शामिल है और आकाश प्राइम के नाम से इसके नये संस्करण ने सैन्य ताकत को और बढ़ा दिया है. ये आकाश गाइडेड मिसाइल का तीस साल में तीसरा संस्करण है.

भारत में रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले साजो-सामान और हथियारों पर अनुसंधान करने वाले सरकारी संगठन डीआरडीओ (DRDO) ने आकाश प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का विकास किया है. सोमवार को इस श्रेणी की जिस आकाश प्राइम मिसाइल का टेस्ट किया गया उसकी ख़ासियत है, सटीक निशाना लगाने के लिए भारत में बने रेडियो फ्रीक्वेंसी (Radio Frequency) सीकर से उसका लैस होना. शक्तिशाली राडार से लैस प्रणाली वाली आकाश मिसाइल का लांचिंग वज़न तकरीबन 750 किलो, लम्बाई 5.78 मीटर और डायमीटर 35 सेंटीमीटर होता है. ये मैक 2 .5 (Mach 2.5) की रफ्तार से जमीन से आसमान तक 18 किलोमीटर फासला पूरा करते वहां जाकर लक्ष्य को निशाना बना सकने की ताकत रखती है.

Akash Prime Missile Test
आकाश मिसाइल

डीआरडीओ के मुताबिक़ आकाश मिसाइल में अब जो ताज़ा सुधार किए गए हैं उससे अब ये मिसाइल बेहद ऊंचाई पर कम तापमान वाले वातावरण में ज्यादा अच्छा नतीजा देती है. नये सुधारों ने इसकी विश्वसनीयता को बढ़ाया है. रक्षा विशेषज्ञों ने सोमवार को उड़ान परीक्षण के लिए आकाश हथियार प्रणाली की संशोधित जमीनी प्रणाली का इस्तेमाल किया. सतह से आसमान में मार करने वाली वैसे आकाश मिसाइल स्थाई या पहियों वाले प्लेटफ़ॉर्म से भी दागा जा सकता है. चांदीपुर स्थित आईटीआर के रेंज स्टेशनों उपलब्ध रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस – EOTS) और टेलीमेट्री स्टेशन से मिसाइल के प्रक्षेपवक्र और उड़ान मापदंडों की निगरानी की गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पिछले साल मंत्रिमंडल की बैठक में हरी झंडी मिलने के बाद सरकार ने आकाश मिसाइल को दूसरे देशों को बेचे जाने के लिए निर्यात नीति को मंजूरी भी दी थी.

डीआरडीओ का शानदार काम :

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आकाश मिसाइल

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आकाश प्राइम मिसाइल के कामयाब टेस्ट के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू – DPSU ) और उद्योग जगत को बधाई दी है. उन्होंने डीआरडीओ की तारीफ की और कहा कि ये सफल उड़ान परीक्षण विश्व स्तरीय मिसाइल प्रणालियों के डिजाइन और विकास में डीआरडीओ की क्षमता को साबित करता है.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (DRDO) के सचिव और चेयरमैन डॉ जी सतीश रेड्डी ने आकाश प्राइम मिसाइल के सफल उड़ान परीक्षण के लिए पूरी टीम को बधाई दी. डॉ रेड्डी ने कहा कि आकाश प्राइम प्रणाली उपयोगकर्ताओं (भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना) के विश्वास को और बढ़ावा देगी क्योंकि आकाश मिसाइल प्रणाली सेना में पहले से ही शामिल हो चुकी है और अब और अधिक घातक मिसाइलों के साथ इसमें सुधार हो रहा है.

आकाश मिसाइल का इतिहास :

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आकाश मिसाइल

आकाश मिसाइल का सबसे पहला परीक्षण 1990 में किया गया था. भारतीय सेना में आकाश मिसाइल को 2009 में शामिल किया गया. इसके अब कुल तीन संस्करण हो गये हैं. आकाश प्राइम से पहले इसके दो संस्करण आकाश एमके 1 ( Akash Mk 1) और आकाश 1 एस (Akash 1S ) थे. इसके बाद समय समय पर इसमें सुधार किये जाते रहे. आकाश मिसाइल विकास परियोजना के लिए 1000 करोड़ रुपये की लागत रखी गई जोकि अन्य देशों के मिसाइल विकास परियोजनाओं से 8 से 10 गुना कम मानी जाती है. शुरुआत में एक मिसाइल बनाने में 2 करोड़ रूपये की लागत रखी गई.