सुखना लेक पर शानदार एयर शो लेकिन मौसम और कुव्यवस्था ने मज़ा ख़राब किया

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भारतीय वायुसेना
सुखना लेक पर चिनूक का शो. साभार : 'द ट्रिब्यून'

तीन राज्यों से घिरी सिटी ब्यूटीफुल की शान मानी जाने वाली सुखना लेक के आसमान पर भारतीय वायुसेना (indian airforce) के विमानों और पायलटों ने अपनी जांबाज़ी और कौशल का शानदार प्रदर्शन करके लोगों का दिल एक बार फिर से जीत लिया. झील के पानी के ऊपर नीची उड़ान भरते चिनूक हेलिकॉप्टर को देख तो वहां मौजूद दर्शक ख़ासा रोमांचित महसूस कर रहे थे. गरजते हुए पहुंचे लड़ाकू विमान राफेल की यहां की परवाज़ ने इस रोमांच में इज़ाफा किया. लेकिन ख़राब मौसम के कारण वो न हो सका जिसकी लोग उम्मीद लेकर आये थे. दर्शक सुखना लेक एयर शो में सूर्यकिरण टीम की हैरान कर देने वाली आसमानी कलाबाज़ियों के नज़ारे से महरूम रहे. वहीं शो में आयोजन के साझीदार रहे चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस के इंतजामों में खामियों ने लोगों को काफी हताश किया.

सुखना लेक (sukhna lake) पर हुआ भारतीय वायु सेना का ये ये एयर शो दो तरह से ख़ास था. पहला तो यही कि ये एयर शो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की विजय के 50 साल पूरे होने के मौके पर स्वर्णिम विजय वर्ष (swarnim vijay varsh) के रूप में मनाये जा रहे कार्यक्रमों का हिस्सा था. दूसरी खास बात ये थी कि सुखना लेक पर होने वाला ये एयर शो चंड़ीगढ़ स्थित एयर फ़ोर्स स्टेशन (chandigarh air force station) की हीरक जयंती वर्ष को भी समर्पित करते हुए प्रचारित किया गया था. आयोजकों ने तीन राज्यपालों समेत खूब सारे वीआईपी को न्योता देकर इसे और बड़ा बनाने की भी भरपूर कोशिश की थी. लेकिन गण्यमान्य लोगों की आवाजाही और सुरक्षा, प्राथमिकताओं पर इतनी भारी पड़ी कि सुखना लेक पर पहुंचने और वहां से लौटने वाले दर्शक खासे परेशान होते दिखाई दिए.

भारतीय वायुसेना
भारतीय वायुसेना का एयर शो

सुखना लेक के पानी की सतह से चंद फुट की ही ऊंचाई से गुज़रते उस चिनूक हेलिकॉप्टर (chinuk helicopter) की गड़गड़ाहट और दर्शकों की तालियों ने भरपूर मज़ा बाँध दिया था जो चंडीगढ़ स्थित वायुसेना की ‘126 हेलिकॉप्टर यूनिट’ (126 helicopter unit) से आया था. इसी के साथ सेना की स्पेशल फोर्सेस (special forces ) इकाई के कमांडो ने झील के पानी पर एक्शन से भरपूर कौशल का प्रदर्शन कर लोगों को आकर्षित किया. पड़ोस के अंबाला स्थित वायुसेना की 17 स्क्वाड्रन से आया फाइटर राफेल (fighter rafale) जब लेक के ऊपर से चक्कर लगाते हुए जबरदस्त गरजना करता करीब आता तो दर्शकों के लिए रोमांच के पल और बढ़ जाते थे. फिर आसामान की तरफ सीधा खड़ा हो राफेल देखते ही देखते ऊंचाइयों में लुप्त हो जाता था. वहीं भारतीय वायु सेना के बैंड (indian air force band) के वाद्य यंत्रों की धुनें जोश बढ़ातीं तो मधुरता से मन को मोह लेती थीं.

भारतीय वायुसेना
भारतीय वायु सेना का बैंड शो

वो करतब नहीं दिखे :

सुखना लेक एयर शो में और भी काफी कुछ हुआ लेकिन भारतीय वायु सेना की सूर्यकिरण टीम के करतब न दिखाई देने से दर्शक मायूस हुए. घने बादल और कम रोशनी जैसे हालात में जोख़िम भरे आसमानी करतबों की गुंजायश नहीं थी. ऐसे हालात न सिर्फ हमेशा ही खतरा पैदा करने वाले होते हैं बल्कि ऐसे आसमानी करतबों का नज़ारा सही से बनता भी नहीं है. क्यूंकि इस बारे में शो में घोषणा नहीं की गई, ये जानकारी भी वीआईपी दर्शक दीर्घा में मौजूद लोगों को दी गई. लिहाज़ा आम दर्शक शो के आखिर तक बड़ी उम्मीद लगाकर उन करतबों और कलाबाजियों का इंतज़ार करते रहे जिसके लिए भारतीय वायुसेना की सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम (suryakiran aerobatics team) दुनिया भर में मशहूर है.

काफी वीआईपी पहुंचे :

सुखना लेक पर एयर शो (sukhna lake air show) देखने के लिए बनाई गई दर्शक दीर्घा में पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर दर्शक दीर्घा में खासतौर पर मौजूद थे. पंजाब की मुख्य सचिव विनी महाजन, उनके पति और पंजाब पुलिस के महानिदेशक दिनकर गुप्ता, भारतीय सेना की पश्चिम कमांड के प्रमुख जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह, वायु सेना की पश्चिमी कमांड के प्रमुख मार्शल बीआर कृष्णा और चंड़ीगढ़ पुलिस के प्रमुख प्रवीर रंजन मौजूद थे. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रविशंकर झा भी विशेष रूप से यहाँ दिखाई दिए. उनके अलावा खासी संख्या में वायुसेना और चंडीगढ़ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तो शो में मौजूद थे ही.

चंडीगढ़ में कई बड़े कार्यक्रमों का गवाह बनती आ रही विशाल सुखना झील पर एयर शो के लिए दर्शकों में खासा उत्साह शुरू से ही देखने को मिल रहा था. राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों को छोड़ दें तो चंडीगढ़ और उसके आसपास का इलाका ही शायद उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा इलाका है जहां सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और पूर्व सैनिकों के परिवारों बड़ी संख्या में आबादी है. इनमें सेना और पुलिस प्रमुखों से लेकर बड़े जांबाज़ और सम्मानित सैनिक भी शामिल हैं. ऐसे में सेना और विभिन्न बलों से जुड़े कार्यक्रमों और मुद्दों से काफी लोगों का जुड़ाव देखने को मिलता है जोकि स्वाभाविक है. उस पर सुव्यवस्थित तरीके से बसे चंडीगढ़ में लोग उत्तर भारत के अन्य शहरों के वासियों ज्यादा अनुशासनिक व्यवहार के आदी हैं. इन तमाम पहलुओं को इस बार शायद शो की व्यवस्था बनाते समय ध्यान में नहीं रखा गया या फिर जल्दबाजी अथवा आखिरी लम्हों में कुछ फैसले लिए गए जिसकी वजह से आम दर्शकों को यहां तरह तरह की ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिनकी चंडीगढ़वासियों को आदत नहीं है.

भारतीय वायुसेना
भारतीय वायुसेना का एयर शो

अत्यधिक भीड़, कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन :

असल में इस शो का प्रचार भी बहुत हो गया था. खुद सोशल मीडिया पर एयर फ़ोर्स ने भी इसे शेयर किया था. चंडीगढ़ ही नहीं, आसपास से भी लोग आने लगे थे. एयर शो को लेकर जोश से भरपूर कुछ दर्शक तो ऐसे भी थे कि शो शुरू होने से दो ढाई घंटे पहले ही पहुँच गये. झील परिसर के शुरूआती छोर पर पुलिस चौकी से लेकर भीतर तक का इलाका दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था. कोविड 19 प्रोटोकॉल के मुताबिक़ तय सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing ) की तो धज्जियां उड़ी हुई थीं. तस्वीरें खींचने और वीडियो बनाने के मकसद से आये उत्साही दर्शक अच्छा व्यूह (view ) मिलने के चक्कर में लाइट वाले कंक्रीट के खम्बों पर और पेड़ों तक पर चढ़े हुए थे. दूर फासले और ऊंचाई तक के नज़ारे कैद करने के लिए ज़ूम लेंसों से लैस कैमरे लेकर आये कुछ दर्शक वायु सेना के सूर्यकिरण दस्ते के करतब न होने से हताश दिखाई पड़े. उनके लिए ये दरअसल दुर्लभ अवसर था.

यातायात व्यवस्था पर भारी पड़ी वीआई पी सुरक्षा :

दरअसल एयर शो देखने के लिए आये लोगों को जो सबसे बड़ी दिक्कत पेश आई वो थी यहां पहुँचने और वाहन पार्क करने की थी. यहां मुख्य प्रवेश के लिए रास्ता वाया किशनगढ़ रोड (kishangarh road ) से था जो सम्भवत: सुरक्षा कारणों से किया गया था. सुखना लेक की तरफ आने वाले तमाम रास्तों पर चंडीगढ़ पुलिस ने बेरिकेड्स लगाये हुए थे और सभी लोगों को वहीं रोककर किशनगढ़ की तरफ भेजा जा रहा था. वाहनों की पार्किंग की अच्छी व्यवस्था न होने के कारण लोगों ने जहां तहां वाहन पार्क किये हुए थे. फुटपाथ हो, साइकिल ट्रेक हों या सड़क किनारे भी. सेक्टर 7 से लेकर किशनगढ़- मनीमाजरा ट्रैफिक सिग्नल प्वाइंट तक पार्क की गई कारों की लम्बी थी. जगह जगह ट्रैफिक जाम था, ट्रैफिक पुलिस को भी हालात सही करने में दिक्कत पेश आ रही थीं. वहीं यातायात पुलिसकर्मी भी परेशान थे. लोगों के लिए यूटी गेस्ट हाउस चौक भी बंद था जबकि वीआईपी के वाहनों के लिए तमाम रास्ते खुले थे. सैकड़ों लोगों को यहाँ से पैदल किशनगढ़ के लिए पैदल जाना पड़ा. कुछ वापस लौट गये तो कुछ वहीं से आसमान में नज़ारा देखने की उम्मीद में रुके रहे.