इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति की लौ का नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में विलय

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अमर जवान ज्योति
दिल्ली में इंडिया गेट पर शुक्रवार को एक सैन्य समारोह में अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाया गया.

भारत की राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक फ़ौजी स्मारक ‘इंडिया गेट की ‘अमर जवान ज्योति’ अब पास ही स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल यानि राष्ट्रीय समर स्मारक की मशाल में विलय कर दी गई है. इंडिया गेट पर पिछले 50 सालों से जल रही अमर जवान ज्योति की जगह अब सिर्फ स्मारक रह गया है जहां एक उल्टी राइफल पर हेलमेट टंगा है.

अमर जवान ज्योति (amar jawan jyoti) की लौ यहां से हटाए जाने को लेकर आलोचना भी हो रही है. टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर ये बहस का मुद्दा बना है. वहीं इस मुद्दे पर पूर्व भारतीय सैनिकों का समुदाय अलग अलग राय रखता है. कुछ इसे 1971 और उससे पहले के युद्धों में शहीद हुए सैनिकों और उनसे जुड़ी यादों का अपमान मान रहे हैं तो एक धड़ा ऐसा भी है जो अमर जवान ज्योति के विलय को सही ठहरा रहा है. कुछ का मानना है कि लौ को दोनों स्थानों पर कायम रखा जाना चाहिए था. बहुत से लोग इसे सियासत के नज़रिये से देख रहे हैं.

अमर जवान ज्योति
भारतीय सेना की इंटीग्रेटेड स्टाफ कमेटी के चीफ एयर मार्शल बी आर कृष्णा की मौजूदगी में अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय समर स्मारक में मिलाया गया.

दिल्ली में इंडिया गेट पर शुक्रवार को एक सैन्य समारोह में अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाया गया. भारतीय सेना की इंटीग्रेटेड स्टाफ कमेटी के चीफ एयर मार्शल बी आर कृष्णा की मौजूदगी में अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय समर स्मारक में मिलाया गया. इससे पहले भारतीय सेना के जवान इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को एक मशाल से स्मारक पर लेकर आये थे. जैसे जैसे जवान इंडिया गेट (india gate) से लौ को मशाल तक स्थानांतरित करता है उस उस कोने से लौ को बुझाया जाता रहा. इसके बाद इंडिया गेट के नीचे उस स्थान पर एक उल्टी राइफल पर हेलमेट टंगा रहा.

अमर जवान ज्योति
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों की याद में 1972 के गणतंत्र दिवस पर इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति प्रज्वलित की थी.

भारतीय सेना की पाकिस्तान पर 1971 के युद्ध की जीत और बांग्लादेश की आजादी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों की याद में 1972 के गणतंत्र दिवस पर इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति प्रज्वलित की थी. अंग्रेजों ने 1931 में लुटियंस दिल्ली में इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश भारतीय सेना की ओर से लड़ते हुए शहीद हुए 90 हजार भारतीय सैनिकों की याद में कराया था. नेशनल वॉर मेमोरियल (national war memorial) का  निर्माण कुछ ही साल पहले हुआ था और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.