(आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को गुजरात उच्च न्यायालय ( gujarat high court ) से झटका मिला है. हाई कोर्ट ने , हिरासत में मौत के मामले में , उनकी आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा है. पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट वर्तमान में गुजरात की जेल में बंद हैं .
60 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका दायर की थी. निचली अदालत ने उनको इसमें इस केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. याचिका की सुनवाई कर रही गुजरात हाई कोर्ट की जस्टिस आशुतोष शास्त्री और जस्टिस संदीप भट्ट वाली खंडपीठ की ने मंगलवार को संजीव भट्ट की अपील को खारिज कर दी .
खंडपीठ ने गुजरात सरकार की तरफ से दायर उस अपील को भी खारिज कर दिया जिसमें पांच अन्य दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी. इन आरोपियों को हत्या के आरोप से तो बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था.
इससे पहले संजीव भट्ट उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था. इन आरोपों को विशेष जांच दल ने खारिज कर दिया था. उन्हें 2011 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया था.
गुजरात के जामनगर की सत्र अदालत ने 20 जून, 2019 को आईपीएस संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह जाला को हत्या का दोषी ठहराया था. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ रोके जाने के खिलाफ ‘बंद’ के आह्वान के बाद 30 अक्तूबर, 1990 को जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक दंगे के बाद पुलिस ने 150 लोगों को हिरासत में लिया था. उस वक्त आईपीएस संजीव भट्ट अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे. हिरासत में लिए गए उन लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी. प्रभुदास वैष्णानी के भाई ने तत्कालीन एएसपी संजीव भट्ट और छह पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में प्रभुदास को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह प्रताड़ना मौत का कारण बनी.
वहीँ आईपीएस संजीव भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को एक अन्य केस में गिरफ्तार किया गया था. इसमें उन पर मादक पदार्थ रखने के लिए एक व्यक्ति को झूठा फंसाने का आरोप लगा. उस मामले की सुनवाई चल रही है. यही नहीं संजीव भट्ट सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों के संबंध में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में भी आरोपी हैं.
प्रभुदास की हिरासत में मौत ( death in custody) के मामले में जामनगर की अदालत ने अन्य पांच पुलिसकर्मियों सब इंस्पेक्टर दीपक शाह और शैलेश पंड्या तथा कांस्टेबल प्रवीण सिंह जडेजा, अनूप सिंह जेठवा और केशुभा जडेजा को दो-दो साल कैद की सजा सुनाई थी. सर्वोच्च न्यायालय ( supreme court ) ने जून 2019 में संजीव भट्ट की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिस याचिका में 11 अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ करने की मांग की गई थी.