दिल्ली पुलिस का सिपाही नरेंद्र एक गरीब के लिए बना मसीहा

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दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस में रेलवे शाखा में तैनात सिपाही नरेंद्र ने विजय कुमार की खोई रकम उन्हें वापस की.

दिल्ली पुलिस में रेलवे शाखा में तैनात सिपाही अपनी ईमानदारी और सूझबूझ के बूते पर हीरो बन गया है. हीरो भी ऐसा कि नरेंद्र की तारीफ़ खुद दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव ने पूरी दुनिया के सामने की और सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि हमें ऐसे ही साथियों की टीम चाहिए.

सिपाही नरेंद्र ने अपनी ईमानदारी और सूझ-बूझ से तारीफ़ ही नहीं बटोरी, एक मजदूर विजय कुमार की मेहनत की कमाई को बरबाद होने से भी बचा लिया जो उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शकूर बस्ती में रहता है. दरअसल, विजय कुमार ने 30 जून को अपने बैंक खाते से एक लाख रुपये निकाले थे और इन रुपये के साथ साथ करीब 55 किलो राशन लेकर उत्तर प्रदेश के खुर्जा जाना था. विजय खुर्जा का मूल निवासी है और वहां की ट्रेन पकड़ने के लिए शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पहुंचा. विजय बरेली-नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार हुआ. राशन के दो बैग रखने के दौरान वह स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर रखा वो बैग भूल गया जिसमें कुछ और सामान के साथ साथ एक लाख रुपये भी थे. बैग बेंच पर ही छूट गया था.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन थाने पर तैनात सिपाही नरेन्द्र कुमार तब शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी पर था और ट्रेन के जाने के बाद गश्त लगा रहा था. तभी उसकी निगाह लावारिस बैग पड़ी. नरेन्द्र ने कुछ यात्रियों से बैग के बारे में पूछा लेकिन उसके मालिक के बारे में पता नहीं चला.

दिल्ली पुलिस के सिपाही नरेंद्र ने बैग अपने पास ही रखने का फैसला किया. बैग की तलाशी लेने पर उसने पाया कि उसमें नकदी के दो बंडल में करीब एक लाख रुपये हैं. रुपये के अलावा उसमें कुछ रोटियां, पानी की बोतल, एक चेक बुक, बैंक की पासबुक, आधार कार्ड और राशन कार्ड भी था. नरेंद्र ने इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी. पुलिस ने विजय कुमार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन जब संपर्क नहीं हो सका तो पुलिस ने इंतजार करने का फैसला किया.

लावारिस बैग मिलने के कुछ घंटों के बाद शाम साढ़े छह बजे विजय कुमार शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन लौटा और उसने अपने बैग के बारे में पूछताछ की. पुलिस ने कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बैग का सामान और एक लाख रुपये विजय को लौटा दिए.

विजय को बैग छूट जाने का अहसास आनंद विहार स्टेशन पर हुआ. जब प्यास लगने पर जब विजय पानी पीने के लिए ट्रेन से उतरा. विजय बहुत हैरान परेशान था क्योंकि ये रुपये मेरे लिएबहुत ही अहमियत रखते थे. विजय ने बच्चों के लिए छोटा सा घर बनाने के लिए इन रुपयों को काफी टाइम से जमा कर रहा था. वैसे भी एक लाख रुपये किसी के लिए भी अच्छी खासी रकम है.

विजय का कहना है कि मैं तो एक गरीब आदमी हूं और मेरे लिए एक लाख रुपये बहुत ही बड़ी रकम है. विजय तो बैग और रुपये मिलने की सारी उम्मीदें खो चुका था, लेकिन सिपाही नरेन्द्र उसके लिए मसीहा बनकर आया.