जम्मू में पहली बार होगी सीआरपीएफ की स्थापना दिवस परेड

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स्थापना दिवस परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान सीआरपीएफ कार्मिकों ने शानदार ड्रिल का प्रदर्शन किया

केंद्रीय अर्धसैन्य/पुलिस बलों से कहा गया है कि वे अपने स्थापना दिवस जैसे अवसरों पर होने वाली परेड जैसे कार्यक्रमों का राजधानी दिल्ली से बाहर भी करें. यहीं वजह है जो भारत के सबसे बड़े अर्द्धसैन्य बल केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की स्थापना दिवस परेड का आयोजन जम्मू में किया जा रहा है. वैसे सीआरपीएफ के स्थापना दिवस की तारीख भी बदल कर पहले ही 19 मार्च की जा चुकी है. इस दिन यानि आने वाले शनिवार को सीआरपीएफ की होने वाली स्थापना दिवस परेड की रिहर्सल जम्मू में की गई. ये डीजी परेड थी जिसकी सलामी सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने ली जबकि स्थापना दिवस परेड की सलामी केन्द्रीय गृह मंत्री लेंगे. इस बार सीआरपीएफ 83 स्थापना दिवस मना रहा है.

समय समय पर सीआरपीएफ (central reserve police force) के स्थापना दिवस की तारीख को बदला जाता रहा है जिसके कभी राजनीतिक तो कभी व्यावहारिक कारण रहे हैं. भारत में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सीआरपीएफ की पहली बटालियन 27 जुलाई 1939 को मध्य प्रदेश के नीमच में गठित की गई थी. तब सीआरपीएफ की पहचान क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस (crown representative’s police) यानि सीआरपी (CRP) के तौर थी. 28 दिसंबर 1949 को संसद में प्रस्ताव पास करके इसका वर्तमान नाम सीआरपीएफ रख दिया गया लेकिन स्थापना दिवस मनाने के लिए तारीखे बदलती रहीं.

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सीआरपीएफ की रेपिड एक्शन फ़ोर्स की टुकड़ी

1984 तक सीआरपीएफ की स्थापना दिवस परेड का आयोजन 31 अक्टूबर को किया जाता था जो असल में भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिन की भी तारीख है. 31 अक्टूबर 1984 भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सीआरपीएफ की स्थापना दिवस की तारीख बदल दी गई क्योंकि ऐसी दुखद घटना की बरसी पर जश्न या खुशी मनाने का मौका बनता नहीं है. हालांकि फिर से स्थापना दिवस की बधाई देने और इसकी ख़ुशी मनाने के लिए 27 जुलाई का दिन तय कर दिया गया.

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सीआरपीएफ के 83 वें स्थापना दिवस की रिहर्सल के साथ डीजी परेड में सलामी लेते महानिदेशक कुलदीप सिंह

सरदार पटेल ने 19 मार्च 1950 को सीआरपीएफ को राष्ट्रपति का ‘कलर’ प्रदान किया था इसलिए अब इस तारीख को सीआरपीएफ की पहली स्थापना दिवस परेड (raising day parade) आयोजित करने का फैसला लिया गया. मौसम के हिसाब से ये तारीख मुफीद बैठती है, खासतौर से भारत के ज्यादातर हिस्से में इन दिनों न ज्यादा सर्दी, न ही गर्मी होती है और न ही बरसात. युद्ध हो शांतिकाल हो, राष्ट्रपति की तरफ से ‘कलर’ मिलना किसी भी पुलिस या सैन्य बल के लिए बेहद अहम घटना और पवित्र परम्परा मानी जाती है.

जम्मू के मौलाना आज़ाद स्टेडियम में 19 मार्च को सीआरपीएफ की स्थापना दिवस परेड के मौके पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (amit shah) सीआरपीएफ कार्मिकों को मेडल, ट्राफियां और पुरस्कार देकर सम्मानित करेंगे. श्री शाह दो दिन के दौरे के बीच जम्मू कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा बैठक भी कर सकते हैं. हालांकि इस बारे में संवाददाताओं के पूछे गए सवाल पर सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कुछ नहीं कहा. श्री सिंह का वैसे कहना था कि केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर (jammu and kashmir) में हालात सुधर रहे हैं. छुट्टी पर गये सीआरपीएफ के एक जवान की हत्या के मामले में पूछे जाने पर महानिदेशक कुलदीप सिंह का कहना है कि ये इस तरह की पहली घटना है और जिसने इसे अंजाम दिया उस शख्स को सुरक्षा बल ने कम से कम संभव समय में पकड़ लिया है. उसके मामले में क़ानून के हिसाब से सज़ा मिलेगी.

इससे पहले परेड को संबोधित करते हुए सीआरपीएफ महानिदेशक कुलदीप सिंह ने सीआरपीएफ की भूमिका और इसके कार्मिकों के योगदान का ज़िक्र किया. उन्होंने बताया कि साल 2021-22 के दौरान सीआरपीएफ के साथ मुकाबले में 162 माओवादी/आतंकवादी मारे गये. 1500 गिरफ्तार किए गए और 750 ने सरेंडर किया.