मास्को की मनमोहक विजय दिवस परेड में सैन्य समुदाय की आन, बान और शान दिखी

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मास्को विजय दिवस परेड में शामिल हुई भारतीय सशस्त्र सेना.

जर्मनी की नाज़ी सेना को द्वितीय विश्व युद्ध में हराने के जश्न के तौर पर सोवियत रूस की राजधानी मास्को में आयोजित संयुक्त सेनाओं के विजय दिवस परेड में पुरातन और आधुनिकता का शानदार मेल दिखाई दिया. ऐतिहासिक रेड स्क्वेयर पर बीस देशों की सेनाओं के 13 000 सैनिकों, 234 बख्तरबंद सैन्य वाहनों की कतारें और इसके साथ साथ जब 75 विमानों ने परम्परागत फ्लाई पास्ट किया तो सबकी निगाहें एकटक इस नज़ारे को निहार रही थीं.

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा सचिव अजय कुमार.

दुनिया के अलग अलग देशों की सेनाओं का इस तरह एक स्थान पर जमा होना ही अपने आप में खूबसूरत समां कायम करने वाला है. परम्परागत तरह तरह की सैन्य वेशभूषा और परेड करने के उनके तौर तरीके ही आकर्षित करने के लिए काफी हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय के हथियार और वाहनों के बीच नवीनतम तकनीक से लैस रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन खुद ब खुद दिलचस्प है. भारत, चीन, अमेरिका, इंग्लैंड ही नहीं एक जमाने में सोवियत गणराज्य के सूत्र में बंधे और फिर अलग हुए तमाम देश तो इस परेड में आये ही, मंगोलियाई और सरबियाई फौजों ने भी अपनी मौजूदगी यहाँ दर्ज कराई.

मास्को विजय दिवस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन.

परेड एक चुनौती भी बनी :

हर साल यहाँ अनुशासित सैन्य समुदाय और योद्धाओं के मिलन का आने वाला ये विलक्षण मौका इस साल शायद नहीं आता लेकिन रूसी नेतृत्व ने इसकी तैयारियों को ज़ाया नहीं जाने का निर्णय लिया. 8 मई 1945 को विश्व युद्ध में जीत के बाद हर बार 9 मई को मास्को में विजय दिवस परेड की शुरुआत हुई थी जो इस बार वैश्विक महामारी कोविड 19 संक्रमण के साथ लागू किये गये लॉक डाउन के कारण आयोजित किये जाने की उम्मीद कतई नहीं की जा रही थी. वजह ये थी कि रूस दुनिया के उन देशों की फेहरिस्त में काफी ऊपर है जहां नोवेल कोरोना वायरस प्रकोप खूब जानें ले रहा है. इतना ही नहीं इस वायरस के संक्रमण से राजधानी मास्को तक में हालात सबसे खराब हैं.

मास्को विजय दिवस परेड का नजारा.

बुधवार तक रूस में कोविड 19 संक्रमण के 6 लाख पॉजिटिव केस सामने आये हैं जिनमें 24 घंटे में सामने आये मामलों की संख्या 7176 है. हालांकि ये मई महीने की औसत से कम है जब एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रोजाना 10 हज़ार कोविड 19 पॉजिटिव केस सामने आ रहे थे.

मास्को विजय दिवस परेड का नजारा.

पुतिन का फैसला :

बावजूद इन हालात के रूस ने इसे करने की ठानी और एक महीने तक टालकर इसका आयोजन 9 मई की जगह 24 जून को किया. हालांकि इस आयोजन को रूस में राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन के सियासी पैंतरे के पर देखा जा रहा है. असल में जल्द ही पूरे रूस में, संवैधानिक संशोधनों पर मतदान होना है जो राष्ट्रपति पुतिन का 2024 के बाद भी सत्ता पर काबिज़ होने का मार्ग प्रशस्त करेगा. उनका मौजूदा कार्यकाल 2024 में पूरा होना है. ये पुतिन की, लोगों में देशभक्ति की भावना का सियासी लाभ उठाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है जिसके लिए वे चर्चित भी हैं.

मास्को विजय दिवस परेड का नजारा.

कोविड 19 का असर :

हैरानी की बात हैं इसमें अन्य ज़्यादातर देशों का समर्थन हासिल करने में भी पुतिन कामयाब रहे. कोविड 19 के खतरनाक हालात और विश्व के कई देशों में लॉक डाउन जैसी स्थिति के बाद भी तकरीबन सभी 20 आमंत्रित देशों ने अपने सैनिकों को इसमें हिस्सा लेने भेजा बल्कि रक्षा विभाग के मंत्री या सचिवों या रक्षा नेतृत्व भी मेहमान के तौर पर इस आयोजन का हिस्सा बना. इन तमाम मेहमानों को सोशल कोविड 19 प्रोटोकॉल का शुरू से अंत तक पालन करना पड़ा. मुख्य कार्यक्रम के दौरान इन वीआईपी मेहमानों को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत एक दूसरे से दूर बैठना पड़ा. ऐसे दो मेहमानों और दर्शकों के बीच एक कुर्सी खाली देखी गई. विजय दिवस परेड देखने रेड स्क्वेयर पहुंचे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अगल बगल एक एक खाली कुर्सी के नियम का पालन करके बैठते देखा गया.

मास्को विजय दिवस परेड का नजारा.

अपने देश में होने वाले इस आलीशान सैन्य आयोजन का लुत्फ़ स्थानीय लोग रेड स्क्वेयर पर आकर नहीं उठा सके इसलिए ये ऐतिहासिक जगह इस बार खाली रही. लोगों को ये परेड देखने के लिए टीवी का सहारा लेना पड़ा जिस पर लाइव प्रसारण हो रहा था. परेड में हिस्सा लेने वाली सैनिक टुकड़ियों को भी पहले क्वारंटाइन रखा गया था. आयोजन देखने जो लोग भी आये उनमें कोविड 19 के लक्षण न हों, इसके लिए पूरी सख्ती की गई थी.

मास्को विजय दिवस परेड में शामिल हुई भारतीय सशस्त्र सेनाओं से बात करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह.

भारतीय सैनिक टुकड़ी :

भारत से इस परेड में हिस्सा लेने के लिए कर्नल रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में भारतीय सेना के तीनों अंगों के 75 सैनिकों की एकीकृत टुकड़ी आई. परेड में भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व, विश्व युद्ध में अपनी शूरवीरता का परचम फहराने वाली सिख लाइट इनफेन्ट्री के मेजर रैंक के अधिकारी ने किया. सिख लाइट इनफेंटरी की द्वितीय विश्व युद्ध में दिखाई वीरता की गवाह इसे 4 बैटल ऑनर्स और 2 मिलिटरी क्रॉस जैसे कई सम्मान हैं. तब ये ब्रिटिश भारतीय सशस्त्र सेना का हिस्सा थी और इसने उत्तरी और पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी रेगिस्तान और यूरोप में भीषण संघर्ष वाले क्षेत्रों में धुरी राष्ट्रों के खिलाफ चलाए गए अभियान में हिस्सा लिया था.

मास्को विजय दिवस परेड में शामिल हुई भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह.