नाइंटी की उम्र में नाइंटीन का जोश लिए परेड में आये द्वितीय विश्व युद्ध के ये लड़ाके

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मास्को में विजय दिवस परेड के दौरान पूर्व सैनिकों के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

सैनिक हमेशा सैनिक होता है. उसका मनोबल परिस्थितियाँ कभी नहीं घटा सकती हैं. अपने मनोबल और वर्दी व परम्पराओं के प्रति उसका समर्पण का स्रोत वो खुद होता है. इस बात को उन 28 पूर्व सैनिकों ने भी साबित किया जिन्होंने अपनी जवानी के दौर में जर्मन की नाज़ी सेना के खिलाफ लामबंद हुए सैनिकों के तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था. उम्र के हिसाब से ये जीवन के बेशक 90 दशक पार कर 100 वीं सालगिरह मनाने की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन जोश और जिंदादिली नाइंटी (Ninety) नहीं नाइंटीन (Nineteen) वाली है.

मास्को में विजय दिवस परेड के दौरान पूर्व सैनिकों के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

ये वो पूर्व सैनिक हैं जिन्हें दुनिया ने 24 जून को मास्को के ऐतिहासिक रेड स्क्वेयर पर आयोजित विजय दिवस परेड की प्लेटिनम जुबली (Platinum Jubilee) के मौके पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ देखा. इन पलों को देश के राष्ट्रपति के साथ बिताने के लिए इन्होंने परिवारों से दूर क्वारंटाइन में बिताना भी मंजूर किया था, वो भी 2 – 4 नहीं, पूरे 14 दिन. विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए, वैश्विक महामारी कोविड 19 का प्रोटोकॉल पूरी तरह पालन करने की शर्तें मानते हुए इन्होंने ये दो हफ्ते राजधानी मास्को के बाहर एक सेनेटोरियम में एकांतवास में बिताये. इस दौरान इनका लगातार स्वास्थ्य परीक्षण ही सिर्फ नहीं होता था बल्कि इनकी कोविड 19 जांच भी की गई.

मास्को में विजय दिवस परेड के दौरान पूर्व सैनिकों के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

अपनी अपनी सेना की वर्दी और सीने पर दोनों तरफ शान से चमचमाते मेडल पहने दिखाई दिए इन पूर्व सैनिकों का आत्मविश्वास भी कमाल का था. खुद पर और अगल बगल मौजूद साथियों के साथ साथ वहां की व्यवस्था पर भी इन्हें इतना भरोसा था कि ज़्यादातर ने फेस मास्क तक नहीं लगाये. जब इन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से हाथ मिलाया तो न तो दस्ताने पहने और न ही किसी और तरह का एहतियाती तरीका अपनाया था. दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रहे देशों में से एक रूस में इस तरह का नज़ारा देखना विस्मयकारी तो है ही साथ ही गज़ब के भरोसे की तस्वीर परिलक्षित करने वाला है. इनमें से ज्यादातर पूर्व सैनिक रूसी मूल के देशों के ही थे.

मास्को में विजय दिवस परेड

वैसे कोविड 19 संक्रमण से बचाव के लिए तय नियमों का पालन करने के लिए इस सैन्य समारोह में काफी सख्ती बरती गई. इस महामारी का साया तो समारोह पर साफ़ दिखाई दिया जब इसे एक महीने से भी ज्यादा अरसे के लिए टालना पड़ा. 20 की उम्मीद थी लेकिन पता चला है कि इस बार 13 देशों ने ही अपनी सैनिक टुकड़ियों को परेड में हिस्सा लेने के लिए भेजा. इनमें से कुछ टुकड़ियों में सैनिक फेस मास्क लगाकर मार्च पास्ट में शामिल हुए. तकरीबन 14 हज़ार सैनिक इसमें शामित हुए. 216 वाहन की कतारों ने परेड में ज़मीन पर और 75 विमानों ने आसमान में खूबसूरत फ्लाई पास्ट से समां बाँधा. कुल 10 राष्ट्रों के नेता या प्रतिनिधियों ने मेहमान के तौर पर इसमें शिरकत की.

मास्को में विजय दिवस परेड