
भारतीय सेना की सिख लाइट इनफेंटरी (Sikh LI ) रेजीमेंट और भारतीय वायुसेना की रफेल लड़ाकू विमानों से सुसज्जित (Rafale fighter जेट्स) 17 स्क्वाड्रन के बीच संबद्धता (affiliation) पर औपचारिक रूप से सोमवार को हस्ताक्षर हुए. हरियाणा स्थित अंबाला वायुसेना स्टेशन पर एक समारोह में हस्ताक्षर की ये रस्म की गई. इस दौरान भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे मौजूद रहे. संबद्धता के चार्टर (charter of affiliation) पर जनरल नरवणे और 17 स्क्वाड्रन के एयर कमोडोर तरुण चौधरी ने हस्ताक्षर किए. जनरल नरवणे सिख लाइट इन्फेंटरी के कर्नल कमांडेंट भी हैं. भारतीय वायु सेना की पश्चिमी कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल अमित देव भी इस दौरान मौजूद थे.

वायु सेना की 17 स्क्वाड्रन (indian air force 17 squadron) भारत में रफेल लड़ाकू विमान की आमद के साथ फिर से गठित की गई थी. वायु सेना की इस ऐतिहासिक स्कवाड्रन को गोल्डन ऐरो स्क्वाड्रन भी कहा जाता है. गोल्डन ऐरो (golden arrow) स्क्वाड्रन का पहले पहल गठन 1 अक्टूबर 1951 को अम्बाला में किया गया था. इस स्क्वाड्रन ने 1965 और 1971 के युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई थी.

माना जा रहा है कि भारतीय वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान की रफेल स्क्वाड्रन के साथ सिख एलआई रेजिमेंट की संबद्धता दोनों को समकालीन संघर्ष के माहौल में सैन्य सामरिक सिद्धांतों और अवधारणाओं की सामान्य समझ के माध्यम से संयुक्त लोकाचार, क्षमता, सीमाओं और अन्य सेवा की मुख्य दक्षताओं की आपसी समझ विकसित करने में मदद करेगी.
