भारतीय फौज जंगी ताकत बढ़ाने के लिए 1750 फ्यूचर टैंक खरीदेगी

466
भारतीय फौज
फ्यूचरिस्टिक इन्फेंटरी कॉम्बैट व्हीकल

भारतीय सेना ने युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए नई पीढ़ी के 1,750 ‘ फ्यूचरिस्टिक इन्फेंटरी कॉम्बैट व्हीकल’ (एफआईसीवी-FICV) खरीदने के लिये योजना बनाई है. इसके मुताबिक़ रणनीतिक साझेदारी के तहत भारत में बनने वाले इन वाहनों को चरणबद्ध तरीके से 10 साल के भीतर सेना में शामिल किया जाना है. सेना की इस योजना के तहत भारतीय विक्रेताओं की पहचान करने के लिए सरकार ने एक महीने में दूसरी बार सूचना के लिए अनुरोध यानि आरएफआई (Request for Information – RFI) जारी किया है.

आधुनिकीकरण की योजनाओं के तहत सेना सोवियत मूल के टी-72 टैंकों (T-72 tank) के अपने पुराने बेड़े को बदलेगी. सेना ने इस महीने की शुरुआत में भी 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआईसीवी) की खरीद के लिए एक आरएफआई जारी किया था. गुरुवार को फिर से 1,750 एफआईसीवी की खरीद के लिए एक आरएफआई जारी किया गया है.

दरअसल रक्षा मंत्रालय तीन संस्करणों में 1,750 ‘फ्यूचर टैंक’ खरीदना चाहता है. इनकी कुल मात्रा में से तकरीबन 55% गन संस्करण (Gun version) , 20% कमांड संस्करण और 25% कमांड व निगरानी संस्करण (सर्विलांस वर्जन surveillance version) होने चाहिए. इस परियोजना में शामिल होने के इच्छुक निविदाकर्ताओं को एक हफ्ते में अपनी मर्जी ज़ाहिर करने को कहा गया है.

भारतीय फौज
फ्यूचरिस्टिक इन्फेंटरी कॉम्बैट व्हीकल

आरएफआई में भारतीय विक्रेताओं से समझौते के दो साल के अन्दर रणनीतिक साझेदारी के तहत विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं के साथ सहयोग करके हरेक साल 75 से 100 टैंकों की सप्लाई करने को कहा गया है. आरएफआई के अनुसार एफआईसीवी को क्रॉस-कंट्री ऑपरेशंस के लिए तैनात किया जाएगा. इनमें पश्चिमी सीमा, ज्यादा ऊंचाई के साथ मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में, पूर्वी लद्दाख, मध्य क्षेत्र और उत्तरी सिक्किम में उत्तरी सीमाओं के साथ पहाड़ी इलाके हैं. बताया गया है कि यह आरएफआई गुणवत्ता की ज़रूरतों को अंतिम रूप देने, खरीद श्रेणी तय करने और अनुबंध के दो साल के भीतर वाहनों की सप्लाई शुरू करने की क्षमता वाले संभावित भारतीय विक्रेताओं की पहचान करने के लिए जारी किया गया है. यह नए तरीके के एफआईसीवी दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद और लड़ाकू वाहनों, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हेलीकॉप्टरों, अन्य जमीन-आधारित हथियार प्लेटफार्मों को नष्ट करने की क्षमता वाले होंगे.

ये कॉम्बैट वाहन कई तरीके के होंगे जिनमें ट्रैक किए गए मुख्य युद्धक टैंक का प्राथमिक संस्करण, ट्रैक लाइट टैंक, पहिये वाले संस्करण, ब्रिज लेयर टैंक, ट्रॉल टैंक, माइनस टैंक्स, बख्तरबंद रिकवरी वाहन, सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी गन/होवित्जर, वायु रक्षा बंदूक, मिसाइल प्रणाली, तोपखाने, ऑब्जरवेशन पोस्ट वाहन, इंजीनियर टोही वाहन और एम्बुलेंस भूमिका वाले बख्तरबंद शामिल हैं.

ऐसे तमाम वाहनों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, इंजीनियरिंग सहायता पैकेज, अन्य रखरखाव और प्रशिक्षण ज़रूरतों के साथ रणनीतिक साझेदारी (‘स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप) के तहत खरीदने की योजना है. आरएफआई के अनुसार ‘फ्यूचर टैंक’ का मध्यम वजन 45 से 50 टन होना चाहिए जो युद्ध क्षेत्र के बदलते हालात के मद्देनजर नई प्रौद्योगिकी से संचालित हो सके. ये एफआरसीवी प्लेटफॉर्म न सिर्फ भविष्य के युद्धों के लिए उपयुक्त होना चाहिए बल्कि अन्य विशेष लड़ाकू वाहनों पर इस्तेमाल करने की भी इनमें क्षमता होनी चाहिए.

आरएफआई में कहा गया है कि ओवरहालिंग और मरम्मत के साथ एफआईसीवी की अधिकतम उम्र कम से कम 32 साल होनी चाहिए. टैंक निर्माण के क्षेत्र में शामिल प्रमुख रक्षा कंपनियां आरएफपी के ज़रिये हिस्सा लेकर अपने अपने डिजाइन पेश करेंगी. सबसे अच्छे डिजाइन का चुनाव करके प्रोटोटाइप ‘फ्यूचर टैंक’ का उत्पादन करने के लिए एक विकासशील एजेंसी को नियुक्त किया जाएगा. वैसे दक्षिण कोरिया की हुंडई रोटेम कंपनी पहले ही 2000 से ज्यादा टैंकों का ऑर्डर मिलने पर ‘मेक इन इंडिया’ के तहत पांच बिलियन डॉलर की लागत से ‘फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल’ का उत्पादन करने के लिए तैयार है.