पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इलाके में यूं हो रही है भारतीय सेना की खैरियत पेट्रोलिंग

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भारतीय सेना
वृद्ध महिला के स्वास्थ्य की जांच करते डॉक्टर. ये 120 साल की हैं.

भारतीय सेना जहां सीमाओं पर दिन-रात मुस्तैदी से तैनात है वहीं सेना नियंत्रण रेखा के नज़दीक ग्रामीण क्षेत्रों के बाशिंदों की सेहत का भी पूरा ख्याल रख रही है. पुंछ जिले में कई ऐसे अनगिनत गांव हैं जहां पर सेना ने अवाम के लिए स्वास्थ्य सेवा शुरू की है. इसके तहत सेना के डॉक्टर और सेना के पैरामेडिकल स्टाफ की टीम घर-घर जा कर लोगों की सेहत की जांच कर उनका इलाज कर रही है.

पुंछ जिले के दूरदराज और नियन्त्रण रेखा (एलओसी-LOC) वाले गांव गुलपुर, खड़ी, करमाड़ा, चक्का दा भाग जैसे और पहाड़ी क्षेत्रों में भारतीय सेना की ‘कृष्णा-घाटी ब्रिगेड’ की तरफ से वहां पर तैनात सरला बटालियन ने ‘ खैरियत पेट्रोल’ शुरू की है. इस पेट्रोल टुकड़ी में सेना के डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की टीम होती है. ये टुकड़ी गांव में घर घर जा कर लोगों की मेडिकल जांच करती है. सेना के उठाये गये इस कदम से सीमावर्ती क्षेत्र में रहने बुजुर्गों, छोटे बच्चों और महिलाओं को ख़ास फायदा हो रहा है क्योंकि इनके लिए दूर जाकर अपनी बीमारी का इलाज कराना तो मुश्किल है ही ये लोग ज्यादा साधन सम्पन्न भी नहीं हैं. ये टीम उनको दवाएं भी देती है.

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120 साल की वृद्ध महिला के स्वास्थ्य की जांच की गई.

खैरियत पेट्रोल से जुड़े सेना के एक अधिकारी ने कहा,”पिछले कई महीनों से यह मिशन चल रहा है जिसमें सैकड़ों की तादाद में लोगों को लाभ पहुंच रहा है. खासतौर से जबसे कोविड 19 महामारी की शुरुआत हुई है तब से हमारे डॉक्टरों ने अपना कर्तव्य निभाते हुए इस मिशन में अहम भूमिका निभाई है.”

सेना के डॉक्टर ने बताया कि ये टीम रोजाना कई मील पैदल चल कर दूरदराज व पहाड़ी क्षेत्रों में पहुंचती है क्योंकि उन जगह तक वाहनों का जाना मुश्किल होता है. चिकित्सा टीम उन पर ज्यादा फोकस करती है जो लोग लंबे समय से बीमार हैं या वो यहां से सरकारी अस्पताल में नहीं पहुंच सकते. इनमें काफी मरीज वो हैं जो वृद्ध हैं या वो जो किसी हादसे का शिकार हो कर लंबी बीमारी का सामना कर अपना इलाज करवा रहे हैं. एक दिलचस्प जानकारी के अनुसार गुलपुर गांव में एक तो एक ऐसी महिला के स्वास्थ्य का बीड़ा सेना ने उठाया है जिन की आयु 120 वर्ष है.

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वृद्ध का ब्लड प्रेशर जांचती सेना की टीम.

गुलपुर गांव के के सरपंच असद हुसैन शाह ने सेना के इस मिशन की तारीफ़ करते हुए कहा कि जिन इलाकों में हम लोग रह रहे हैं यह बॉर्डर का ऐसा इलाका है जहां से पाकिस्तान की सीमा चंद मीटर के फासले पर है. उन्होंने कहा कि जिन दिनों में पाकिस्तान हम ग्रामीणों पर गोले बरसाता था तब से लेकर आज तक सेना हमारी मदद कर रही है. असद हुसैन का कहना था,” यहां पर भारतीय सेना अगर न हो तो हम लोगों का जीना बेहद मुश्किल है”. वहीं गांव की एक महिला ने बताया कि गांव में जब कभी गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए ले जाना होता है वो चाहे रात हो या दिन सेना की ओर से वाहन व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं, अस्पताल पहुंचाया जाता है. सेना का आभार प्रकट करते हुए महिला भावुक हो जाती है. कहती है, “हमें अपनी सेना पर फख्र होता है.” कृष्ण घाटी ब्रिगेड के अंतर्गत मेंढर और पुंछ के कई सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहाँ कई वर्षों से मूलभूत व स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं.